भारतीय जांच एजेंसियों को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि इंटरपोल के रेड कॉर्नर नोटिस के बावजूद उनका प्रत्यर्पण रुक गया। सूत्रों के अनुसार, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने भारत को न तो उप्पल का ठिकाना बताया है और न ही प्रत्यर्पण प्रक्रिया में सहयोग किया।
केस की शुरुआत: 2018 में सट्टेबाजी का साम्राज्य
महादेव बेटिंग ऐप का कारोबार 2018 में छत्तीसगढ़ के भिलाई निवासी रवि उप्पल और उनके पार्टनर सौरभ चंद्राकर ने मिलकर शुरू किया था। दोनों ने दुबई को अपना मुख्यालय बनाया और वानुअतु द्वीप समूह में नागरिकता हासिल कर ली। ऐप के जरिए अवैध सट्टेबाजी का नेटवर्क फैलाया गया, जिसमें प्रतिदिन 200 करोड़ रुपये तक का मुनाफा होने का दावा किया जाता है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अनुसार, इस सिंडिकेट ने मनी लॉन्ड्रिंग, हवाला और रिश्वतखोरी के जरिए हजारों करोड़ रुपये की कमाई की। छत्तीसगढ़ पुलिस ने 2022 में पहली एफआईआर दर्ज की, जिसमें उप्पल और चंद्राकर को मुख्य आरोपी बनाया गया। ईडी ने मुंबई, कोलकाता और भोपाल में छापेमारी कर 417 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी।
दुबई में गिरफ्तारी और रिहाई का ड्रामा
दिसंबर 2023 में इंटरपोल के रेड कॉर्नर नोटिस पर दुबई पुलिस ने रवि उप्पल को गिरफ्तार किया। उनके साथ दो अन्य सहयोगी भी पकड़े गए। भारतीय एजेंसियां प्रत्यर्पण के लिए दस्तावेज जमा करने में जुट गईं, लेकिन प्रक्रिया लंबी खिंच गई। 45 दिनों बाद उप्पल को रिहा कर दिया गया, हालांकि कथित तौर पर उन पर निगरानी रखी जा रही थी। ईडी का दावा है कि सभी जरूरी दस्तावेज समय पर भेजे गए थे, लेकिन यूएई ने देरी बरती।
अगस्त 2025 में दोनों आरोपियों ने गिरफ्तारी वारंट रद्द करने की अर्जी दाखिल की, जिसकी सुनवाई 3 नवंबर को होनी थी। लेकिन अब उप्पल के लापता होने से मामला और जटिल हो गया है।
लापता उप्पल: वानुअतु या कहीं और?
सूत्रों के हवाले से खबर है कि उप्पल को यूएई से किसी अज्ञात जगह ले जाया गया है। 2024 में ईडी को पता चला था कि उप्पल और चंद्राकर ने वानुअतु (दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित) का पासपोर्ट हासिल कर लिया है। संभावना है कि उप्पल वहीं भागे हों, लेकिन पुष्टि नहीं हुई। दूसरी ओर, सौरभ चंद्राकर अभी भी दुबई में यूएई अधिकारियों की हिरासत में हैं। सीबीआई ने अगस्त 2025 में छत्तीसगढ़ पुलिस की एफआईआर को अपने हाथ में ले लिया है और संयुक्त जांच कर रही है।
राजनीतिक कनेक्शन और आगे की कार्रवाई
इस केस में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य कश्यप का नाम भी आया था, जिन्हें ईडी ने ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजा। आरोप है कि सट्टेबाजी के पैसे से नौकरशाहों और नेताओं को रिश्वत दी जाती थी। ईडी और सीबीआई अब उप्पल की तलाश में इंटरनल नेटवर्क और वानुअतु सरकार से संपर्क कर रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला अंतरराष्ट्रीय अपराध नेटवर्क को उजागर कर सकता है।
मोदी सरकार ने पहले ही महादेव सहित 22 अवैध सट्टेबाजी ऐप्स को ब्लॉक कर दिया है, लेकिन उप्पल के फरार होने से टेंशन बढ़ गई है। जांच एजेंसियां उम्मीद कर रही हैं कि जल्द ही उप्पल को ट्रैक कर भारत लाया जा सकेगा। यह घटना ऑनलाइन जुआ के खतरे को फिर से रेखांकित करती है।

