Lok Sabha Election: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2024 चुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी। उन्होंने सपा के ट्रेनिंग अभियान के प्लान में भी बदलाव किया है। बांदा में दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में अखिलेश और शिवपाल ने नताओं और कार्यकर्ताओं को लोकसभा चुनाव जीतने का मंत्र दिया। उनको ट्रेनिंग दी। इतना ही यही नहीं, राम गोपाल यादव और डिंपल यादव को भी प्रशिक्षण की जिम्मेदारी दी गई है।
बता दें कि मुलायम सिंह यादव के बिना अखिलेश का यह पहला सबसे बड़ा चुनाव है। ऐसे में अखिलेश ने यूपी की 80 लोकसभा सीट में 35 जिताऊ जिले के कार्यकर्ताओं को ट्रेंड करने पर फोकस किया है। यानी, सपा अपनी एनर्जी उन जिलों में ज्यादा लगा रही है, जहां उसको जीत की ज्यादा उम्मीदें हैं। सूत्र बताते हैं कि लोकसभा में 35 सीटें ऐसी हैं, जिन पर सपा की मजबूत पकड़ है। इन सीटों पर सपा या तो जीतती रही है या फिर दूसरे नंबर पर अपनी जगह बनाकर रखी है। यही कारण है कि अखिलेश ने बांदा से कार्यकर्ताओं को ट्रेंड करने का अभियान शुरू किया। बांदा में 16-17 अगस्त, फतेहपुर में 17-18 अगस्त और फिरोजाबाद में 20-21 अगस्त को होने वाले प्रशिक्षण शिविर में अखिलेश शामिल होंगे।जातीय समीकरण समझने के लिए सबसे पहले बांदा के बारे में पढ़ते हैं। क्योंकि, अभी सपा का ट्रेनिंग शिविर यहीं चल रहा है।
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2019 में बांदा लोकसभा में सपा का उम्मीदवार दूसरे नंबर पर था। अब तक 16 बार हुए लोकसभा चुनाव में बांदा में दो बार सपा को जीत मिली है। 2004 और 2009 में सपा प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। 2014 की मोदी लहर में भाजपा के भैरव प्रसाद मिश्रा ने जीत दर्ज की। 2019 के चुनाव में सपा सांसद रहे आरके पटेल बीजेपी में शामिल हो गए। उन्होंने सपा के सिंबल पर चुनाव जीतने वाले श्यामा चरण गुप्ता को हराया। अल्पसंख्यक, पिछड़ा और दलित पर केन्द्रित करते हुए सपा जातीय उम्मीदवारों की तीन सूची तैयार कर रही है। जातीय समीकरण में वोट बैंक के अलावा गठबंधन में मिली सीट पर भी सपा फोकस कर रही है।इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे में अभी वक्त है। इसलिए अखिलेश यादव संवाद के जरिए मतदाताओं को सपा से जोड़ने में लगे हैं। उन्होंने अब बूथ मैनेजमेंट का माइक्रो प्लान तैयार किया है। इसके जरिए बूथ कमेटियों ने फ्लोटिंग वोट को जोड़ने का अभियान शुरू कर दिया है। वोटरों को समाजवादी विचारधारा से जुड़ने अभियान चलाया जाएंगा है।
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इन्हें सपा सरकार की उपलब्धियां व सत्ता पक्ष की नाकामियों बताकर उन्हें अपने पाले में लाया जाए। यह सब ट्रेनिंग अभियान में दिखाया जा रहा है। सपा की निगाह फ्लोटिंग वोट पर है। यह वह वोटर होते हैं, जो किसी दल से प्रतिबद्ध नहीं होते हैं और किसे वोट देंगे इसको लेकर असमंजस में रहता है। पार्टी ने हर बूथ पर 10 सदस्यों की कमेटी बनाई है। इसमें ओबीसी, दलित और अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व खास तौर पर दिया गया है। इस कमेटी के सदस्यों से कहा गया है कि वह अपने बूथ पर कम से कम 100 वोटरों से संपर्क कर उन्हें सपा के बारे में बताएं और सुनिश्चित करें कि वह चुनाव में सपा का साथ देगा। खैर प्लान कितना कामयाब होगा ये तो वक्त बताएंगा।