वोटिंग और ट्रस्टियों की भूमिका
पिछले सप्ताह एक सर्कुलर रिजॉल्यूशन के माध्यम से मिस्त्री की पुनर्नियुक्ति का प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन छह ट्रस्टियों में से तीन ने इसका विरोध किया। विरोध करने वाले ट्रस्टियों में टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन नोएल टाटा, टीवीएस ग्रुप के चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन और पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह शामिल हैं। वहीं, सिर दोराबजी टाटा ट्रस्ट में डेरियस खंबाटा और प्रमित झावेरी ने मिस्त्री के पक्ष में वोट किया, जबकि सिर रतन टाटा ट्रस्ट में खंबाटा और जहांगीर एचसी जहांगीर ने उनका समर्थन किया। मिस्त्री खुद अपनी पुनर्नियुक्ति पर वोट नहीं कर सकते थे, जिससे विरोधी पक्ष को बहुमत मिल गया।
यह विभाजन टाटा ट्रस्ट्स में बढ़ते मतभेदों को एक बार फिर उजागर कर दिया है, जहां परंपरागत रूप से फैसले सर्वसम्मति से लिए जाते थे। रतन टाटा के नेतृत्व में कभी वोटिंग की नौबत नहीं आई, लेकिन अब दो गुट साफ नजर आ रहे हैं: एक नोएल टाटा के नेतृत्व वाला और दूसरा मिस्त्री के नेतृत्व वाला, जिसमें रतन टाटा के वफादार शामिल हैं।
पृष्ठभूमि और हालिया घटनाएं
मिस्त्री को 2022 में ट्रस्ट में शामिल किया गया था और वे टाटा ट्रस्ट्स की चार सदस्यीय कार्यकारी समिति का हिस्सा थे, जिसकी अध्यक्षता नोएल टाटा करते हैं। टाटा ट्रस्ट्स कुल मिलाकर टाटा संस में 66 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं, जो टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी है। हाल ही में, ट्रस्टियों ने वेणु श्रीनिवासन की लाइफटाइम ट्रस्टी के रूप में पुनर्नियुक्ति को सर्वसम्मति से मंजूरी दी थी, जिसमें मिस्त्री ने भी समर्थन किया।
हालांकि, मिस्त्री और उनके समर्थकों ने शर्त रखी कि भविष्य में सभी ट्रस्टियों की पुनर्नियुक्ति सर्वसम्मति से होनी चाहिए, अन्यथा उनका समर्थन वापस ले लिया जाएगा।
यह विवाद तब और गहराया जब सितंबर 2025 में मिस्त्री गुट ने विजय सिंह की टाटा संस बोर्ड पर पुनर्नियुक्ति का विरोध किया, जिसके बाद सिंह को इस्तीफा देना पड़ा। इसके बदले में, नोएल टाटा और श्रीनिवासन ने मिस्त्री की टाटा संस बोर्ड पर उम्मीदवारी का विरोध किया। 17 अक्टूबर 2024 को ट्रस्ट्स ने एक रिजॉल्यूशन पास किया था, जिसमें ट्रस्टियों की पुनर्नियुक्ति को आजीवन बनाने का प्रावधान था, लेकिन अब इसकी व्याख्या पर मतभेद हैं।
प्रभाव और भविष्य की संभावनाएं
यह घटना टाटा ट्रस्ट्स में ‘लाइफ ट्रस्टीशिप’ की अवधारणा पर सवाल उठाती है। मिस्त्री गुट का मानना है कि एक बार पुनर्नियुक्ति के बाद ट्रस्टी आजीवन हो जाता है, जबकि विरोधी गुट इससे सहमत नहीं। मिस्त्री अब अपनी मंजूरी वापस ले सकते हैं या कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि नोएल टाटा अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं करेंगे।
मिस्त्री एम पल्लोनजी ग्रुप के प्रमोटर हैं, जिनके कारोबार में शिपिंग, ड्रेजिंग और ऑटो डीलरशिप शामिल हैं। वे शापूरजी पल्लोनजी परिवार से संबंधित हैं, लेकिन रिश्ते तनावपूर्ण हैं। यह घटना टाटा ग्रुप के इतिहास में दुर्लभ है, जो रतन टाटा के निधन के बाद ‘टाटा विरासत’ के सच्चे उत्तराधिकार पर बहस छेड़ सकती है। टाटा ट्रस्ट्स ने इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।

