मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, यह योजना तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएगी। योजना के तहत, यदि किसी व्यक्ति को स्ट्रे डॉग के हमले में गंभीर चोटें जैसे त्वचा पर गहरे निशान, कटाव या अन्य घाव लगते हैं, तो वे संबंधित जिला प्रशासन में आवेदन देकर 5 हजार रुपये का मुआवजा प्राप्त कर सकेंगे। मुआवजे की राशि का भुगतान चिकित्सा प्रमाण-पत्र और घटना की रिपोर्ट के आधार पर किया जाएगा। मौत के मामलों में 5 लाख रुपये का मुआवजा सीधे परिवार के खाते में हस्तांतरित किया जाएगा।
इस फैसले का श्रेय सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश को दिया जा रहा है, जिसमें शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों को निर्देश दिया था कि स्कूल, अस्पताल, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और अन्य सार्वजनिक स्थानों से स्ट्रे डॉग्स को हटाकर आश्रय गृहों में भेजा जाए। कर्नाटक सरकार ने इस दिशा में तेजी से कदम उठाते हुए न केवल मुआवजे की व्यवस्था की है, बल्कि राज्य स्तर पर स्ट्रे डॉग्स के टीकाकरण और नसबंदी अभियान को भी तेज करने का ऐलान किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमारा उद्देश्य पीड़ितों को त्वरित न्याय देना है। आवेदन के चार महीने के भीतर मुआवजा वितरित करने की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाएगी।”
कर्नाटक में हाल के वर्षों में स्ट्रे डॉग्स के हमलों की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। राज्य के ग्रामीण और शहरी इलाकों में हर साल सैकड़ों लोग इन हमलों का शिकार होते हैं, जिनमें से कई मामलों में रेबीज जैसी घातक बीमारियां भी फैल जाती हैं। पिछले महीने ही बेंगलुरु के एक उपनगर में एक बच्चे के स्ट्रे डॉग्स के हमले में घायल होने की घटना ने हड़कंप मचा दिया था। इस योजना से न केवल पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहारा मिलेगा, बल्कि स्ट्रे डॉग्स की समस्या पर सामाजिक जागरूकता भी बढ़ेगी।
यह कदम कर्नाटक को देश का अग्रणी राज्य बना सकता है, क्योंकि इससे पहले हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में भी इसी तरह के प्रावधान लागू हैं। हरियाणा में प्रति दांत के निशान पर 10 हजार रुपये और प्रति 0.2 सेंटीमीटर घाव पर 20 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाता है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के 2023 के आदेश ने भी इस दिशा में नींव रखी थी।
विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्रीय स्तर पर एक समान नीति बनने से पूरे देश में स्ट्रे डॉग्स की समस्या का समाधान संभव होगा।
सरकार ने लोगों से अपील की है कि स्ट्रे डॉग्स के हमले की घटना होने पर तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सालय में एंटी-रेबीज वैक्सीन लगवाएं और जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय में मुआवजे के लिए आवेदन करें। साथ ही, पशु प्रेमियों से भी सहयोग की अपेक्षा की गई है कि वे नसबंदी और टीकाकरण अभियान में भाग लें। यह योजना निश्चित रूप से मानव-सुरक्षा और पशु-कल्याण के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।

