घटना गुरुवार को दरभंगा के अलीनगर विधानसभा क्षेत्र में हुई, जहां मैथिली ठाकुर चुनावी प्रचार के सिलसिले में पहुंची थीं। 25 वर्षीय मैथिली, जो मैथिली और भोजपुरी संगीत की जानी-मानी कलाकार हैं, को BJP ने अलीनगर सीट से उम्मीदवार बनाया है। वे बिहार की सबसे युवा प्रत्याशियों में से एक हैं और पार्टी ने उनकी लोकप्रियता को युवा वोटरों को आकर्षित करने के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश की है। लेकिन इस इंटरव्यू ने उनकी राजनीतिक परीक्षा ले ली।
एक जाने में रिपोर्टर, जो बिहार के ग्रामीण मुद्दों पर गहन रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते हैं, ने मैथिली से बिहार के युवाओं की मजबूरी पर सवाल किया। उन्होंने पूछा, “बिहार के युवा राज्य के बाहर पलायन करने को मजबूर क्यों हैं? क्या उन्हें यहां रोजगार और शिक्षा के बेहतर अवसर नहीं मिलने चाहिए? दशकों पुरानी राजनीतिक वादों के बावजूद बेरोजगारी क्यों बनी हुई है?” नीरज ने डेटा का हवाला देते हुए कहा कि बिहार से प्रतिवर्ष लाखों युवा दिल्ली, मुंबई और अन्य शहरों में मजदूरी के लिए जाते हैं, जबकि राज्य में औद्योगिक विकास ठप्प पड़ा है।
मैथिली ठाकुर शुरू में शांत रहीं और अपनी कलाकार पहचान को राजनीति से जोड़ते हुए जवाब देने की कोशिश कीं। लेकिन जैसे-जैसे सवाल तीखे हुए—जैसे कि “NDA सरकार के 20 सालों में बिहार के लिए क्या ठोस कदम उठाए गए?”—वे असहज नजर आईं। आखिरकार, उन्होंने इंटरव्यू को बीच में रोक दिया और मंच छोड़कर चली गईं। वीडियो में साफ दिख रहा है कि वे नाराजगी जाहिर करते हुए कहती हैं, “ये सवाल मेरी क्षमता से बाहर हैं, मैं यहां सेवा करने आई हूं, न कि बहस करने।”
यह वीडियो यूट्यूब पर एक चैनल पर अपलोड किया गया है, जो अब तक लाखों व्यूज बटोर चुका है। सोशल मीडिया पर यूजर्स ने इसे “सेलिब्रिटी उम्मीदवारों की असलियत” बताते हुए मीम्स और कमेंट्स की बाढ़ ला दी है। एक यूजर ने लिखा, “गाना गाने से आसान है, लेकिन बिहार के दर्द को समझना मुश्किल।” वहीं, कुछ BJP समर्थक इसे “पत्रकार की गुंडागर्दी” बता रहे हैं।
मैथिली ठाकुर का राजनीति में प्रवेश हाल ही का है। अक्टूबर 2025 में उन्होंने BJP जॉइन की थी और अलीनगर से टिकट पाया। वे कहती हैं कि उनका मकसद बिहार के विकास और मैथिली संस्कृति को बढ़ावा देना है, न कि राजनीतिक खेल खेलना। लेकिन यह घटना सवाल उठाती है कि क्या सेलिब्रिटी चेहरे बिहार के कोर इश्यूज—जैसे 40% से अधिक युवा बेरोजगार होना और सालाना 20 लाख से ज्यादा पलायन—का सामना करने को तैयार हैं? विशेषज्ञों का मानना है कि यह वाकया विपक्ष को हथियार दे सकता है, खासकर RJD और महागठबंधन को, जो रोजगार गारंटी पर जोर दे रहे हैं।
रिपोर्टर ने बाद में एक स्टेटमेंट में कहा, “मेरा मकसद किसी को असहज करना नहीं था, बल्कि बिहार के साधारण लोगों की आवाज उठाना था। राजनीति में जवाबदेही जरूरी है।” यह घटना बिहार चुनाव के पहले चरण (6 नवंबर) से ठीक पहले आई है, जब अलीनगर सहित कई सीटों पर वोटिंग होनी है। क्या यह वॉकआउट मैथिली की छवि को नुकसान पहुंचाएगा या फिर युवा वोटरों को जागृत करेगा? आने वाले दिनों में इसका असर साफ दिखेगा।

