बिल की मुख्य विशेषताएं
• ग्रामीण परिवारों को प्रति वर्ष 125 दिन की गारंटीड मजदूरी रोजगार (MGNREGA में 100 दिन थे)।
• काम का फोकस जल सुरक्षा, सूक्ष्म सिंचाई, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर और आजीविका संपत्तियों पर।
• विकसित ग्राम पंचायत प्लान के जरिए decentralized planning और सभी संबंधित योजनाओं का convergence।
• फंडिंग पैटर्न में बदलाव: अब केंद्र और राज्य मिलकर खर्च वहन करेंगे (MGNREGA में मुख्य रूप से केंद्र की जिम्मेदारी थी)।
• कृषि सीजन में काम पर रोक की व्यवस्था, ताकि खेतिहर मजदूर उपलब्ध रहें।
• बेरोजगारी भत्ता अगर 15 दिनों में काम न मिले।
सरकार का दावा है कि यह बिल MGNREGA में भ्रष्टाचार और कमियों को दूर करेगा, पारदर्शिता बढ़ाएगा और स्थायी ग्रामीण विकास सुनिश्चित करेगा। ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि नया कानून गांधीजी के आदर्शों को आगे बढ़ाएगा और विकसित गांवों से विकसित भारत बनेगा।
विपक्ष का जोरदार विरोध
बिल पर लोकसभा और राज्यसभा में काफ़ी तीखी बहस हुई। लोकसभा में विपक्षी सांसदों ने सदन में हंगामा किया, बिल की प्रतियां फाड़ीं और नारे लगाए। राज्यसभा में बहस आधी रात के बाद तक चली और वॉयस वोट से पास हुआ।
विपक्ष ने आरोप लगाया:
• बिल को बिना पर्याप्त चर्चा के जल्दबाजी में पास किया गया।
• महात्मा गांधी का नाम हटाना उनके साथ अपमान है।
• फंडिंग का बोझ राज्यों पर डालकर योजना कमजोर की जा रही है।
• यह गरीब, किसान और ग्रामीण मजदूरों के खिलाफ है।
टीएमसी की सागरिका घोस ने इसे “लोकतंत्र की हत्या” बताया। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि यह 12 करोड़ मजदूरों की आजीविका पर हमला है। डीएमके के तिरुचि सिवा ने गांधीजी की प्रतिमा को पीछे शिफ्ट करने से जोड़कर आलोचना की।
बिल पास होने के बाद विपक्षी सांसदों (टीएमसी, कांग्रेस आदि) ने संसद परिसर में 12 घंटे का रात्रिकालीन धरना दिया। उन्होंने देशभर में सड़कों पर उतरने की चेतावनी दी।
पृष्ठभूमि
बिल 16 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था। सरकार इसे MGNREGA का आधुनिक संस्करण बता रही है, जबकि आलोचक कहते हैं कि यह अधिकार-आधारित गारंटी को कमजोर कर allocation-based बना देगा। विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स में विपक्ष की आशंकाओं और सरकार के सुधार दावों दोनों का जिक्र है।
संसद का शीतकालीन सत्र आज समाप्त हो रहा है। यह बिल ग्रामीण भारत की रोजगार और विकास नीति में बड़ा बदलाव लाएगा, लेकिन इसके कार्यान्वयन पर सबकी नजरें रहेंगी।

