महाकुंभ में युवाओं की बढ़ती भागीदारी
प्रधानमंत्री मोदी ने महाकुंभ में युवाओं की बढ़ती भागीदारी का जिक्र करते हुए कहा, “जब युवा पीढ़ी अपनी सभ्यता के साथ गर्व से जुड़ जाती है, तो उसकी सभ्यतागत जड़ें और मजबूत होती हैं, और तब उसका स्वर्णिम भविष्य भी सुनिश्चित हो जाता है।” उन्होंने युवाओं को अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ने का आह्वान किया और कहा कि यह उनकी सामाजिक और राष्ट्रीय पहचान को मजबूत करने में मदद करता है।
राष्ट्रीय मतदाता दिवस का जिक्र
प्रधानमंत्री मोदी ने 25 जनवरी को मनाए जाने वाले राष्ट्रीय मतदाता दिवस का भी उल्लेख किया और इसे महत्वपूर्ण बताया, क्योंकि इसी दिन भारतीय निर्वाचन आयोग की स्थापना हुई थी। उन्होंने इस दिन की महत्वता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह लोकतंत्र की मजबूती और नागरिकों की जिम्मेदारी को दर्शाता है।
Man Kee Baat: कुंभ, पुष्करम और गंगा सागर मेले का महत्व
प्रधानमंत्री ने कुंभ, पुष्करम और गंगा सागर मेले का जिक्र करते हुए कहा कि ये सभी पर्व सामाजिक मेलजोल, सद्भाव और एकता को बढ़ावा देने वाले हैं। “कुंभ में दक्षिण, पश्चिम और हर कोने से लोग आते हैं, गरीब और अमीर सब एक हो जाते हैं और संगम में डुबकी लगाते हैं। एक साथ भंडारे में प्रसाद ग्रहण करते हैं। यही कुंभ का असली उद्देश्य है,” उन्होंने कहा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुंभ का आयोजन हमें यह बताता है कि हमारी परंपराएं पूरे भारत को एक सूत्र में बांधने का काम करती हैं। इस बार महाकुंभ में युवाओं की भागीदारी ने इसे और भी व्यापक बना दिया है, जो देश की सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक है।
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ का जिक्र
पीएम मोदी ने कार्यक्रम में अयोध्या में राम मंदिर में राम लाल की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ का भी उल्लेख किया और इसे भारत की सांस्कृतिक चेतना की पुनः प्रतिष्ठा की द्वादशी करार दिया। उन्होंने कहा, “हमें विकास के रास्ते पर चलते हुए अपनी विरासत को सहेजते हुए आगे बढ़ना है और उससे प्रेरणा लेते हुए समाज को आगे बढ़ाना है।”
प्रधानमंत्री मोदी के इन विचारों से यह स्पष्ट हो गया कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह सामाजिक समरसता, एकता और भारत की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बन चुका है।