London News: ब्रिटेन में वैज्ञानिक एक अभूतपूर्व परियोजना पर लगातार काम कर रहे हैं, जिसमें हाथियों सहित कई लुप्तप्राय जानवरों के संरक्षण के लिए उनके मल से प्राप्त जीवित कोशिकाओं का उपयोग किया जाएगा। यह पहल भविष्य में इन प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
इस परियोजना का उद्देश्य जानवरों के आनुवंशिक सामग्री को संरक्षित करना है, खासकर उन प्रजातियों के लिए जो गंभीर रूप से खतरे में हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि मल में मौजूद कोशिकाएं, जो आमतौर पर अपशिष्ट मानी जाती हैं, वास्तव में मूल्यवान आनुवंशिक जानकारी रखती हैं। इन कोशिकाओं को एकत्र करके, उनका विश्लेषण किया जा सकता है और भविष्य के प्रजनन कार्यक्रमों या यहां तक कि ‘डी-विलुप्तिकरण’ (de-extinction) प्रयासों के लिए भी उपयोग किया जा सकता है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि यह तरीका जानवरों के लिए कम आक्रामक है, क्योंकि कोशिकाओं को प्राप्त करने के लिए उन्हें पकड़ने या बेहोश करने की आवश्यकता नहीं होगी। यह विशेष रूप से बड़े और संवेदनशील जानवरों जैसे हाथियों के लिए फायदेमंद है, जिनके साथ सीधे संपर्क में आना मुश्किल और तनावपूर्ण हो सकता है।
परियोजना में शामिल एक प्रमुख वैज्ञानिक ने कहा, “यह एक गेम-चेंजर हो सकता है। हम सिर्फ अपशिष्ट को नहीं देख रहे हैं, बल्कि हम भविष्य की पीढ़ियों के लिए जीवन के निर्माण खंडों को संरक्षित करने का एक नया तरीका ढूंढ रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा कि यह तकनीक उन प्रजातियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होगी जिनकी आबादी तेजी से घट रही है और जिनके प्राकृतिक आवास खतरे में हैं।
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