मणिपुर हिंसाः सुप्रीम कोर्ट ने भी माना, एफआईआर दर्ज करने में काफी देर हुई

चीफ जस्टिस आॅफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली बेंच ने मणिपुर में हो रही हिंसा पर सुनवाई की। महिलाओं की ओर से पेश हुए वकील निजाम पाशा के आवेदन पर गौर किया, जिसमें कहा गया था कि महिलाओं को आज दिन में सीबीआई के सामने बयान दर्ज करने के लिए बुलाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज मणिपुर में महिलाओं के यौन उत्पीड़न और वायरल वीडियो मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि एक बात तो साफ है कि मामले में एफआईआर दर्ज करने में काफी देर हुई। मणिपुर में एक महिला को कार से निकालकर बेटे के सामने मार देने की घटना का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह 4 मई को हुआ था, लेकिन मामले में एफआईआर सात जुलाई को दर्ज हुई।

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चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने मणिपुर सरकार को घेरते हुए कहा कि सिर्फ एक-दो एफआईआर के अलावा कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। जांच भी ढीली ढाली रही। एफआईआर दो महीने बाद दर्ज हुईं और बयान तक दर्ज नहीं किए गए। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में यौन उत्पीड़न की पीड़ित और निर्वस्त्र कर घुमाई गई। महिलाओं के वायरल वीडियो मामले में सीबीआई को निर्देश दिया कि एजेंसी उनके बयान दर्ज न करे। सर्वोच्च न्यायालय ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि कोर्ट इस मामले पर दोपहर दो बजे सुनवाई करेगा।

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वही आज चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली बेंच ने महिलाओं की ओर से पेश हुए वकील निजाम पाशा के आवेदन पर गौर किया, जिसमें कहा गया था कि महिलाओं को आज दिन में सीबीआई के सामने बयान दर्ज करने के लिए बुलाया गया है। हालांकि, केंद्र और मणिपुर सरकार की ओर से पेश हुए वकील एसजी तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस मामले को कोर्ट लगातार सुनावाई कर पीड़ितों को इंसाफ दिला सकता है।

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