सड़कों का बुरा हाल, शिव विहार मेट्रो स्टेशन के पास गड्ढों और जलभराव, जनजीवन हुआ अस्त-व्यस्त

Loni Border News: दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के लोनी बॉर्डर इलाके में सड़कों की बदहाली ने स्थानीय निवासियों का जीना मुहाल कर दिया है। खासकर शिव विहार मेट्रो स्टेशन के आसपास की सड़कें, गहरे गड्ढों और जलभराव के कारण पूरी तरह जर्जर हो चुकी हैं। हर बरसात में यह समस्या और गंभीर हो जाती है, जिससे लोगों का रोजमर्रा का जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि सालों से इस क्षेत्र में सड़कों की मरम्मत या सुधार के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। शिव विहार मेट्रो स्टेशन के पास सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे और बारिश का जमा पानी न केवल आवागमन में मुश्किल का कारण बना रहा है, बल्कि हादसों का खतरा भी बढ़ाव दे रहा है। लोनी बॉर्डर पर उत्तर प्रदेश की ओर सड़कों की हालत और भी दयनीय है, जहां कीचड़ और गड्ढों ने यात्रियों और वाहन चालकों की परेशानी को दोगुना कर दिया है।

स्थानीय निवासी रमेश कुमार ने बताया, “हर साल बारिश में यही हाल होता है। सड़कें टूट जाती हैं, पानी भर जाता है, और गड्ढों की वजह से पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। हमने कई बार प्रशासन से शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती।” एक अन्य निवासी, शालिनी देवी ने कहा, “मेट्रो स्टेशन के पास की सड़क इतनी खराब है कि बच्चे और बुजुर्गों को आने-जाने में डर लगता है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।”

यह इलाका दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सीमा पर होने के कारण प्रशासनिक जिम्मेदारी को लेकर भी असमंजस की स्थिति बनी रहती है। लोगों का आरोप है कि दोनों राज्यों की सरकारें एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर पल्ला झाड़ लेती हैं।

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता अनिल शर्मा ने कहा, “यह समस्या सालों पुरानी है। सरकार को चाहिए कि सड़कों की मरम्मत के लिए स्थायी समाधान निकाला जाए। अस्थायी मरम्मत से कुछ समय के लिए राहत मिलती है, लेकिन बारिश में फिर वही हाल हो जाता है।”

लोनी बॉर्डर और शिव विहार मेट्रो स्टेशन के आसपास की यह स्थिति न केवल स्थानीय निवासियों, बल्कि दिल्ली-यूपी के बीच रोजाना सफर करने वाले हजारों लोगों के लिए भी परेशानी का कारण बनी हुई है। लोगों ने मांग की है कि प्रशासन जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान करे और सड़कों की मरम्मत के साथ-साथ जल निकासी की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करे।

प्रशासन की ओर से अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। स्थानीय लोग अब इस उम्मीद में हैं कि उनकी आवाज सरकार तक पहुंचेगी और इस समस्या का स्थायी समाधान निकलेगा।

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