Mansa Devi Temple: मनसा देवी मंदिर में भगदड़ से मचा हाहाकार , 6 श्रद्धालुओं की मौत, प्रशासन में हड़कंप

Mansa Devi Temple:

Mansa Devi Temple: हरिद्वार। पवित्र श्रावण माह में हरिद्वार के प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में रविवार सुबह हुए एक भीषण हादसे ने श्रद्धालुओं की आस्था को झकझोर कर रख दिया। दर्शन के लिए उमड़ी अपार भीड़ के कारण मंदिर परिसर में अचानक भगदड़ मच गई, जिसमें 6 श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल बताए जा रहे हैं। हादसे के बाद मौके पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया और चीख-पुकार मच गई।

Mansa Devi Temple:

सुबह के समय हुआ हादसा, भीड़ पर काबू नहीं पा सका प्रशासन

श्रावण रविवार होने के कारण सुबह से ही मनसा देवी मंदिर में हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच गए थे। करीब साढ़े आठ बजे के आसपास, मंदिर की चढ़ाई वाले रास्ते और मुख्य प्रांगण में जबरदस्त भीड़ जमा हो गई। सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन की तैयारी नाकाफी साबित हुई और इसी दौरान अचानक भगदड़ मच गई

मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि कुछ महिलाएं और बुजुर्ग लोग नीचे गिर गए, जिसके बाद भगदड़ और तेज हो गई। इसी दौरान 6 श्रद्धालुओं की जान चली गई, जिनमें से अधिकांश महिलाएं बताई जा रही हैं। कई अन्य को चोटें आई हैं जिन्हें नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

प्रशासनिक अमला मौके पर, जांच के आदेश

गढ़वाल मंडल आयुक्त विनय शंकर पांडे ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि “मनसा देवी मंदिर में हुई भगदड़ में 6 लोगों की मौत की सूचना मिली है। मैं खुद मौके के लिए रवाना हो गया हूं। राहत एवं बचाव कार्य जारी है।”

पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं और स्थिति को नियंत्रण में लाने की कोशिश की जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हादसे पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं और मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की घोषणा की है।

इतिहास और मान्यता: समुद्र मंथन से जुड़ी है मनसा देवी की कथा

हरिद्वार की ऊंची पहाड़ी पर स्थित मनसा देवी मंदिर उत्तर भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। इसका निर्माण 1811 से 1815 के बीच राजा गोला सिंह द्वारा कराया गया था। मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय अमृत की कुछ बूंदें इस स्थान पर गिरी थीं, जिसके कारण यह क्षेत्र शक्ति से पूरित माना गया।

मंदिर में माता की दो विशेष प्रतिमाएं विराजमान हैं — एक में माता के तीन मुख और पांच भुजाएं हैं, जबकि दूसरी में आठ भुजाएं हैं। श्रावण मास में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है, विशेषकर रविवार और सोमवार को।

सवालों के घेरे में सुरक्षा व्यवस्था

हरिद्वार जैसे धार्मिक पर्यटन स्थलों पर हर वर्ष लाखों श्रद्धालु आते हैं। ऐसे में इस प्रकार की घटनाएं प्रशासन की तैयारी और व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। क्या प्रशासन ने पहले से भीड़ का अनुमान नहीं लगाया था? क्या श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त पुलिस बल और बैरिकेडिंग की गई थी?

स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं में गहरा आक्रोश देखा जा रहा है। कई लोगों ने मंदिर प्रबंधन और जिला प्रशासन की लापरवाही को हादसे का जिम्मेदार बताया है।

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