नाना पाटेकर ने ऑपरेशन सिंदूर के शिकार 117 परिवारों को 42 लाख रुपये की सहायता दी, भावुक होकर बोले- ‘ये हमारी जिम्मेदारी है’

Nana Patekar helped the families injured in Operation Sindoor: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता और समाजसेवी नाना पाटेकर ने जम्मू-कश्मीर के राजौरी और पूंछ जिलों में पाकिस्तानी गोलाबारी से प्रभावित 117 परिवारों को 42 लाख रुपये की सहायता राशि वितरित की। अपनी एनजीओ ‘नर्मला गजानन फाउंडेशन’ के बैनर तले भारतीय सेना के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में पाटेकर खुद प्रभावित परिवारों से मिले और उनके दर्द को साझा करते हुए भावुक नजर आए।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मई महीने में भारत-पाकिस्तान सीमा पर हुई तनावपूर्ण घटनाओं के बाद पाकिस्तानी सेना की ओर से की गई अंधाधुंध गोलाबारी से इन परिवारों को भारी नुकसान हुआ था। कई ने अपनों को खोया, तो कई के घर-बार तबाह हो गए। राजौरी के रैना ऑडिटोरियम में रविवार को आयोजित समारोह में पाटेकर ने व्यक्तिगत रूप से चेक सौंपे। उन्होंने कहा, “ये परिवार हमारा अपना हिस्सा हैं। सीमा पर रहने की वजह से इन्हें ये दुख झेलना पड़ा। अगर हम नहीं संभालेंगे, तो कौन करेगा? सरकार ने बहुत किया, लेकिन हमें भी खुद आगे आना चाहिए।”

विशेष रूप से पूंछ में एक 11वीं कक्षा की छात्रा जपनीत कौर से मिलने पर पाटेकर की आंखें नम हो गईं। जपनीत के पिता अमरीक सिंह गोलाबारी में शहीद हो गए थे। अभिनेता ने खुद उनकी पढ़ाई का खर्च उठाने का वादा किया। कार्यक्रम में 25वीं इन्फैंट्री डिवीजन के जीओसी मेजर जनरल कौशिक मुखर्जी, डिप्टी कमिश्नर राजौरी अभिषेक शर्मा और अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

नाना पाटेकर की एनजीओ नर्मला गजानन फाउंडेशन, जो उनके माता-पिता के नाम पर स्थापित है, शिक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण के क्षेत्र में सक्रिय है। इसने पहले भी कश्मीर, जम्मू और लद्दाख में 45 आर्मी गुडविल स्कूलों को गोद लिया है। फाउंडेशन के ट्रस्टीज के साथ पाटेकर ने राजौरी गैरीजन का दौरा किया और वितरण प्रक्रिया का जायजा लिया।

यह पहली बार नहीं है जब पाटेकर ने सीमा पर रहने वालों की मदद की हो। 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान भी उन्होंने बीएसएफ के साथ मिलकर सहायता कार्य किए थे। सोशल मीडिया पर #OperationSindoor #NanaPatekar #Rajouri #IndianArmy #JammuKashmir जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जहां लोग उनकी इस नेक पहल की सराहना कर रहे हैं।

यह घटना न केवल मानवीय संवेदना का प्रतीक है, बल्कि सीमा पर शांति और पुनर्वास की दिशा में एक सकारात्मक कदम भी। प्रभावित परिवारों ने पाटेकर और भारतीय सेना का आभार जताते हुए कहा कि यह सहायता उनके जीवन में नई उम्मीद जगाएगी।

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