मनोज जरांगे ने समाप्त किया अनशन, सरकार ने मानीं कई मांगें; ‘हम जीत गए’ का जश्न

Maratha Reservation News: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर पिछले पांच दिनों से मुंबई के आजाद मैदान में अनशन पर बैठे कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल ने मंगलवार (2 सितंबर 2025) को अपना अनशन समाप्त कर दिया। जरांगे ने इसे मराठा समाज की ‘ऐतिहासिक जीत’ करार दिया और कहा कि राज्य सरकार ने उनकी ज्यादातर मांगें मान ली हैं। सरकार की ओर से जारी सरकारी आदेश (जीआर) में मराठा समुदाय के पात्र सदस्यों को कुणबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने, आंदोलन से जुड़े केस वापस लेने और पीड़ित परिवारों को सहायता देने का वादा किया गया है। इस फैसले से मराठा समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई, लेकिन विपक्ष ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं।

जरांगे पाटिल का बयान: ‘मराठा विजय हुआ, अब खुशी से घर लौटें’
अनशन समाप्त करने के बाद जरांगे ने समर्थकों से कहा, “हम जीत गए हैं, राजे! जीआर मिलने के एक घंटे के अंदर हम मुंबई छोड़ देंगे।” उन्होंने बताया कि सरकार ने उनकी 8 में से 6 मांगें मान ली हैं, जिसमें हैदराबाद गजेटियर को कुणबी प्रमाण के लिए प्रमाण मानना, मराठवाड़ा के मराठाओं को ओबीसी कोटा का लाभ और रिश्तेदारों (सगे-सोयरे) को आरक्षण का विस्तार शामिल है। जरांगे ने समर्थकों से अपील की कि वे रात 9 बजे तक आजाद मैदान खाली कर दें। अनशन के दौरान उनकी सेहत बिगड़ गई थी, लेकिन उन्होंने कहा कि यह संघर्ष गरीब मराठा किसानों की न्याय की लड़ाई थी। अनशन समाप्त करने के मौके पर मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने उन्हें पानी पिलाया, और समर्थकों ने ‘मराठा विजय’ के नारे लगाए।

आम मराठी लोगों ने इस फैसले को बड़ी राहत के रूप में देखा। कई सोशल मीडिया पोस्ट्स में मराठा समर्थकों ने इसे ‘ऐतिहासिक जीत’ बताया और कहा कि यह दशकों की लड़ाई का नतीजा है। एक यूजर ने लिखा, “मराठा आंदोलन की जीत! गरीब किसान मराठाओं को अब न्याय मिलेगा।” मुंबई में ट्रैफिक जाम और असुविधा के बावजूद, कई स्थानीय निवासियों ने कहा कि यह आंदोलन किसानों की संकट की आवाज था, न कि सिर्फ आरक्षण की मांग। हालांकि, कुछ ने शिकायत की कि विरोध प्रदर्शन से शहर की दिनचर्या प्रभावित हुई, लेकिन कुल मिलाकर मराठा समाज में उत्साह है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी जरांगे को 3 सितंबर तक मैदान में रहने की अनुमति दी थी, जिसके बाद समर्थक शांतिपूर्वक लौटने लगे।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अनशन समाप्त होने पर कहा कि सरकार मराठा और ओबीसी दोनों समुदायों के लिए निष्पक्षता सुनिश्चित करेगी। उन्होंने बताया कि हैदराबाद गजेटियर को प्रमाण के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे पात्र मराठाओं को कुणबी प्रमाण पत्र मिल सके। सरकार ने कैबिनेट सब-कमिटी बनाई, जिसने जरांगे से बात की और जीआर जारी किया। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इसे सकारात्मक कदम बताया और कहा कि इससे मराठा समुदाय को लाभ होगा। सत्ता पक्ष ने जोर दिया कि यह फैसला विधानसभा चुनाव से पहले लिया गया है, ताकि सामाजिक न्याय सुनिश्चित हो।

विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने कहा, “जरांगे पाटिल और उनके साथी 5 साल से आंदोलन कर रहे हैं लेकिन सरकार इस मामले में कोई सीरियसली विचार कर रही है, ऐसा मुझे नहीं लगता। सरकार ने दो बार जीआर निकाला, आश्वासन दिया। दो बार उन्हें कुछ नहीं दिया गया। अभी सरकार कह रही है कि वह आरक्षण देंगे। अगर वह देती है तो बहुत अच्छा है वरना असर बुरा होगा। मराठा समाज के जो लोग आए थे वह गरीब मराठा है। अमीर मराठा को आरक्षण की जरूरत नहीं…” अन्य विपक्षी नेताओं ने भी कहा कि सरकार ने चुनावी दबाव में फैसला लिया, लेकिन असली अमल पर सवाल हैं।
यह आंदोलन महाराष्ट्र की राजनीति में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, जहां मराठा आरक्षण का मुद्दा लंबे समय से गूंज रहा है। सरकार ने दो महीने का समय मांगा है, लेकिन जरांगे ने चेतावनी दी कि अगर अमल नहीं हुआ तो फिर संघर्ष होगा।

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