‘लोन के जाल’ में फंसी महिलाएं, प्राइवेट लेंडर्स पर लगा शोषण का आरोप, AIDWA सर्वे में 9,000 महिलाओं की दर्दनाक कहानियां

New Delhi/AIDWA News: दिल्ली में हाल ही में आयोजित एक जनसुनवाई में देशभर की महिलाओं ने माइक्रोफाइनेंस कंपनियों (एमएफआई), नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (एनबीएफसी) और निजी बैंकों पर गंभीर आरोप लगाए गए है । ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वीमेंस एसोसिएशन (AIDWA) द्वारा 23-24 अगस्त को आईटीओ के हरकिशन सिंह सुरजीत भवन में आयोजित इस जनसभा में हजारों महिलाओं ने अपनी आपबीती सुनाई। AIDWA के एक सर्वे, जिसमें 21 राज्यों और 100 जिलों की 9,000 महिला उधारकर्ताओं को शामिल किया गया, के आधार पर यह जनसुनवाई आयोजित की गई थी।

कर्ज के नाम पर शोषण
महिलाओं ने बताया कि आसान कर्ज के वादे के साथ उन्हें ‘लोन के जाल’ में फंसाया जाता है। ऊंची ब्याज दरों और रिकवरी एजेंट्स के दबाव के कारण उनकी जिंदगी नरक बन जाती है। AIDWA की महासचिव मरियम धवले ने कहा, “कर्ज लेने वाली महिलाओं को मानसिक, शारीरिक और यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। कई बार कर्ज का बोझ इतना बढ़ जाता है कि महिलाएं संपत्ति का नुकसान, विस्थापन और यहां तक कि आत्महत्या जैसा कदम उठाने को मजबूर हो जाती हैं।”
उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) पर निजी बैंकिंग क्षेत्र को नियंत्रित करने में नाकामी का आरोप लगाया। धवले ने कहा, “शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर सार्वजनिक खर्च में कमी के कारण महिलाएं कर्ज लेने को मजबूर होती हैं, लेकिन अनियंत्रित निजी बैंकिंग ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।”

पूजा वर्मा की दर्दनाक कहानी
झांसी से दिल्ली पहुंची 30 वर्षीय पूजा वर्मा ने अपनी कहानी साझा की। उन्होंने बताया कि अपने पति के ई-रिक्शा को ठीक करने के लिए उन्होंने आईआईएफएल समस्ता फाइनेंस लिमिटेड से 40,000 रुपये का कर्ज लिया था। 24 में से 11 किस्तें चुकाने के बावजूद कंपनी ने केवल 9 किस्तें दर्ज कीं। एक दिन रिकवरी एजेंट्स ने उनके घर पर दबाव बनाया और उनकी सास को परेशान किया। पूजा और उनके पति को पांच घंटे तक कंपनी के दफ्तर में बंधक बनाकर रखा गया। पूजा ने बताया, “एजेंट्स ने कहा, ‘पैसे लेकर आओ और अपनी बीवी को ले जाओ।’ उन्होंने हमें धमकी दी कि रस्सी ले जाकर फांसी लगा लो, बीमा के पैसे से हम अपना कर्ज वसूल लेंगे।”
पुलिस को बुलाने पर भी कोई राहत नहीं मिली। झांसी के मोंठ थाने में पुलिस और कंपनी ने मिलकर पूजा और उनके पति से खाली कागज पर दस्तखत करवाए और धमकी दी कि पूरा कर्ज चुकाने तक उन्हें फंसाया जाएगा।

आयशा और कल्पना की आपबीती
महाराष्ट्र के सांगली की आयशा नदफ ने बताया कि कारोबार के लिए लिया गया कर्ज नाकाम रहा, जिसके बाद कई संस्थाओं से लिए गए कर्ज ने उनकी जिंदगी को और मुश्किल बना दिया। कुल 15 लाख रुपये के कर्ज के दबाव में एक एजेंट ने उनसे यौन उत्पीड़न की कोशिश की और कहा, “एक रात मेरे साथ गुजार लो, उस महीने का ब्याज माफ कर दूंगा।” पति द्वारा छोड़े जाने के बाद भी उनकी मुश्किलें कम नहीं हुईं।
पश्चिम बंगाल की कल्पना रॉय ने 2.5 लाख रुपये के कर्ज के कारण रिकवरी एजेंट्स द्वारा मारपीट और उत्पीड़न की घटनाएं साझा कीं। उन्होंने सरकार से मनरेगा कार्ड, रोजगार और कम ब्याज दरों की मांग की।

AIDWA की मांगें
AIDWA ने सरकार और RBI के सामने 22 मांगें रखीं, जिनमें शामिल हैं:
• शिकायत निवारण तंत्र और लोक अदालतों को तेज करना।
• पब्लिक सेक्टर बैंकों से NBFCs-MFIs को फंड ट्रांसफर रोकना।
• हर पब्लिक सेक्टर बैंक शाखा में महिला सेल बनाना।
• माइक्रोफाइनेंस गारंटी स्कीम शुरू करना, जिसमें अधिकतम ब्याज दर 4% हो।
• कर्ज के कारण आत्महत्या करने वाली महिलाओं के परिवारों के लिए विशेष सहायता।
धवले ने कहा, “जब सरकार कॉरपोरेट्स को 5% से कम ब्याज पर लोन दे सकती है और 16 लाख करोड़ रुपये के कर्ज माफ कर सकती है, तो महिलाओं के लिए माइक्रोफाइनेंस गारंटी स्कीम के लिए फंड की कमी का बहाना नहीं बनाया जा सकता।”

निजी संस्थाओं की चुप्पी
दिप्रिंट ने भारत फाइनेंशियल इंक्लूजन लिमिटेड और आईआईएफएल समस्ता फाइनेंस लिमिटेड से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। जवाब मिलने पर रिपोर्ट अपडेट की जाएगी।

महिलाओं का सवाल
जनसुनवाई में महिलाओं ने एक ही सवाल उठाया, “हमारी इज्जत कौन लौटाएगा?” आयशा नदफ ने कहा, “मैं कर्ज चुकाने से इनकार नहीं कर रही, लेकिन सम्मान से लोन देने वाली संस्थाओं को सम्मान से वसूली करनी चाहिए।”
यह जनसुनवाई महिलाओं के संघर्ष और उनकी आवाज को बुलंद करने का एक मंच बनी, जो अब सरकार और नियामक संस्थानों से ठोस कदमों की उम्मीद कर रही हैं।

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