Cancer/New Delhi News: कैंसर एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जो विश्व स्तर पर लाखों लोगों को प्रभावित कर रही है। हाल के आंकड़ों ने एक चौंकाने वाला तथ्य उजागर किया है| भारत में कैंसर के मामले महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अधिक देखे जा रहे हैं, लेकिन मृत्यु दर पुरुषों में ज्यादा है। इस विरोधाभास को समझने के लिए हमने सर गंगाराम अस्पताल के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के अध्यक्ष एवं प्रमुख प्रो. (डॉ.) चिंतामणि से बात की, जिन्होंने इस जटिल मुद्दे पर विस्तार से प्रकाश डाला।
महिलाओं में कैंसर के मामले क्यों ज्यादा?
प्रो. चिंतामणि के अनुसार, भारत में महिलाओं में कैंसर की उच्च दर का एक प्रमुख कारण सामाजिक और जैविक कारकों का मिश्रण है। महिलाओं में स्तन कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर, और डिम्बग्रंथि (ओवेरियन) कैंसर सबसे आम हैं। लैंसेट ऑन्कोलॉजी के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में महिलाओं में कैंसर की दर पुरुषों की तुलना में अधिक है, जो वैश्विक रुझान के विपरीत है। इसके पीछे कई कारण हैं:
1. जागरूकता की कमी और देर से निदान: भारतीय महिलाएं अक्सर अपनी स्वास्थ्य समस्याओं को नजरअंदाज करती हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। सामाजिक दबाव और पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण वे शुरुआती लक्षणों को गंभीरता से नहीं लेतीं। उदाहरण के लिए, स्तन में गांठ या असामान्य रक्तस्राव जैसे लक्षणों को अक्सर प्रीमेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम समझकर अनदेखा कर दिया जाता है।
2. हार्मोनल कारक: महिलाओं में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन स्तन और गर्भाशय के कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं। खासकर मेनोपॉज के बाद अधिक वजन वाली महिलाओं में उच्च एस्ट्रोजन स्तर के कारण स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
3. एचपीवी और अन्य जोखिम: गर्भाशय ग्रीवा कैंसर का प्रमुख कारण ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) है। भारत में एचपीवी टीकाकरण की पहुंच सीमित होने के कारण सर्वाइकल कैंसर के मामले अधिक हैं। प्रो. चिंतामणि ने बताया कि पंजाब और दिल्ली जैसे कुछ राज्यों में ही यह टीकाकरण कार्यक्रम प्रभावी है।
पुरुषों में मृत्यु दर ज्यादा क्यों?
हालांकि महिलाओं में कैंसर के मामले अधिक हैं, पुरुषों में मृत्यु दर अधिक होने के पीछे भी कई कारण हैं। प्रो. चिंतामणि ने निम्नलिखित बिंदुओं पर जोर दिया:
1. जीवनशैली और आदतें: पुरुषों में धूम्रपान, शराब का सेवन, और प्रोसेस्ड फूड की अधिक खपत जैसी आदतें आम हैं। ये आदतें फेफड़े, मुंह, गले, और प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम को बढ़ाती हैं। विशेष रूप से फेफड़ों का कैंसर, जो देर से पता चलता है, पुरुषों में मृत्यु का एक बड़ा कारण है।
2. नियमित जांच से परहेज: पुरुष अक्सर नियमित स्वास्थ्य जांच से बचते हैं और शुरुआती लक्षणों को अनदेखा करते हैं। प्रो. चिंतामणि ने बताया कि पुरुषों में मदद मांगने को कमजोरी समझने की प्रवृत्ति भी एक बड़ा कारण है। इससे कैंसर का निदान देर से होता है, जब इलाज की संभावना कम हो जाती है।
3. कैंसर के प्रकार और गंभीरता: पुरुषों में फेफड़े, प्रोस्टेट, और कोलन कैंसर जैसे गंभीर कैंसर अधिक देखे जाते हैं, जिनका मृत्यु दर पर सीधा प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, फेफड़ों के कैंसर का देर से पता चलना इसकी उच्च मृत्यु दर का कारण है, जबकि स्तन कैंसर के प्रारंभिक लक्षण आसानी से पहचाने जा सकते हैं।
प्रो. चिंतामणि की सलाह
प्रो. चिंतामणि ने जोर देकर कहा कि कैंसर से बचाव और इसकी मृत्यु दर को कम करने के लिए जागरूकता और समय पर जांच सबसे महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने सुझाव दिया:
• महिलाओं के लिए: नियमित रूप से स्तन स्व-परीक्षण, पैप स्मीयर टेस्ट, और एचपीवी टीकाकरण करवाएं। खासकर 20 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को हर माह स्तन परीक्षण करना चाहिए।
• पुरुषों के लिए: धूम्रपान और शराब से परहेज, नियमित व्यायाम, और प्रोस्टेट या फेफड़ों की स्क्रीनिंग पर ध्यान दें।
• सभी के लिए: संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और धूप की सही मात्रा इम्यूनिटी को मजबूत करती है, जो कैंसर के जोखिम को कम कर सकती है।
निष्कर्ष
प्रो. चिंतामणि ने बताया कि भारत में कैंसर की रोकथाम के लिए सामाजिक जागरूकता, बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, और टीकाकरण जैसे उपायों को बढ़ावा देना जरूरी है। महिलाओं में कैंसर के अधिक मामले और पुरुषों में उच्च मृत्यु दर दोनों ही गंभीर चुनौतियां हैं, जिनका समाधान तभी संभव है जब समाज और सरकार मिलकर काम करें। समय पर निदान और उपचार कैंसर के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार है।

