NDA’s historic victory news: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि विकास और सुशासन की राजनीति ही जनता का भरोसा जीत सकती है।
243 सीटों वाली इस सभा में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए 208 सीटों पर कब्जा जमा लिया, जबकि महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस-वाम दलों का गठजोड़) मात्र 28 सीटों तक सिमट गया। बहुमत के जादुई आंकड़े 122 को पार करते हुए एनडीए ने न केवल अपनी सत्ता बचाई, बल्कि राज्य की राजनीति में नया रिकॉर्ड कायम किया।
जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व पर अटूट विश्वास जताया, जो महिलाओं, युवाओं और पिछड़े वर्गों के बीच खासा लोकप्रिय साबित हुआ।
मतगणना सुबह 8 बजे शुरू होने के बाद दोपहर तक रुझान स्पष्ट हो गए। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, एनडीए की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 95 सीटें जीतीं, जबकि जनता दल (यूनाइटेड) या जेडीयू को 85 सीटें मिलीं।
चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) ने 19 सीटों पर धमाल मचाया, तो हम (एस) ने 4 सीटें हासिल कीं। दूसरी ओर, महागठबंधन में आरजेडी को 25 सीटें मिलीं, कांग्रेस मात्र 2 पर सिमट गई, और वाम दलों को कुछ छिटपुट सफलताएं ही नसीब हुईं। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी का डेब्यू फ्लॉप रहा, जो एक भी सीट नहीं जीत सकी। कुल 66.91 प्रतिशत मतदान के साथ यह चुनाव 1951 के बाद का सबसे ऊंचा मतदान प्रतिशत रहा।
प्रमुख विजेताओं का जलवा: एनडीए के सितारे चमके
एनडीए की जीत में कई उम्मीदवारों ने अपनी सीटों पर जबरदस्त प्रदर्शन किया। जेडीयू के अनंत कुमार सिंह ने पटना के मोकामा से 91,416 वोट हासिल कर आरजेडी की वीणा देवी को 28,206 वोटों के भारी अंतर से धूल चटा दी। जेल से बाहर आते ही सिंह की यह जीत बाहुबलियों की वापसी का संकेत देती है। इसी तरह, जेडीयू के महेश्वर हजारी ने समस्तीपुर के कल्याणपुर से सीपीआई(एमएल) के रंजीत कुमार राम को 38,586 वोटों से हराया, तो हरि नारायण सिंह ने हरनौत से 10वीं बार जीत दर्ज कर विकास यात्रा का श्रेय लिया।
बीजेपी के राणा रणधीर ने पूर्वी चंपारण के मधुबन से आरजेडी की संध्या रानी को 5,492 वोटों से पछाड़ा, जबकि राजू कुमार सिंह ने साहेबगंज से जीत हासिल की। लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवारों ने भी पश्चिम चंपारण और वैशाली में मजबूत पकड़ दिखाई। मैथिली ठाकुर जैसी नई उम्मीदवार ने अलीनगर से 7,309 वोटों से आरजेडी के बिनोद मिश्रा को हराकर बिहार की सबसे युवा विधायक बनने का गौरव हासिल किया। नीतीश कुमार की पत्नी मंजू सिंह ने शेखपुरा से आरजेडी के वरिष्ठ नेता अब्दुल बरि सिद्दीकी को 20,000 से अधिक वोटों से शिकस्त दी।
कुछ अन्य प्रमुख जीतों में जेडीयू की मनोरमा देवी ने बेलागंज से 2,882 वोटों से जीत दर्ज की, तो राम चंद्र सदा ने अलौली से सफलता पाई। एनडीए की यह लहर पूरे बिहार में फैली, खासकर यादव-मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी, जहां महिलाओं के 10,000 रुपये की सहायता योजना ने बड़ा रोल निभाया।
हारने वालों का सबक: तेजस्वी की उम्मीदें चूर, कांग्रेस का सफाया
महागठबंधन को इस चुनाव में करारा झटका लगा। तेज प्रताप यादव भी महुआ से लोक जनशक्ति पार्टी के संजय कुमार सिंह से 3,520 वोटों से पीछे रहे। केशरी लाल यादव को छपरा से बीजेपी की छोटी कुमारी ने पटकनी दी। फतुहा से आरजेडी के डॉ. रामानंद यादव ने 90,558 वोटों से लोक जनशक्ति पार्टी की रूपा कुमारी को 7,992 वोटों से हराया, जो महागठबंधन की एकमात्र बड़ी जीत रही।
कांग्रेस को सबसे बुरा हाल हुआ, जो 61 सीटों पर लड़ी लेकिन मात्र 2-7 सीटों तक सिमट गई। विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) का खाता भी नहीं खुला। अल्लाहाबाद माइनॉरिटी इम्पैक्ट मुस्लिम मेन (एआईएमआईएम) ने सीमांचल में 5 सीटें जीतीं, जो महागठबंधन के वोटों को बांटने का बड़ा कारण बनी। तेजस्वी की ‘रोजगार’ वाली अपील युवाओं तक नहीं पहुंची, जबकि एनडीए की ‘महिला-ईबीसी-युवा’ रणनीति काम आ गई।
राजनीतिक निहितार्थ: नीतीश की दसवीं सत्ता, बिहार का नया दौर
यह जीत नीतीश कुमार के लिए मील का पत्थर साबित हुई, जो दसवीं बार मुख्यमंत्री पद संभालने की ओर अग्रसर हैं। 20 साल की सत्ता के बावजूद एंटी-इनकंबेंसी को झाड़कर उन्होंने साबित किया कि बिहार अब ‘जंगलराज’ से ‘सुशासन बाबू’ की ओर बढ़ चुका है। पीएम मोदी की रैलियों ने एनडीए को एकजुट किया, जबकि महागठबंधन में गठबंधन की दरारें साफ नजर आईं। विपक्ष ने ‘वोट चोरी’ के आरोप लगाए, लेकिन चुनाव आयोग ने सभी प्रक्रियाओं को पारदर्शी बताया।
प्रशांत किशोर की जन सुराज को जनता ने ठुकरा दिया, जो उनकी भविष्य की राजनीति पर सवाल खड़े करता है। एनडीए की यह जीत न केवल बिहार, बल्कि आने वाले चुनावों के लिए एक मॉडल बनेगी। राज्य में अब विकास, शिक्षा और रोजगार पर फोकस बढ़ेगा। बिहार की जनता ने संदेश साफ दे दिया: ‘विकास ही धर्म है’।

