New Delhi/London News: भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए, जो विश्व की पांचवीं और छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच आर्थिक सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का वादा किया गया है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कियर स्टार्मर की उपस्थिति में लंदन में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता तीन साल से अधिक की गहन वार्ताओं का परिणाम है, जिसकी शुरुआत जनवरी 2022 में हुई थी। यह दोनों देशों के लिए व्यापार, निवेश, रोजगार सृजन और तकनीकी सहयोग में एक नया अध्याय शुरू किया है।
समझौते का महत्व और पृष्ठभूमि
भारत और ब्रिटेन के बीच यह मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) एक व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (CETA) है, जिसका उद्देश्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 120 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाना है। 2024 में ब्रिटेन भारत का 11वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था, जिसमें भारत का यूके को निर्यात 34 बिलियन डॉलर और यूके से भारत का आयात 22.8 बिलियन डॉलर था। इस समझौते के तहत भारत के 99% निर्यात उत्पादों को यूके में शुल्क-मुक्त पहुंच मिलेगी, जबकि यूके के 90% निर्यात पर भारत में टैरिफ कम या समाप्त होंगे।
इसके अलावा, दोनों देशों ने दोहरे अंशदान सम्मेलन समझौते (DCCA) पर भी हस्ताक्षर किए, जो सामाजिक सुरक्षा और पेशेवरों की गतिशीलता को सुगम बनाएगा। यह समझौता अल्पकालिक सीमापार श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा अंशदान में छूट प्रदान करेगा, जिससे दोनों देशों के पेशेवरों को लाभ होगा।
समझौते के प्रमुख पहलू
1. शुल्क में कमी और व्यापार सुगमता:
– भारत के वस्त्र, समुद्री उत्पाद, चमड़ा, जूते, खेल सामान, रत्न और आभूषण, इंजीनियरिंग उत्पाद, ऑटो घटक और जैविक रसायन जैसे क्षेत्रों को विशेष लाभ होगा।
– यूके की स्कॉच व्हिस्की और वाइन पर आयात शुल्क को अगले 10 वर्षों में 150% से घटाकर 25% किया जाएगा, जिससे भारतीय उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद सस्ते दामों पर मिलेंगे।
– गैर-टैरिफ बाधाओं (जैसे तकनीकी मानक और प्रमाणन) को कम करने पर जोर, जिससे भारतीय कृषि उत्पादों को यूके में बेहतर पहुंच मिलेगी।
2. सेवा क्षेत्र और तकनीकी सहयोग:
– यूके की कानूनी सेवाएं, शिक्षा और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियों को भारत की बढ़ती मांग में आसानी से शामिल होने का अवसर मिलेगा।
– भारत के आईटी, बीपीओ और ज्ञान-आधारित सेवा क्षेत्रों को यूके में अधिक बाजार पहुंच मिलेगी।
– डिजिटल प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा, 5जी, क्वांटम कंप्यूटिंग और एआई में सहयोग को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान।
3. आपूर्ति श्रृंखला और भू-राजनीतिक रणनीति:
– यह समझौता चीन पर निर्भरता कम करने और आपूर्ति श्रृंखला की लचीलापन बढ़ाने का लक्ष्य रखता है।
– भारत-प्रशांत क्षेत्र में दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करता है, जो क्वाड जैसे समूहों के माध्यम से पहले से ही विकसित हो रही है।
तकनीकी पड़ताल
– आर्थिक विकास: यह समझौता दोनों देशों में व्यापार, निवेश और रोजगार सृजन को बढ़ावा देगा। छोटे और मध्यम उद्यमों (MSME) को विशेष लाभ होगा।
– उपभोक्ता लाभ: दवाइयां, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े और फैशन उत्पाद सस्ते होंगे, जिससे आम उपभोक्ताओं को सीधा लाभ मिलेगा।
– नवाचार और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण: दोनों देशों के बीच तकनीकी हस्तांतरण और अनुसंधान व विकास (R&D) को बढ़ावा मिलेगा, विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा और डिजिटल प्रौद्योगिकी में।
चुनौतियां
– विनियामक बाधाएं: यूके भारत के कानूनी और वित्तीय क्षेत्रों में उदारीकरण की मांग कर रहा है, जिसका भारतीय घरेलू उद्यमियों द्वारा विरोध हो सकता है।
– कार्बन टैक्स विवाद: यूके द्वारा प्रस्तावित कार्बन टैक्स धातु आयात को प्रभावित कर सकता है, जिससे भारतीय निर्यातकों को नुकसान हो सकता है।
– गैर-टैरिफ बाधाएं: तकनीकी मानकों और प्रमाणन आवश्यकताओं के कारण भारतीय कृषि उत्पादों को यूके में प्रवेश में अभी भी कठिनाइयां हो सकती हैं।
भारत की एफटीए यात्रा में नया मील का पत्थर
भारत ने हाल के वर्षों में मॉरीशस, यूएई, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) जैसे देशों के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर किए हैं। यूके के साथ यह समझौता भारत का किसी प्रमुख विकसित अर्थव्यवस्था के साथ पहला व्यापक एफटीए है। यह भारत की ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ पहल को गति देगा, साथ ही वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद करेगा।
नेताओं की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “भारत-यूके आर्थिक साझेदारी में एक नया अध्याय” करार देते हुए कहा कि यह समझौता समावेशी विकास, रोजगार सृजन और किसानों, महिलाओं, युवाओं और MSME के लिए अवसर पैदा करेगा।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कियर स्टार्मर ने कहा, “यह ऐतिहासिक व्यापार समझौता ब्रिटेन में हजारों नौकरियों को सुरक्षित करेगा और हमारी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा।”
निष्कर्ष
भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता न केवल आर्थिक सहयोग को मजबूत करता है, बल्कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को भी गहरा करता है। हालांकि, गैर-टैरिफ बाधाओं और घरेलू उद्योगों पर प्रभाव जैसे मुद्दों पर सतर्कता बरतने की जरूरत है। यह समझौता दोनों देशों के लिए एक जीत की स्थिति है, जो वैश्विक व्यापार की अनिश्चितताओं के बीच एक स्थिर और समृद्ध भविष्य की नींव रखता है।

