Lok Sabha Election: गौतमबुद्धनगर सीट पर ताकत झोंक रहे भाजपा, सपा व बसपा के प्रत्याशी
Lok Sabha Election: सात चरणों में होने वाला लोकसभा चुनाव का पहला चरण पूरा हो गया है। अब 26 अप्रैल को होने वाले दूसरे चरण की बारी है। आठ सीटों पर होने वाले इस चुनाव में गौतमबुद्धनगर सीट भी शामिल है। नोएडा में इस बार कुछ अलग ही नजारा देखने को मिलेगा। भाजपा, सपा और बसपा तीनों की दलों ने जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए इस सीट पर दांव खेला है। सपा ने गुर्जर वोटों को साधने के लिए डॉ. महेंद्र नागर को चुनौवी मैदान में उतारा है तो वहीं बसपा ने ठाकुर मतदाताओं को लुभाने के लिए राजेंद्र सोलंकी पर दांव लगाया है, जबकि भाजपा सर्वण समाज के वोटों को हासिल करने के लिए मौजूदा सांसद और प्रत्याशी डॉ. महेश शर्मा पर भरोसा जताया है। करीब 26 लाख वोटरों वाली इस सीट पर गुर्जर और ठाकुर का वर्चस्व ज्यादा है
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ब्राह्मण वोटरों का भी एक छत्र इस सीट पर कब्जा है, हालांकि यहां हमेशा ठाकुर वोटर की निर्णायक की भूमिका में रहे हैं। राजपूत समाज भाजपा से नाराजगी भी देखी गई है। पिछले दिनों राजपूत समाज ने इसको लेकर एक बड़ी पंचायत भी की थी, जिसमें राजपूत समाज ने भाजपा का जमकर विरोध जताया था। इसको देखते हुए इस बार भाजपा के लिए ये सीट चुनौती बन सकती है। बसपा प्रमुख मायावती का इस सीट से गहरा नाता रहा है। मायावती का ग्रेटर नोएडा में बादलपुर पैतृत्व गांव है।, इस लिहाज से बसपा प्रमुख मायावती का गौतमबुद्धनगर गृह जनपद भी है, लेकिन पिछले दो बार के चुनाव में बसपा को यहां केवल हार ही मिली है। इसके पीछे की वजह ब्राह्मण से नाराजगी बताई जा रही है। भाजपा और बसपा का समीकरण देखने के बाद सपा इस सीट पर खुश होना लाजमी है। सपा ने जिस प्रत्याशी को यहां से उतारा है उसका गुर्जर समाज में खासी पैठ बताई जाती है। हालांकि ये तो चुनाव नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा कि इस बार साइकिल दौड़ेगी या फिर मायावती को पैतृक गांव का फायदा मिलेगा। Gautam Buddha Nagar Lok Sabha Seat
कल प्रत्याशियों का मूल्याकंन करेंगे मतदाता
कोई यह आरोप लगाता रहा कि अमुक पार्टी तो सिर्फ उद्घाटन की पार्टी है। प्रचार रफ्तार पकड़ते ही भ्रष्टाचार व स्थानीय मुद्दों ने भी जगह ली। अब कल फैसले की घड़ी है, जिसमें प्रत्याशियों के दावे, वादे व मुद्दों का मूल्यांकन मतदाता करेंगे। गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट पर चुनावी एलान के बाद भाजपा, सपा, बसपा के प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे।
गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट के पांच विधानसभा नोएडा, दादरी, जेवर, सिकंदराबाद, खुर्जा वाली लोस सीट पर पहले सप्ताह शांति रही, पर पार्टी के प्रत्याशियों घोषित होते ही लोस क्षेत्र में हुए विकास को अपना-अपना बता कर दावा ठोकना शुरू किया।
इस मुद्दे ने कुछ खास असर नहीं छोड़ा, क्योंकि ज्यों ज्यों चुनावी प्रचार आगे बढ़ा, चुनावी मुद्दों में बदलाव होना शुरू हुआ। विकास का मुद्दे ने दो सप्ताह में ही दम तोड़ दिया।
गौतमबुनगर में कौन कब लड़ा चुनाव Gautam Buddha Nagar Lok Sabha Seat
गाजियाबाद और बुलंदशहर को अलग करके 6 सितंबर 1997 को बनी गौतमनगर लोकसभा सीट 2009 में पहली बार अस्तित्व में आई थी। यहां अब तक तीन लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। परसीमन के बाद बनी इस लोकसभा सीट पर पहले चुनाव में बसपा ने जीत दर्ज की थी। उस समय मायावती ने सुरेंद्र सिंह नागर को मैदान में उतारा था। उन्होंने डॉ महेश शर्मा को हराया, वहीं सपा की तरफ से नरेंद्र भाटी तीसरे नंबर पर रहे। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में स्थितियां बदल गई। इस चुनाव में बसपा को यूपी में एक सीट भी नहीं मिली थी। भाजपा से महेश शर्मा यहां से पहली बार सांसद चुने गए। यहां सपा से उनका सीधा मुकाबला हुआ, वहीं बसपा तीसरे नंबर पर खिसक गई। 2019 में भी कुछ ऐसा ही हाल रहा। इस सीट पर भाजपा ने फिर कमल खिलाया और डॉ. महेश शर्मा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे।
गौतमबुद्धनगर का समीकरण
गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट में पांच विधानसभाएं आती हैं। इसमें नोएडा, दादरी, जेवर के अलावा सिकंदराबाद और खुर्जा विधानसभा को शामिल किया गया। गौतम बुद्ध नगर में करीब 26 लाख वोटर हैं। इनमें क्षत्रिय और ब्राह्मण मतदाता करीब 4-4 लाख, करीब इतने ही गुर्जर मतदाता और मुस्लिम दलित मतदाता साढ़े 3 लाख के करीब हैं।
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