पवन सिंह के विधानसभा चुनाव न लड़ने पर मनोज तिवारी ने खोली पोल, बोले- ‘पार्टी के लिए बड़ा नुकसान’

Pawan Singh/Manoj Tiwari, Bihar Elections: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं, लेकिन भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह के राजनीतिक सफर ने एक नया मोड़ ले लिया है। हाल ही में पवन सिंह ने स्पष्ट कर दिया कि वे आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। इस फैसले के पीछे की ‘अंदरूनी बात’ बीजेपी सांसद और भोजपुरी स्टार मनोज तिवारी ने खोल दी है। तिवारी ने कहा कि पवन का चुनाव न लड़ना पार्टी के लिए बड़ा नुकसान है, लेकिन वे बीजेपी के ‘सिपाही’ के रूप में पूरे जोश के साथ प्रचार करेंगे।

पवन सिंह, जो भोजपुरी सिनेमा के ‘पावर स्टार’ के नाम से मशहूर हैं, ने 11 अक्टूबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर कर घोषणा की, “मैं पवन सिंह अपनी भोजपुरी बिरादरी को बताना चाहता हूं कि मैं किसी भी पार्टी में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए शामिल नहीं हुआ था, न ही मैं विधानसभा चुनाव लड़ने का इरादा रखता हूं।” उन्होंने जोड़ा कि वे राजनीति में सत्ता के लिए नहीं, बल्कि सेवा के लिए आए हैं और बीजेपी के एक सच्चे कार्यकर्ता के रूप में बिहार को मोदी-नीतीश के सपनों का बिहार बनाने में अपनी पूरी ताकत लगाएंगे।

इस घोषणा से पहले पवन सिंह को लेकर राजनीतिक हलकों में खासी हलचल थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में वे करकट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़े थे, जहां उन्होंने एनडीए के उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा को कड़ी टक्कर दी और 2.78 लाख वोट हासिल किए। इस लड़ाई ने शाहाबाद क्षेत्र की चार लोकसभा सीटों (करकट, आरा, बक्सर और सासाराम) पर एनडीए को भारी नुकसान पहुंचाया था। पवन की निर्दलीय उम्मीदवारी से राजपूत और कुशवाहा वोटों का बंटवारा हुआ, जिसकी वजह से एनडीए यहां हार गया। बाद में पवन को बीजेपी ने फिर से अपनी गोद में ले लिया। वे हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उपेंद्र कुशवाहा से मिले थे, जिससे अटकलें तेज हो गई थीं कि उन्हें आरा या करकट विधानसभा सीट से टिकट मिल सकता है।

लेकिन बीजेपी बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने साफ कर दिया कि पवन सिंह बीजेपी में ही रहेंगे और चुनाव में एनडीए के लिए सक्रिय रूप से काम करेंगे। तावड़े ने कहा, “पवन जी बीजेपी में हैं और रहेंगे। उपेंद्र कुशवाहा ने उन्हें आशीर्वाद दिया है। वे एक बीजेपी कार्यकर्ता के रूप में पूरे जोर-शोर से प्रचार करेंगे।”

अब इस बीच मनोज तिवारी ने एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में पवन के फैसले पर खुलकर बात की। तिवारी, जो खुद भोजपुरी इंडस्ट्री से बीजेपी सांसद बने हैं, ने कहा, “पवन भाई का चुनाव न लड़ना पार्टी के लिए बड़ा नुकसान है। उनकी स्टारडम और फैन फॉलोइंग शाहाबाद और मगध क्षेत्र में एनडीए के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती थी। 2024 में उनकी वजह से हमें चारों सीटें गंवानी पड़ीं, लेकिन अब वे हमारे साथ हैं। वे चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन स्टेज पर उतरेंगे और राजपूत-कुशवाहा वोटों को एकजुट करेंगे। यह फैसला व्यक्तिगत है, शायद वे अपनी फिल्मी करियर पर फोकस करना चाहते हैं।” तिवारी ने पवन की तारीफ करते हुए कहा कि भोजपुरी स्टार्स जैसे पवन, निरहुआ (दिनेश लाल यादव) और खुद वे राजनीति में सेवा के लिए आते हैं, न कि सिर्फ सत्ता के लिए।

पवन सिंह का यह फैसला बिहार चुनावी समीकरण को प्रभावित कर सकता है। शाहाबाद क्षेत्र में 22 विधानसभा सीटें हैं, जहां राजपूत वोटों का दबदबा है। पवन की वापसी से एनडीए को उम्मीद थी कि वे इन सीटों पर पलटवार करेंगे, लेकिन अब उनका रोल प्रचारक का होगा। विपक्षी महागठबंधन ने इसे बीजेपी की ‘आंतरिक कलह’ का संकेत बताया है। आरजेडी नेता मनोज झा ने ट्वीट किया, “पवन सिंह का टिकट कैंसिल? बीजेपी में स्टार्स की लाइन लगी है, लेकिन टिकट की गारंटी नहीं।”

वहीं, पवन की पत्नी ज्योति सिंह ने भी फरवरी में विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की थी, लेकिन अब वह भी चुप हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पवन का यह कदम बीजेपी को मजबूत तो करेगा, लेकिन उम्मीदवार चयन में नई चुनौतियां पैदा कर सकता है। बिहार चुनाव दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को होंगे, जबकि मतगणना 14 नवंबर को होगी।

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