हिंदी सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री का निधन

Actress Kamini Kaushal News: हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम युग की आखिरी बची-खुची तारिकाओं में से एक, दिग्गज अभिनेत्री कमिनी कौशल का आज निधन हो गया। वह 98 वर्ष की थीं। लंबे समय से उम्र संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही कमिनी जी का अवसान एक युग का अंत माना जा रहा है। उनके परिवार ने निजता का अनुरोध किया है और अंतिम संस्कार की जानकारी अभी साझा नहीं की गई है।

कमिनी कौशल, जिनका जन्म मूल रूप से उमा कश्यप के नाम से 24 फरवरी 1927 को लाहौर (अब पाकिस्तान) में हुआ था, ने अपने सात दशकों के लंबे करियर में 90 से अधिक फिल्मों में काम किया। वे भारत की सबसे उम्रदराज जीवित अभिनेत्री थीं। उनका सफर 1946 में चेतन आनंद की फिल्म ‘नीचा नगर’ से शुरू हुआ, जो कांस फिल्म फेस्टिवल में पाल्म डी’ओर (गोल्डन पाम) जीतने वाली पहली भारतीय फिल्म बनी। इस फिल्म ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।

1940 और 1950 के दशक में वे हिंदी सिनेमा की सबसे लोकप्रिय हीरोइनों में शुमार हुईं। दिलीप कुमार, राज कपूर, देव आनंद और अशोक कुमार जैसे दिग्गजों के साथ उनकी जोड़ी बेहद चर्चित रही। ‘नदिया के पार’ (1948) जैसी फिल्मों में उनके अभिनय ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई। उनकी प्रमुख फिल्मों में ‘दो भाई’ (1947), ‘शहीद’ (1948), ‘जिद्दी’ (1948), ‘शबनम’ (1949), ‘परस’ (1949), ‘नमूना’ (1949), ‘अरजू’ (1950), ‘झंझार’ (1953), ‘आबरू’ (1956), ‘बड़े साहब’ (1957), ‘जेलर’ (1958), ‘नाइट क्लब’ (1958) और ‘गोदान’ (1963) शामिल हैं। इनमें से कई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रहीं।

दिलीप कुमार के साथ उनकी जोड़ी विशेष रूप से यादगार रही। ‘शहीद’, ‘नदिया के पार’, ‘शबनम’ और ‘अरजू’ जैसी फिल्मों में उनके रोमांटिक और भावुक दृश्य आज भी प्रशंसकों के दिलों में बसे हैं। 1963 के बाद वे सहायक भूमिकाओं में नजर आईं, लेकिन उनकी उपस्थिति हमेशा प्रभावशाली रही। बाद के वर्षों में ‘दो रास्ते’ (1969), ‘प्रेम नगर’ (1974), ‘महा चोर’ (1976), ‘अन्होनी’ (1973), ‘उपकार’ (1967), ‘पूरब और पश्चिम’ (1970), ‘शोर’ (1972), ‘रोटी कपड़ा और मकान’ (1974), ‘सन्यासी’ (1975), ‘दस नंबरी’ (1976) और ‘संतोष’ (1989) जैसी फिल्मों में उनके किरदार सराहे गए।

हाल के समय में भी कमिनी जी सक्रिय रहीं। 2013 की ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ में शाहरुख खान के साथ, 2019 की ‘कबीर सिंह’ में शाहिद कपूर की दादी की भूमिका में (जिसके लिए उन्हें स्क्रीन अवॉर्ड मिला) और 2022 की ‘लाल सिंह चड्ढा’ में आमिर खान के साथ उनके अंतिम किरदार ने नई पीढ़ी को प्रभावित किया। वे धर्मेंद्र की पहली हीरोइन भी थीं।

कमिनी कौशल का निजी जीवन भी उतना ही रोचक रहा। लाहौर के किन्नर्ड कॉलेज से अंग्रेजी में स्नातक करने के बाद वे फिल्मों में आईं, हालांकि शुरू में उनका मन नहीं था। उनकी बड़ी बहन की कार दुर्घटना में मौत के बाद उन्होंने बहनोई बी.एस. सूद से विवाह किया और उनकी दो बेटियों का ध्यान रखा। बाद में उनके तीन बेटे राहुल, विदुर और श्रवण सूद हुए। वे हमेशा लाइमलाइट से दूर रहीं और गरिमापूर्ण जीवन जिया।

उनके निधन पर बॉलीवुड हस्तियां और प्रशंसक शोक व्यक्त कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर #KaminiKaushal ट्रेंड कर रहा है, जहां लोग उनकी फिल्मों के क्लिप शेयर कर याद कर रहे हैं। एक युग की समाप्ति के साथ हिंदी सिनेमा ने अपनी एक अमूल्य धरोहर खो दी है। कमिनी जी की सादगी, प्रतिभा और कालजयी अभिनय हमेशा याद रखा जाएगा।

यहां से शेयर करें