दिव्यांगों के सशक्तिकरण का प्रतीक मिट्टी कैफे

Mitti Cafe News: समाज के कमजोर वर्गों को मुख्यधारा से जोड़ने वाली एक अनोखी पहल के रूप में मिट्टी कैफे ने न केवल दिव्यांगों को रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं, बल्कि उनकी जिंदगी में आत्मसम्मान और स्वावलंबन का प्रकाश भी फैलाया है। यह गैर-लाभकारी संगठन, जो विशेष आवश्यकताओं वाले व्यक्तियों के लिए समर्पित है, आज देशभर में 37 से अधिक आउटलेट्स के साथ एक मिसाल पेश कर रहा है। मिट्टी कैफे की स्थापना अलीना आलम ने की है, जिन्होंने 2014 में इसकी शुरुआत दिल्ली से की थी। संगठन का मूल मंत्र है- “मिट्टी से निकले, मिट्टी में ही लौटना”, जो दिव्यांगों की क्षमताओं को उभारने और उन्हें सम्मानजनक जीवन प्रदान करने पर केंद्रित है।

मिट्टी कैफे की खासियत यह है कि यहां वेटर से लेकर कैशियर और मैनेजर तक सभी कर्मचारी दिव्यांग या आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से हैं। संगठन एक व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाता है, जिसमें शारीरिक, बौद्धिक और मानसिक विकलांगता वाले वयस्कों को कौशल सिखाए जाते हैं। ये कर्मचारी न केवल कैफे संभालते हैं, बल्कि ग्राहकों को मुस्कान के साथ स्वागत भी करते हैं। अब तक, मिट्टी कैफे ने 1,200 से अधिक दिव्यांगों को रोजगार दिया है, और उनके माध्यम से 11 मिलियन से ज्यादा भोजन परोसे जा चुके हैं। इसके अलावा, आर्थिक रूप से वंचित लोगों को 60 लाख भोजन वितरित किए गए हैं, जो संगठन की सामाजिक प्रतिबद्धता को दिखा रहा है।

देश की प्रमुख जगहों पर मिट्टी कैफे की मौजूदगी इसे और भी विशेष बनाती है। सुप्रीम कोर्ट में 2023 में शुरू हुआ यह कैफे, चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ द्वारा उद्घाटित किया गया था, जहां पूरी तरह दिव्यांग टीम संचालन करती है। राष्ट्रपति भवन में स्थित आउटलेट सस्ते दामों पर ताजा चाय (25 रुपये), फ्राइज (50 रुपये) और होममेड चॉकलेट केक जैसे व्यंजन परोसता है, जो छात्रों और पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। हाल ही में, दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में पहला मिट्टी कैफे खुला, जो दिव्यांगों के सपनों को पंख दे रहा है। मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भी नया आउटलेट शुरू हुआ है।

मिट्टी कैफे केवल कैफे नहीं, बल्कि सामाजिक एकीकरण का मंच है। संगठन जागरूकता सेमिनार आयोजित करता है, जो दिव्यांगों के अधिकारों पर प्रकाश डालते हैं। हाल ही में, अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी के बेटे जीत अडानी और उनकी मंगेतर दिवा शाह ने मुंबई के मिट्टी कैफे का दौरा किया। उन्होंने फाउंडर अलीना आलम और पूरी टीम को अपनी शादी में आमंत्रित किया, जो इस पहल की व्यापक स्वीकृति को बढ़ावा दिया है।

मिट्टी कैफे की सफलता समाज को संदेश देती है कि विकलांगता बाधा नहीं, बल्कि अवसर है। यदि आप भी इस प्रेरणादायक यात्रा का हिस्सा बनना चाहें, तो mitticafe.org पर जाकर योगदान दें या नजदीकी आउटलेट का दौरा करें। यह न केवल स्वादिष्ट भोजन देगा, बल्कि एक सकारात्मक बदलाव का अनुभव भी।

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