मराठा आरक्षण आंदोलन, मनोज जरांगे का मुंबई में भूख हड़ताल, हजारों समर्थकों का मिला समर्थन

Mumbai/Maratha Reservation Movement News: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। मराठा समुदाय के नेता और सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल ने जालना जिले के अपने पैतृक गांव अंतरवाली सराटी से शुरू हुए “चलो मुंबई” मार्च के बाद, मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है। यह आंदोलन मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिलाने की मांग को लेकर है।

27 अगस्त से शुरू हुआ मार्च
मनोज जरांगे ने 27 अगस्त को जालना से अपने मार्च की शुरुआत की थी, जो पुणे के ऐतिहासिक शिवनेरी किले से होकर गुजरा। इस दौरान समर्थकों ने किले की मिट्टी माथे पर लगाकर संघर्ष का संकल्प लिया। शुक्रवार, 29 अगस्त को हजारों समर्थकों के साथ जरांगे मुंबई के आजाद मैदान पहुंचे, जहां उन्होंने भूख हड़ताल शुरू की। जरांगे ने इसे “आखिरी लड़ाई” करार देते हुए कहा कि जब तक मराठा समुदाय को ओबीसी कोटे में आरक्षण नहीं मिलता, वे पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने मांग की है कि सभी मराठों को कुनबी के रूप में मान्यता दी जाए, जो ओबीसी श्रेणी में शामिल एक कृषक जाति है।

मुंबई पुलिस की शर्तें और समर्थकों की भीड़
मुंबई पुलिस ने जरांगे को आजाद मैदान में सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति दी थी, जिसमें अधिकतम 5,000 लोग शामिल हो सकते थे। हालांकि, जरांगे और उनके समर्थकों ने इस शर्त को अस्वीकार कर दिया और कहा कि वे तब तक मैदान नहीं छोड़ेंगे जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं। भारी बारिश के बावजूद, महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों, विशेष रूप से मराठवाड़ा क्षेत्र (बीड, लातूर, नांदेड़, परभणी, और उस्मानाबाद) से हजारों लोग उनके समर्थन में आजाद मैदान पहुंचे। प्रदर्शनकारियों को बारिश, कीचड़, और बुनियादी सुविधाओं जैसे शौचालय और पीने के पानी की कमी का सामना करना पड़ा, जिसके लिए जरांगे ने सरकार की आलोचना की।

जरांगे का सरकार पर हमला
जरांगे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर मराठा समुदाय को परेशान करने और ओबीसी-मराठा के बीच दरार पैदा करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “हम ओबीसी कोटे को कम करने की मांग नहीं कर रहे, बल्कि मराठा समुदाय का हक मांग रहे हैं।” जरांगे ने यह भी चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द फैसला नहीं लिया, तो वे अगले दो दिनों में पानी पीना भी बंद कर देंगे। उन्होंने फडणवीस पर मराठा समाज को भड़काने और पुलिस के जरिए प्रदर्शनकारियों को परेशान करने का भी आरोप लगाया। इसके साथ ही, उन्होंने 2023 में महादेव मुंडे हत्याकांड का जिक्र करते हुए पुलिस से इस मामले की जांच पर ध्यान देने की मांग की।

सरकार और विपक्ष की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उनकी सरकार ने मराठा समुदाय को पहले ही 10% आरक्षण दिया है, जिसे अदालत ने भी मान्यता दी है। हालांकि, उन्होंने ओबीसी कोटे में मराठों को शामिल करने की मांग का विरोध किया, क्योंकि इसमें पहले से ही 350 जातियां शामिल हैं। फडणवीस ने आश्वासन दिया कि सरकार संवैधानिक ढांचे के भीतर समाधान खोजने के लिए तैयार है और प्रदर्शनकारियों से सम्मानजनक बातचीत करेगी। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि मराठा आरक्षण ओबीसी कोटे की कीमत पर नहीं दिया जाएगा, और सरकार कानूनी प्रक्रिया का पालन करेगी।
विपक्षी दलों, विशेष रूप से शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत और कांग्रेस के हर्षवर्धन सापकाल ने जरांगे के आंदोलन का समर्थन किया। राउत ने फडणवीस पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया, जबकि सापकाल ने 50% आरक्षण की सीमा हटाने की वकालत की। इसके अलावा, बीजेपी विधायक समाधान आवताडे ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर मराठा आरक्षण पर चर्चा के लिए विशेष सत्र बुलाने की मांग की।

ओबीसी समुदाय का विरोध
मराठा आरक्षण की मांग ने ओबीसी समुदाय में भी बेचैनी पैदा की है। ओबीसी नेता लक्ष्मण हाके ने जरांगे के आंदोलन को “असंवैधानिक” करार देते हुए चेतावनी दी कि यदि मराठों को ओबीसी कोटे में शामिल किया गया, तो ओबीसी समुदाय भी सड़कों पर उतरेगा। उन्होंने कहा कि मराठा समुदाय ने अपनी पिछड़ेपन की स्थिति को साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया है।

आंदोलन का प्रभाव
आजाद मैदान में जरांगे के अनशन और हजारों समर्थकों की मौजूदगी ने दक्षिण मुंबई में यातायात को पूरी तरह ठप कर दिया। छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) के आसपास भारी भीड़ के कारण यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। मुंबई पुलिस ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए 1,000 से अधिक पुलिसकर्मियों और महाराष्ट्र सुरक्षा बल की टुकड़ियों को तैनात किया है।
जरांगे की मांगें
• मराठा समुदाय को ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण, जिसमें सभी मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र दिया जाए।
• मराठा आंदोलन से संबंधित सभी पुलिस मामले वापस लिए जाएं।
• कुनबी प्रमाणपत्रों की जांच के लिए शिंदे समिति का विस्तार और तालुका स्तर पर वंशावली समिति का गठन।
• मराठा समुदाय के लिए मुफ्त शिक्षा (केजी से पीजी) तब तक, जब तक आरक्षण लागू नहीं होता।

आगे की राह
जरांगे ने साफ कर दिया है कि वे और उनके समर्थक तब तक मुंबई नहीं छोड़ेंगे, जब तक मराठा आरक्षण की मांग पूरी नहीं होती। उन्होंने कहा, “चाहे जेल हो या गोली, मैं पीछे नहीं हटूंगा।” दूसरी ओर, सरकार ने संवाद का रास्ता खुला रखा है, लेकिन ओबीसी और मराठा समुदायों के बीच तनाव बढ़ने की आशंका बनी हुई है। यह आंदोलन महाराष्ट्र की सियासत में एक बड़ा मोड़ ला सकता है, खासकर आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए।

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