मायावती को मुसलमानों की आई यादः उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुस्लिम मतदाता फिर केंद्र में या हो रही साजिश!

UP Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति में खासतौर से किसी भी पार्टी की सरकार बनवाने में मुसलमान मतदाता अहम भूमिका अदा करते थे। मगर पिछले 10 सालों से मुस्लिम मतदाताओं को पूरी तरह नगण्य साबित कर दिया गया है, लेकिन एक बार फिर से मुस्लिम मतदाता यूपी की राजनीति के केंद्र में आते दिख रहे हैं या यूं कहें कि मुस्लिम मतदाताओं को बांटकर दूसरे दलों को फायदा पहुंचाने की कोशिशे चल रही है। दरअसल बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावती ने एक महीने के अंदर चार बार बड़े कार्यक्रम कर डाले हैं। वैसे तो बसपा का विधानसभा और लोकसभा में प्रतिनिधित्व लगभग समाप्त हो गया है। ऐसे में हाथी को जनता के बीच दौड़ाना सुश्री मायावती के लिए एक चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है।

नेताओं को दी गई पीले रंग की एक फाइल

 

सोशल इंजीनियरिंग के जरिए उन्होंने उत्तर प्रदेश में सरकार बनाई थी। मुख्यमंत्री रहते हुए सुश्री मायावती ने जो काम मुसलमानों के लिए किए थे, अब उन्हें गिनवाने का समय आ गया है। इसीलिए जिला अध्यक्ष के सम्मेलन में लखनऊ पहुंचे करीब 600 नेताओं को पीले रंग की एक फाइल दी गई। जिसमे एक सूची है और इस सूची में ऐसे 100 काम बताए हैं जो मुसलमानों के लिए बसपा सरकार ने प्राथमिक तौर पर किए गए। इन्हीं सब कामों को लेकर मतदाताओं के बीच जाने के लिए बहन जी ने निर्देश दिए हैं। सुश्री मायावती ने समाजवादी पार्टी पर केवल मुसलमानों का हितैषी होने का दिखावा करने के बड़े आरोप लगाए हैं और कहा है कि यदि समाजवादी पार्टी ने मुसलमानों की भलाई के लिए काम किए है, तो वो बताएं। केवल वोट लेने के लिए ही सपा ने मुसलमानों का इस्तेमाल किया है। हालांकि अधिकतर चुनाव के बाद बसपा सुप्रीमो मुसलमानों का धन्यवाद करने की बजाय कहती नजर आती है हमें वोट नहीं दिया। इस बार उन्होंने अपना गणित बैठाया है दलितों के साथ साथ मुसलमानों को रखकर यूपी में सरकार बनाने के दावे पेश किए हैं। खैर एक बार फिर से मुसलमान मतदाता राजनीति में आ चुकें हैं लेकिन राजनीतिक जानकार कहते है मुसलमानों के वोट बिखेरने के लिए ये पूरी राजनीति हो रही है। यदि मुस्लिम वोट बिखरेंगे तो भाजपा को विशेष रूप से फायदा होगा इसलिए अब दिखावे के लिए मुस्लिम वोटरों को राजनीति के केंद्र में बताया जा रहा है।

 

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