विवादों में फँसीं मैथिली ठाकुर और केतकी सिंह: मिथिला का ‘पाग’ पर बढ़ा विवाद, जानिये क्यों है इतना महत्वपूर्ण?

Maithili Thakur/Ketaki Singh Bihar Assembly Election News: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियों के बीच मिथिलांचल में एक छोटी-सी घटना ने बड़ा सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। दरभंगा जिले के अलीनगर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी प्रत्याशी और प्रसिद्ध लोक गायिका मैथिली ठाकुर के प्रचार कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश की बीजेपी विधायक केतकी सिंह ने मिथिला की सांस्कृतिक धरोहर ‘पाग’ को मंच से फेंक दिया। इस हरकत ने स्थानीय लोगों में गुस्से की लहर दौड़ा दी है, और विपक्षी दल इसे ‘मिथिला की अस्मिता पर हमला’ बताकर इमोशनल कार्ड खेलने में जुट गए हैं। लेकिन सवाल उठता है—मिथिला का यह ‘पाग’ आखिर इतना अहम क्यों है? आइए, इस विवाद की पूरी कहानी समझें।

विवाद की शुरुआत: प्रचार मंच पर क्या हुआ?
एनडीए कार्यकर्ता सम्मेलन में यूपी के बांसडीह से बीजेपी विधायक केतकी सिंह का पारंपरिक मिथिला पाग पहनाकर स्वागत किया गया। मंच पर मैथिली ठाकुर और अन्य नेता मौजूद थे। भाषण के दौरान केतकी सिंह ने पाग को हाथ में उठाया और भीड़ से पूछा, “ये क्या है?” जवाब आया— “मिथिला का सम्मान।” इस पर केतकी ने तुरंत पाग उतार लिया और टेबल पर फेंकते हुए कहा, “नहीं, मिथिला का सम्मान ये (पाग) नहीं है… ये (मैथिली ठाकुर की ओर इशारा करते हुए) मिथिला का असली सम्मान हैं।”

यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद मिथिला के लोगों में भारी आक्रोश फैल गया। कई लोगों का मानना है कि यह न सिर्फ पाग का अपमान है, बल्कि पूरी मिथिला संस्कृति पर चोट। मैथिली ठाकुर खुद मौके पर मौजूद थीं, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा, जिससे विवाद और गहरा गया। X (पूर्व ट्विटर) पर #MithilaPagControversy ट्रेंड कर रहा है, जहाँ यूजर्स लिख रहे हैं, “चुनाव जीतने के लिए मिथिला का स्वाभिमान दाँव पर लगाना?”

केतकी सिंह की सफाई: ‘मेरा इरादा अपमान का नहीं था’
विवाद बढ़ते ही केतकी सिंह ने सफाई दी। उन्होंने कहा, “मैंने पाग का अपमान नहीं किया, बल्कि मैथिली ठाकुर जैसी बेटी को मिथिला का सम्मान बताया। हम क्षत्रिय हैं, ब्राह्मण हमारे लिए पूजनीय हैं। मैथिली भी मिथिला की बेटी हैं, उनका सम्मान पाग जितना ही है।” सफाई देते हुए केतकी खुद सिर पर मिथिला पाग पहने नजर आईं। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, “उनके पास मुद्दे नहीं हैं, इसलिए छोटी बातों को तूल दे रहे हैं।”

विपक्ष का हमला: ‘मिथिला का अपमान बर्दाश्त नहीं’
विपक्ष ने इस मुद्दे को हाथों-हाथ लिया। RJD ने मैथिली भाषा में सोशल मीडिया कैंपेन चलाया, जिसमें लिखा— “पाग सिर पर धारण करने वाला वस्त्र मात्र नहीं, मिथिला के सम्मान, संस्कार और अस्मिता का प्रतीक है।” RJD प्रत्याशी विनोद मिश्रा ने कहा, “मिथिला की शान का अपमान किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं।” कांग्रेस ने इसे “बीजेपी की घटिया सोच” बताया और पीएम मोदी से माफी की मांग की। AAP और अन्य दलों ने भी हमला बोला, “मोदी जी आज मिथिला में हैं, क्या माफी मांगेंगे?”
मैथिली ठाकुर पर भी सवाल उठे। कुछ यूजर्स ने कहा, “मैथिली ने चुप्पी साध ली, जबकि वे खुद मिथिला की बेटी हैं।” एक पोस्ट में लिखा— “कल मैथिली पाग में मखाना खा रही थीं, आज इसका अपमान हो रहा है तो चुप हैं?”

मिथिला का ‘पाग’: सम्मान और पहचान का प्रतीक
अब सवाल— यह ‘पाग’ इतना क्यों खास है? मिथिला क्षेत्र (बिहार-झारखंड के दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर आदि जिलों में फैला) में ‘पाग’ एक पारंपरिक सिर ढकने वाला वस्त्र है, जो रंग-बिरंगे धागों से बुना जाता है। यह सिर्फ पगड़ी नहीं, बल्कि मिथिला की सांस्कृतिक अस्मिता का प्रतीक है।

• सांस्कृतिक महत्व: मिथिला में पाग को सम्मान, गौरव और परंपरा से जोड़ा जाता है। हर रंग का अपना मतलब— लाल रंग विवाह या उत्सव का, पीला धार्मिक महत्व का। मैथिली भाषा और मधुबनी पेंटिंग्स की तरह, पाग भी मिथिला की पहचान है। पुरुषों द्वारा पहना जाने वाला यह वस्त्र सामाजिक समारोहों में अनिवार्य होता है।

• ऐतिहासिक जड़ें: मिथिला की राजसी परंपरा से जुड़ा, पाग राजा-महाराजाओं से लेकर आम आदमी तक का हिस्सा रहा। यह मैथिल ब्राह्मणों और अन्य समुदायों की एकता का प्रतीक है। आधुनिक समय में भी, इसे पहनना मिथिला के स्वाभिमान से जुड़ा है।

विपक्ष का कहना है कि बाहरी नेता (केतकी सिंह यूपी से हैं) को मिथिला की संस्कृति की समझ नहीं, जबकि बीजेपी इसे ‘मैथिली के सम्मान’ का प्रयास बताती है।

सियासी नुकसान या फायदा?
यह विवाद अलीनगर चुनाव को प्रभावित कर सकता है, जहाँ मैथिली ठाकुर का मुकाबला RJD के विनोद मिश्रा से है। मिथिला के वोटर भावुक हैं— संस्कृति से छेड़छाड़ पर नाराजगी आसानी से वोटों में बदल सकती है। आज ही पीएम मोदी समस्तीपुर में पाग पहने नजर आए, जो शायद डैमेज कंट्रोल का प्रयास है। लेकिन सवाल बाकी है— क्या यह विवाद चुनावी लाभ देगा या बीजेपी के लिए नुकसान?

मिथिला की यह घटना सिखाती है कि सियासत में संस्कृति को दाँव पर लगाना कितना जोखिम भरा है। मैथिली ठाकुर जैसी कलाकार राजनीति में उतरें तो उम्मीदें बढ़ती हैं, लेकिन ऐसे विवाद उम्मीदों पर पानी फेर देते हैं। फिलहाल, मिथिला के लोग कह रहे हैं— “पाग हमारा सम्मान है, इसे फेंकना माफ नहीं!”

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