New Delhi News: अहमदाबाद में 12 जून 2025 को हुए एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 के भयानक हादसे ने पूरे देश के दिलों को झकझोर कर रख दिया था। इस हादसे में 260 लोगों की जान चली गई, जिसमें 241 यात्री और चालक दल के 12 सदस्य शामिल थे। अब इस दुर्घटना की जांच को लेकर भारत का विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) और विदेशी मीडिया के बीच तनाव बढ़ता दिख रहा है। AAIB ने कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों की “गैर-जिम्मेदाराना” और “असत्यापित” रिपोर्टिंग पर कड़ा ऐतराज जताया है, जो हादसे के लिए पायलटों को जिम्मेदार ठहराने की जल्दबाजी में लगे हुए हैं।
AAIB ने गुरुवार को एक बयान जारी कर कहा कि कुछ विदेशी मीडिया संस्थान, जैसे वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) और रॉयटर्स, अपनी प्रारंभिक रिपोर्टों में हादसे का कारण पायलट की गलती बता रहे हैं, जो पूरी तरह से असत्यापित और समय से पहले की गई टिप्पणियां हैं। AAIB के महानिदेशक जी.वी.जी. युगंधर ने कहा, “हमारे संज्ञान में आया है कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया का एक वर्ग चुनिंदा और अपुष्ट जानकारी के आधार पर निष्कर्ष निकालने की कोशिश कर रहा है। यह गैर-जिम्मेदाराना है, खासकर जब जांच अभी जारी है।”
AAIB ने स्पष्ट किया कि उनकी प्रारंभिक रिपोर्ट का मकसद केवल यह बताना था कि हादसे के दौरान क्या हुआ, न कि इसका कारण क्या था। ब्यूरो ने सभी से अपील की कि अंतिम जांच रिपोर्ट, जो जून 2026 तक आने की उम्मीद है, का इंतजार करें और तब तक किसी भी तरह की अटकलों को लगाने से बचें।
12 जुलाई 2025 को जारी AAIB की 15 पन्नों की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, विमान के टेक-ऑफ के कुछ सेकंड बाद ही दोनों इंजनों के ईंधन कटऑफ स्विच ‘RUN’ से ‘CUTOFF’ स्थिति में चले गए, जिसके कारण ईंधन की आपूर्ति रुक गई और विमान क्रैश कर गया। कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डिंग में एक पायलट को दूसरे से पूछते सुना गया, “तुमने फ्यूल स्विच क्यों बंद किया?” जिसका जवाब था, “मैंने नहीं किया।” यह संकेत देता है कि स्विच का बंद होना तकनीकी खराबी या किसी अन्य कारण से हो सकता है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि 2018 में फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) ने बोइंग विमानों में फ्यूल स्विच से संबंधित एक चेतावनी जारी की थी, जिस पर एयर इंडिया ने कोई कार्रवाई नहीं की थी।
कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों, जैसे WSJ, बीबीसी, रॉयटर्स और डेली मेल, ने अपनी रिपोर्टों में पायलटों पर दोष मढ़ने की कोशिश कर रहें है। ने दावा किया कि कैप्टन सुमीत सभरवाल ने जानबूझकर फ्यूल स्विच बंद किया, लेकिन इस दावे की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई। भारतीय पायलट महासंघ (FIP) और इंडियन कमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन (ICPA) ने इन दावों को “निराधार” और “गैर-जिम्मेदाराना” करार दिया। FIP के अध्यक्ष कैप्टन सी.एस. रंधावा ने कहा, “जांच अभी पूरी नहीं हुई है। पायलटों को दोषी ठहराना गलत है और इससे उनके परिवारों को ठेस पहुंचती है।”
पायलटों का अनुभव और तकनीकी खराबी की आशंका
हादसे में शामिल दोनों पायलट, कैप्टन सुमीत सभरवाल (15,638 उड़ान घंटे) और फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर (3,403 उड़ान घंटे), अनुभवी थे। दोनों ने उड़ान से पहले सभी अनिवार्य ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट पास किए थे और उनकी मेडिकल स्थिति सामान्य थी। एयर इंडिया के सीईओ कैम्पबेल विल्सन ने भी कहा कि प्रारंभिक जांच में विमान के इंजन या रखरखाव में कोई खराबी नहीं पाई गई। उन्होंने पूरे बोइंग 787 बेड़े की जांच की बात भी दोहराई, जिसमें सभी विमान सेवा के लिए उपयुक्त पाए गए।
कुछ विशेषज्ञों और संगठनों ने सुझाव दिया कि हादसे का कारण बोइंग विमानों में पहले देखी गई तकनीकी खराबी, जैसे फ्यूल लॉक समस्या, हो सकती है। हालांकि, विदेशी मीडिया ने इस पहलू को नजरअंदाज करते हुए पायलटों को निशाना बनाया, जिससे बोइंग पर चल रही जांच को कमजोर करने का आरोप भी लगा।
हादसे में मारे गए 19 वर्षीय छात्र संकेत गोस्वामी के पिता अतुल गोस्वामी ने AAIB की प्रारंभिक रिपोर्ट पर असंतोष जताते हुए गहन जांच की मांग की है। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि सच्चाई सामने आए और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो।”
AAIB ने अपने बयान में कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के दिशानिर्देशों और विमान दुर्घटना जांच नियम, 2017 के तहत पारदर्शी और पेशेवर तरीके से जांच कर रहा है। ब्यूरो ने 2012 से अब तक 92 दुर्घटनाओं और 111 गंभीर घटनाओं की जांच का बेदाग रिकॉर्ड बनाया है। AAIB ने मीडिया और जनता से अपील की है कि वे पीड़ित परिवारों की संवेदनाओं का सम्मान करें और जांच पूरी होने तक धैर्य बना कर रखें।
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