आईपीएस पूरन कुमार की मौत पर सांसद चंद्रशेखर आज़ाद का सख्त रुख, न्यायिक जांच की मांग के साथ परिवार का साथ देने का किया ऐलान

Haryana/IPS Puran Kumar suicide news: हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की संदिग्ध मौत के मामले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। एडीजीपी रैंक के इस अधिकारी ने 9 अक्टूबर को चंडीगढ़ में अपनी सेवा क्वार्टर में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली, लेकिन उनके सुसाइड नोट में वरिष्ठ अधिकारियों पर उत्पीड़न और जातिगत भेदभाव के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस मामले ने न केवल प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है, बल्कि सामाजिक न्याय के पैरोकारों को भी सड़कों पर उतरने को मजबूर कर दिया है। आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने पीड़ित परिवार से मुलाकात के बाद कड़ा बयान जारी करते हुए कहा, “पूरन कुमार मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए।” उन्होंने परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने का ऐलान किया है।

चंद्रशेखर आज़ाद ने चंडीगढ़ में पूरन कुमार के परिवार से लंबी चर्चा की। मुलाकात के बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा, “यह घटना केवल एक व्यक्ति की मौत नहीं है, बल्कि पूरे कमजोर वर्गों के खिलाफ सिस्टम की साजिश का प्रतीक है। पूरन साहब जैसे ईमानदार अधिकारी, जो हमेशा अनुसूचित जातियों के प्रतिनिधित्व, पारदर्शिता और वरिष्ठता के अधिकारों पर आवाज उठाते रहे, आज सुरक्षित नहीं रह सकते। न राष्ट्रपति सुरक्षित हैं, न मुख्य न्यायाधीश, न ही एडीजीपी स्तर का कोई अधिकारी।”

सांसद ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा, “सरकार के इशारे पर पुलिस ने परिवार की अनुमति के बिना शव का पोस्टमॉर्टम कराया, जो बेहद निंदनीय है। जब इतने उच्च पद के अधिकारी को न्याय मिलने में इतनी देरी हो रही है, तो आम गरीब, दलित और पिछड़े वर्ग की क्या स्थिति होगी? यह चिंता का विषय है।”

पूरन कुमार का मामला बेहद संवेदनशील है। 1997 बैच के हरियाणा कैडर के इस अधिकारी ने अपने सुसाइड नोट में हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर समेत 15 अन्य अधिकारियों के नाम लिखे थे। नोट में उत्पीड़न, प्रमोशन में भेदभाव और कार्यालयी दबाव का जिक्र है। चंडीगढ़ पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज की है और आईजी पुष्पेंद्र कुमार की अगुवाई में छह सदस्यीय एसआईटी गठित की गई है। हालांकि, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और लैपटॉप की जांच में देरी से सवाल उठ रहे हैं। रोहतक में उनके गनमैन सुशील पर शराब ठेकेदार से रिश्वत लेने का आरोप है, जिसकी एसआईटी जांच कर रही है।

चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा, “परिवार ने हार नहीं मानी है। वे न्याय के लिए लड़ाई जारी रखेंगे और हम उनके साथ हैं। कल होने वाली पंचायत का फैसला जो भी हो—चाहे ‘जेल भरो’ आंदोलन का आह्वान हो—हम उसका पालन करेंगे।” उनके इस बयान ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है। कई कार्यकर्ताओं ने #JusticeForPuranKumarIPS का हवाला देते हुए कहा कि यह दलित और पिछड़े वर्गों के खिलाफ सिस्टम की मिलीभगत का उदाहरण है।

मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा, लेकिन विपक्षी दलों ने निष्पक्ष जांच की मांग की है। कांग्रेस नेता राव नरेंद्र सिंह ने तीन दिवसीय प्रदर्शन का ऐलान किया है, जबकि केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर निष्पक्ष जांच की सिफारिश की। पूर्व सांसद राजकुमार सैनी ने चंडीगढ़ में हुई महापंचायत में डीजीपी की गिरफ्तारी की मांग उठाई।

पूरन कुमार को ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ जैसी योजनाओं में योगदान के लिए जाना जाता था। उनकी मौत ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या प्रशासन में जातिगत भेदभाव अब भी बरकरार है? चंद्रशेखर आज़ाद का यह बयान न केवल परिवार को ताकत दे रहा है, बल्कि पूरे देश में न्याय की मांग को तेज कर रहा है। अब देखना है कि एसआईटी की जांच कब तक निष्कर्ष पर पहुंचती है।

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