NDA’s historic victory news: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने एक बार फिर सत्तारूढ़ राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ताकत का परिचय दिया है। 243 सीटों वाली इस सभा में एनडीए ने भारी बहुमत हासिल कर लिया है, जबकि विपक्षी महागठबंधन (एमजीबी) को करारी हार का सामना करना पड़ा। चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, कुल 6 राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। यह नतीजे विकास, सुशासन और जातिगत समीकरणों पर
केंद्रित अभियान का परिणाम हैं, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जोड़ी ने फिर से कमाल दिखाया।
चुनाव नतीजों में एनडीए ने कुल 199 सीटें जीत ली हैं, जो बहुमत के आंकड़े (122) से कहीं अधिक है। इसमें भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, जिसने 91 सीटें हासिल कीं। जनता दल (यूनाइटेड) ने 81 सीटें जीतीं, जबकि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 22, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) को 4 और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 2 सीटें मिलीं। एनडीए के इस प्रदर्शन को जनता ने विकास कार्यों का इनाम बताया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, “यह जीत बिहार की जनता का फैसला है। हमने जो वादा किया, उसे पूरा करेंगे।”
दूसरी ओर, महागठबंधन को महज 37 सीटें ही नसीब हुईं। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को 36 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को 1। एमजीबी के नेताओं ने हार स्वीकार करते हुए कहा कि वे जल्द ही विश्लेषण करेंगे। प्रसिद्ध रणनीतिकार प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी, जो सभी 243 सीटों पर लड़ी थी, एक भी सीट नहीं जीत सकी। हालांकि, असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने स्वतंत्र रूप से 5 सीटें जीतकर सीमांचल क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत की।
यह पूछे जाने पर कि बिहार चुनाव में कितनी पार्टियों के उम्मीदवारों को जीत मिली, चुनाव आयोग के डेटा से स्पष्ट है कि कुल 6 दलों ने सफलता पाई। एनडीए की चार सहयोगी पार्टियां (भाजपा, जेडीयू, एलजेएपी(आरवी), हम(एस), आरएलएम), एमजीबी की दो (आरजेडी, कांग्रेस) और एआईएमआईएम। जन सुराज और अन्य छोटी पार्टियां खाता खोलने में नाकाम रहीं।
इस बीच, उत्तर प्रदेश के मंत्री डेनिश आजाद अंसारी ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के ट्वीट पर तीखा प्रहार किया। अखिलेश ने मतदाता सूची संशोधन (एसआईआर) को “चुनावी साजिश” बताते हुए कहा था कि यह खेल बंगाल, तमिलनाडु और यूपी में नहीं चलेगा। जवाब में अंसारी ने लखनऊ में कहा, “बिहार में जो हुआ, वही पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और देश के अन्य राज्यों में होगा। विपक्ष कब जनता के फैसले का सम्मान सीखेगा? समाजवादी पार्टी को स्वीकार करना चाहिए कि जनता ने उन्हें ठुकरा दिया है। अगर वे इस हकीकत को मान लेते, तो विपक्ष को जनता में कुछ इज्जत मिलती। यह जीत पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार के काम का नतीजा है। बिहार की जनता को धन्यवाद, जिन्होंने विकास के लिए वोट दिया।”
चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि महिलाओं का 69-74 प्रतिशत मतदान और युवाओं का समर्थन एनडीए के पक्ष में गया। 2020 के मुकाबले एनडीए का वोट शेयर 48.3 प्रतिशत रहा, जबकि एमजीबी का 36.9 प्रतिशत। बिहार में अब नीतीश कुमार दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की तैयारी में हैं, जो राज्य की राजनीति में नया अध्याय जोड़ेगा।

