शहीद हुए सैनिकः अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब, शादी का माहौल मातम में बदला
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शहीद हुए सैनिकः अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब, शादी का माहौल मातम में बदला

 

कारगिल के बटालिक सेक्टर में ड्यूटी के दौरान शहीद हुए सैनिक आलोक पाठक का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पहुंचा। इस दौरान लोगों की आंखें नाम की और परिवार वालों का रो रो कर बुरा हाल हो गया। 26 नवबंर को उनकी शादी होनी थी जिसको लेकर घर में तैयारी चल रही थी। उत्वस का माहौल मातम में बदल गया। सेना के अधिकारी उनके पार्थिव शरीर को ताबूत में लेकर यहां पहुंचे। इस दौरान भारत मां की जय और आलोक पाठक अमर रहे के नारे लगे और सलामी दी गई। भगीरथी गंगा घाट कछला पर सैनिक सम्मान के साथ उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया। चेतन वीर पाठक मूलतः बरेली जिले के फरीदपुर थाना क्षेत्र के गांव कादराबाद के के मोहल्ला अंबिकापुरी में रहते है उनके दो बेटे है एक संजय पाठक और दूसरे आलोक पाठक ।

उनके बड़े बेटे संजय पाठक भाजपा मंडल नगर मंत्री हैं जबकि आलोक पाठक सेना में 16 आरआर राजपूत रेजीमेंट में हवलदार के पद पर तैनात हुए। आलोक पाठक की 27 नवंबर को दातागंज की गूरा बरैला से शादी होनी थी। परिवार के लोग शादी तैयारियों में लगे थे रविवार को सूचना मिली थी बटालिक में ड्यूटी करते समय ग्लेशियल फट गया। जिसमें आलोक को चोटे आई। इसी बीच उनके सिर में चोट लगने के कारण उनकी हालत बेहद गंभीर हो गई। कारगिल के सेना अस्पताल ले जाया गया। जहा उनकें दिमाग की सर्जरी की गई। हालत में सुधार ना होने पर उन्हें उधमपुर अस्पताल ले जाया गया। जहां सोमवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। सूचना मिलते ही परिवार में शादी का माहौल मातम में बदल गया। उनके भाई संजीव पाठक अपने परिजनों के साथ उनके पार्थिव शरीर को बदायूं लेने के लिए सोमवार रात रवाना हुए। मंगलवार को करीब 9 बजे परिजनों के साथ सेना के अधिकारी उनके पार्थिव शरीर को लेकर उनके घर पहुंचे। जहां सैकड़ों की संख्या में रिश्तेदार, परिजन, परिचित और मोहल्ले वाले एकत्र हो गए। सैनिक सम्मान के साथ उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई। भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस बल की डयूटी लगाई गई। इस दौरान नोएडा प्राधिकरण में कार्यरत हिमांशु अत्री भी पहुंचे। क्योंकि आलोक पाठक साले थे।
उनके जीजा हिमांशु ने बताया जैसे ही उन्हें इस बात की सूचना मिली तो वे पूरे परिवार के साथ नोएडा से बदायूं पहुंच गए।
उनके घर पर श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा है। यहां आने वाले लोगों की आंखें नम थी लेकिन लोग दर्द बयां नहीं कर पा रहे थे।

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