लालटेन बचा, आरोप तय करने का फैसला 4 दिसंबर तक टला

Land for Jobs Scam News: बिहार विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण की वोटिंग से ठीक पहले राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार को एक महत्वपूर्ण राहत मिली है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार को बहुचर्चित ‘लैंड फॉर जॉब’ भ्रष्टाचार मामले में लालू परिवार समेत 14 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के आदेश को टाल दिया है। विशेष न्यायाधीश विशाल गोग्ने ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला 4 दिसंबर के लिए सुरक्षित रख लिया। यह फैसला बिहार की सियासी गतिविधियों के बीच आया है, जहां लालू के बेटे तेजस्वी यादव महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में मैदान में हैं।

मामले की पृष्ठभूमि और सीबीआई का आरोप
यह मामला 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद यादव यूपीए सरकार में रेल मंत्री थे। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आरोप लगाया है कि रेलवे के ग्रुप-डी पदों पर नियुक्तियों के बदले गरीब उम्मीदवारों से उनकी जमीनें बेहद कम दामों पर हड़पी गईं। ये जमीनें पटना के प्रमुख इलाकों जैसे बहादुरपुर, तेलियाबाग, नेहरीनगर आदि में स्थित हैं और इन्हें लालू के परिवार के सदस्यों या करीबियों के नाम पर दर्ज कराया गया। सीबीआई के अनुसार, कुल 99 आरोपी हैं, जिनमें पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी एवं पूर्व बिहार मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, बेटियां मीसा भारती और हेमा यादव, बेटे तेजस्वी यादव व तेज प्रताप यादव समेत कई अन्य शामिल हैं।

सीबीआई ने 2022, 2023 और 2024 में तीन आरोपपत्र दाखिल किए हैं। विशेष लोक अभियोजक डीपी सिंह ने अदालत में दलील दी कि उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए जाने चाहिए। एजेंसी का दावा है कि लालू ने अपनी हैसियत का दुरुपयोग कर रेलवे के अधिकारियों पर दबाव डाला और नियुक्ति प्रक्रिया में हेरफेर किया, जिससे सार्वजनिक धन को नुकसान पहुंचा।

आरोपियों का बचाव
दूसरी ओर, लालू यादव के वरिष्ठ अधिवक्ता मनींदर सिंह ने मामले को पूरी तरह राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया। उन्होंने तर्क दिया कि नौकरियों के बदले जमीन लेने का कोई ठोस सबूत नहीं है। अधिवक्ता ने कहा कि किसी भी उम्मीदवार की नियुक्ति के लिए लालू की ओर से कोई सिफारिश नहीं की गई थी और न ही किसी जनरल मैनेजर ने लालू से मुलाकात की बात स्वीकारी।

सभी आरोपियों ने डिस्चार्ज याचिका दाखिल की थी, जिसका सीबीआई ने कड़ा विरोध किया। अदालत ने सितंबर 2025 में दलीलें सुनीं और आदेश सुरक्षित रखा था, लेकिन सोमवार को इसे आगे टाल दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट का पुराना रुख
इससे पहले जुलाई 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने लालू की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की गई थी। शीर्ष अदालत ने कहा था कि आरोप तय करने से हाईकोर्ट में लंबित याचिका प्रभावित नहीं होगी। दिल्ली हाईकोर्ट में भी लालू ने एफआईआर रद्द करने की याचिका दाखिल की है, जिसकी सुनवाई अगस्त 2025 में निर्धारित है।

बिहार चुनाव पर असर?
यह फैसला बिहार चुनाव के संदर्भ में अहम माना जा रहा है। अंतिम चरण की वोटिंग 10 नवंबर को हो रही है, और नतीजे 23 नवंबर को आने हैं। एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर है। लालू परिवार पर लगे आरोपों ने पहले भी राजनीतिक विवाद खड़ा किया था, लेकिन अब टाली गई सुनवाई से आरजेडी को चुनावी मोर्चे पर कुछ सांस मिली है। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर बहस तेज है, जहां कुछ यूजर्स इसे न्यायिक राहत बता रहे हैं तो कुछ राजनीतिक साजिश का हिस्सा।

आरजेडी प्रवक्ताओं ने इसे न्याय की जीत बताया, जबकि विपक्षी दलों ने कहा कि सच्चाई छिप नहीं सकती। कुल मिलाकर, यह मामला लालू परिवार की राजनीतिक यात्रा पर लंबे समय तक साया डाले रखेगा। अगली सुनवाई 4 दिसंबर को होगी, तब तक बिहार की सियासत पर नजरें टिकी रहेंगी।

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