Lok Sabha Elections: बिजनौर सांसद मलूक नागर BSP छोड़कर RLD में हुए शामिल
Lok Sabha Elections: नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले मायावती को बड़ा झटका लगा है। बिजनौर से सांसद मलूक नागर ने बीएसपी से इस्तीफा दे दिया है। पार्टी ने इस बार बिजनौर सीट से नागर का टिकट काटकर चौधरी ब्रिजेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया है। मलूक नागर के पहले ही बसपा छोड़ने की खबरें आई थीं, लेकिन बिजनौर से टिकट कटने के बाद उन्होंने अब अपना इस्तीफा मायावती को भेज दिया है।
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सांसद ने बसपा प्रमुख मायावती के नाम एक अन्य पत्र में लिखा, ”हमारे परिवार में करीब पिछले 39 वर्षों से लगातार कांग्रेस व बसपा द्वारा कई बार ब्लॉक प्रमुख व कई बार चेयरमैन जिला परिषद/अध्यक्ष जिला पंचायत व कई बार विधायक (M.L.A/M.L.C) व उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री व देश में सांसद लगातार रहते आ रहे हैं, इस करीब 39 वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ कि हम विधायक भी नहीं लड़ पाए और सांसद भी नहीं लड़ पाए।
मलूक नागर की गिनती मायावती के भरोसेमंद नेताओं में होती थी. 2009 और 2014 में मेरठ और बिजनौर सीट से चुनाव हारने के बाद भी बीएसपी सुप्रीमो ने उन पर भरोसा जताया था और 2019 में फिर बिजनौर से प्रत्याशी बनाया था. सपा के साथ गठबंधन का फायदा मिलने की वजह से उन्हें जीत मिली और वो संसद में पहुंचे. इसके अलावा मलूक नागर की गिनती यूपी के सबसे अमीर सांसदों में भी होती है. इससे पहले अंबेडकरनगर से सांसद रितेश पांडेय, लालगंज से पहली बार सांसद बनी संगीता आजाद और गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी बीएसपी छोड़ चुके हैं. रितेश पांडेय और संगीता आजाद ने बीजेपी ज्वाइन कर ली है. जबकि कुंवर दानिश अली कांग्रेस में चले गए हैं. वहीं अफजाल अंसारी को गाजीपुर से सपा ने टिकट दिया है.
MP दानिश अली को बीएसपी ने निकाला
इसके अलावा अमरोहा से सांसद कुंवर दानिश अली भी पार्टी से बाहर जा चुके हैं. संसद में उनके खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया था. जिसको लेकर कांग्रेस पार्टी ने उनका साथ दिया था. कांग्रेस की बढ़ती नजदीकियों की वजह से मायावती ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था. हालांकि अब वो कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए हैं और कांग्रेस ने उन्हें एक बार फिर अमरोहा से अपना उम्मीदवार बनाया है.
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं. पिछले चुनाव में बीएसपी और समाजवादी पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा था, जिसमें बीएसपी को 10 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं समाजवादी पार्टी सिर्फ पांच सीटें ही जीत सकी थी. इस चुनाव के बाद दोनों ही पार्टियों ने अपना गठबंधन तोड़ लिया था.
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