जेएनयू में लेफ्ट बनाम एबीवीपी: पुलिस के साथ झड़प, कई पुलिसकर्मी घायल अध्यक्ष समेत 28 हिरासत में

JNU Left vs. ABVP News: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में हाल ही में छात्र संगठनों के बीच बढ़ते तनाव के बीच 18 अक्टूबर 2025 को एक बड़ा हंगामा हुआ। छात्र संघ (JNUSU) के नेतृत्व में छात्रों ने एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) की कथित हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन किया, जो पुलिस के साथ टकराव में बदल गया। इस दौरान दिल्ली पुलिस ने JNUSU अध्यक्ष नीतीश कुमार समेत 28 छात्रों को हिरासत में ले लिया। यह घटना विश्वविद्यालय के पश्चिमी गेट पर हुई, जहां छात्र वसंत कुंज पुलिस स्टेशन की ओर मार्च कर रहे थे। घटना दिवाली के ठीक पहले हुई, जब कैंपस में चुनावी माहौल गर्म था।

घटना का पृष्ठभूमि
यह हंगामा जेएनयू में छात्र संघ चुनाव की तैयारी के दौरान शुरू हुआ। 2 अक्टूबर 2025 को दशहरा के दिन स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज की जनरल बॉडी मीटिंग (GBM) में एबीवीपी सदस्यों पर लेफ्ट-समर्थित छात्रों ने हमले का आरोप लगाया। लेफ्ट ग्रुप्स जैसे AISA और SFI ने दावा किया कि एबीवीपी ने काउंसिलर्स को परेशान किया, फोन छीना और जातिवादी, इस्लामोफोबिक तथा महिलाविरोधी गालियां दीं। वहीं, एबीवीपी ने उल्टा लेफ्ट ग्रुप्स पर क्षेत्रीय नफरत और शारीरिक हमले का आरोप लगाया। इस GBM का उद्देश्य JNUSU चुनाव समिति का गठन था, लेकिन हिंसा के कारण बैठक स्थगित हो गई।

इसके बाद, छात्रों ने पुलिस से एबीवीपी के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की, लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर 18 अक्टूबर को #SOSJNU हैशटैग के तहत ‘सोशल मार्च फॉर सोशल जस्टिस’ का आयोजन किया। लगभग 70-80 छात्र, जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं, शाम 6 बजे पश्चिमी गेट पर इकट्ठा हुए। वे वसंत कुंज पुलिस स्टेशन जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने नेल्सन मंडेला मार्ग पर बैरिकेड्स लगा दिए।

पुलिस के साथ टकराव और हिरासत
प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड्स तोड़ने की कोशिश की, जिससे पुलिस के साथ झड़प हो गई। पुलिस का कहना है कि छात्रों ने बैरिकेड्स तोड़े, अधिकारियों से बदसलूकी की, गालियां दीं और ट्रैफिक बाधित किया। इससे छह पुलिसकर्मी (चार पुरुष और दो महिलाएं) घायल हुए। स्थिति बिगड़ने से रोकने के लिए पुलिस ने 19 पुरुष और 9 महिला छात्रों समेत 28 को हिरासत में लिया। हिरासत में लिए गए प्रमुख नामों में JNUSU अध्यक्ष नीतीश कुमार (26, बिहार), उपाध्यक्ष मनीषा (28, हरियाणा), महासचिव मुंतेहा फातिमा (28, उत्तर प्रदेश) शामिल हैं।

वहीं, छात्रों ने पुलिस पर बर्बरता का आरोप लगाया। AISA ने कहा कि JNUSU अध्यक्ष नीतीश कुमार और कई छात्रों को बुरी तरह पीटा गया। SFI ने दावा किया कि महिला छात्रों के बाल खींचे गए और पुरुष पुलिसकर्मियों ने उन्हें गलत तरीके से छुआ। SPS काउंसिलर अभिषेक को इतनी बुरी तरह मारा गया कि उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा। JNUSU अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कहा, “GBM के दौरान एबीवीपी गुंडों ने काउंसलर राजत को पीटा। हमने शांतिपूर्वक विरोध किया, लेकिन बैठक स्थगित करनी पड़ी। बाहर निकलते ही हमें दो घंटे बंधक बनाया गया और जातिवादी गालियां दी गईं। पुलिस SHO बालबीर सिंह मौके पर पहुंचे लेकिन हस्तक्षेप नहीं किया। हमें पीटा गया, मेरा कुर्ता फाड़ दिया, फोन चुरा लिया और चप्पलें तोड़ दीं। हम FIR की मांग कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने बैरिकेड्स लगा दिए और हमें पीटा। यह हिरासत अवैध है।”

कानूनी कार्रवाई
घटना के अगले दिन, दिल्ली पुलिस ने छह छात्रों के खिलाफ FIR दर्ज की, जिनमें तीन JNUSU पदाधिकारी शामिल हैं। आरोप भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 221, 121(2), 132 और 3(5) के तहत लगाए गए हैं। इन छात्रों को ‘बाउंड डाउन’ किया गया, जबकि अन्य को दिल्ली पुलिस एक्ट की धारा 65 के तहत हिरासत में लिया गया और मेडिकल जांच के बाद विश्वविद्यालय अधिकारियों को सौंपा गया। कोई गिरफ्तारी नहीं हुई, लेकिन कानूनी प्रक्रिया जारी है।

प्रतिक्रियाएं और प्रभाव
जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन (JNUTA) ने पुलिस की कार्रवाई की निंदा की और छात्रों पर अत्यधिक बल प्रयोग का आरोप लगाया। लेफ्ट ग्रुप्स ने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित करने की साजिश बताया, जबकि पुलिस ने छात्रों की आक्रामकता को जिम्मेदार ठहराया। यह घटना जेएनयू में नवंबर में होने वाले छात्र संघ चुनावों से पहले तनाव बढ़ा सकती है। सोशल मीडिया पर #JNU और #CampusViolence जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जहां छात्र पुलिस की निष्क्रियता और एबीवीपी की गुंडागर्दी की आलोचना कर रहे हैं।

यह घटना जेएनयू के इतिहास में छात्र आंदोलनों और पुलिस हस्तक्षेप की एक और कड़ी है। अधिकारियों से अपील की जा रही है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और कैंपस पर शांति बहाल की जाए।

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