Magh Purnima: मंदाकिनी में 5 लाख से अधिक ने लगायी श्रद्धा की डुबकी

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Magh Purnima: चित्रकूट: उत्तर प्रदेश के पौराणिक तीर्थ स्थल चित्रकूट में बुधवार को माघ पूर्णिमा के पावन पर्व पर मंदाकिनी नदी में 5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाकर कामदगिरि की परिक्रमा लगाई। प्रयाग स्नान के बाद श्रद्धालुओं की संख्या चित्रकूट की तरफ लगातार बढ़ती जा रही है। पुलिस एवं प्रशासन ने व्यवस्था के व्यापक व्यवस्था की है।

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चित्रकूट में महाकुंभ में पड़ने वाले माघ पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व होता है क्योंकि इस दिन स्वयं प्रयागराज चित्रकूट स्नान करने आते है। चित्रकूट के महान कथावाचक नवलेश दीक्षित ने यूनीवार्ता को बताया कि महाकुंभ में जब सारे तीरथ प्रयागराज में एकत्रित होते हैं तो उस समय केवल चित्रकूट एक ऐसा तीर्थ है जो प्रयागराज नहीं जाता है ऐसी मान्यता है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपनी रामचरितमानस में भी चित्रकूट को एक अचल तीर्थ बताया है और इसे अचल तीर्थ कहते हुए कहा है कि चित्रकूट” गिरी अचल अहेरी” जिसको प्रभु श्री राम का आशीर्वाद प्राप्त है।
साधु संतों की मान्यता के अनुसार जब चित्रकूट प्रयागराज नहीं गए तो प्रयागराज ने भगवान शंकर से इसकी शिकायत की तब भगवान शंकर ने प्रयागराज को बताया कि आप प्रयागराज हो परंतु चित्रकूट राघव प्रयाग है जहां प्रभु श्री राम का निवास है। “चित्रकूट सब दिन बसंत प्रभु श्री लखन समेत ” आपको स्वयं चित्रकूट जाना होगा तब से ऐसी मान्यता है कि जब जब कुंभ और महाकुंभ पड़ता है जब तमाम सारे श्रद्धालु अपने पापों को प्रयागराज में धोते हैं तो उन पापों को नष्ट करने के लिए आपको स्वयं चित्रकूट के राघव प्रयाग घाट में स्नान करना होगा मान्यता के अनुसार प्रयागराज काले घोड़े में बैठकर के राघव प्रयाग घाट में डुबकी लगाते हैं और श्वेत घोड़े के रूप में निकलकर बाहर आते हैं दूध की धारा का प्रकट होना इसी का प्रतीक स्वरूप माना जाता रहा है ।

इस बात की जानकारी जिन-जिन श्रद्धालुओं को है वे सभी प्रयागराज में स्नान करने के बाद चित्रकूट में भी स्नान करने आते हैं।
फिलहाल चित्रकूट के चारों तरफ पड़ने वाले सभी तीर्थ स्थान में श्रद्धालुओं की भारी संख्या दिखाई पड़ रही है। भरत कूप, सती अनसूया आश्रम, गुप्त गोदावरी, जानकी कुंड, प्रमोद वन और रामघाट में श्रद्धालुओं का खासा जमावड़ा लगा हुआ है।

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