New Delhi News: दिल्ली हाईकोर्ट ने तब्लीगी जमात को कोरोना फैलाने के झूठे आरोपों से बाइज्जत बरी किया, क्या नफ़रती मीडिया माँगेगा माफ़ी

New Delhi News: दिल्ली हाईकोर्ट ने 2020 में कोरोना वायरस फैलाने के आरोप में फंसे 70 मुसलमानों को बाइज्जत बरी करने का फ़ैसला दिया है। तब्लीगी जमात से जुड़े इन लोगों पर उस समय बिना ठोस सबूतों के गंभीर आरोप लगाए गए थे, जिसके बाद उन्हें सामाजिक अपमान, कानूनी कार्रवाई और लंबे समय तक कोर्ट के चक्कर काटने पड़े। कोर्ट के इस फैसले ने न केवल उनकी बेगुनाही को साबित किया, बल्कि उस समय फैलाए गए झूठे प्रचार और नफरत भरे माहौल पर भी सवाल उठा दिए हैं।

2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान, तब्लीगी जमात के एक धार्मिक आयोजन को लेकर कुछ मीडिया हाउसेज और सोशल मीडिया पर यह दावा किया गया था कि जमात के लोग जानबूझकर वायरस फैला रहे हैं। इन आरोपों के आधार पर 70 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी और उन्हें “कोरोना बम”, “सुपर स्प्रेडर” जैसे शब्दों से जोड़ा गया था। इस प्रचार ने समाज में नफरत और अविश्वास का माहौल बनाया, जिससे मुस्लिम समुदाय को व्यापक स्तर पर भेदभाव का सामना करना पड़ा।

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि इन लोगों के खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार थे और कोई ठोस सबूत नहीं मिला। कोर्ट ने कहा कि महामारी के दौरान ऐसी अफवाहों और पक्षपातपूर्ण खबरों ने समाज में तनाव बढ़ाया। इस फैसले के बाद कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या अब वे मीडिया हाउस और लोग, जिन्होंने इस तरह के झूठे दावे फैलाए, माफी मांगेंगे?

इस मामले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि संकट के समय में मीडिया की जिम्मेदारी क्या होनी चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की गलत खबरें न केवल किसी समुदाय को बदनाम करती हैं, बल्कि समाज में दीर्घकालिक विभाजन का कारण भी बनती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी उस समय चेतावनी दी थी कि किसी समुदाय को निशाना बनाना महामारी से लड़ने में बाधा डाल सकता है।

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