Noida News: नोएड में गांव सलारपुर खादर, भंगेल, हाजीपुर, गेझा और उसके आसपास के गांवों की जमीन सोने के रेटों से भी ऊपर चली गई है। इसलिए यहां जमीन पर कब्जे का धंधा मोटे पैमाने पर चल रहा है। इसके चलते पूर्व मंत्री डीपी यादव भी इसके चपेट में आ गए। नतीजतन उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई। जिस जमीन को लेकर उन पर एफआईआर हुई है। उसकी लंबी दास्तान है। सूत्रों के मुताबिक पवन जिंदल और उसके परिवार ने तकरीबन 37 साल पहले 14 बीघा जमीन सलारपुर में खरीदी। इसमे से
लगभग 8 बीघे पवन जिंदल के नाम थी। पवन जिंदल ने दिनांक 16 जुलाई 1989 को अपने बहनोई गोरखपुर निवासी सुरेश गोयल को पक्का एंग्रीमेंट कर पावर ऑफ अटॉर्नी दे दी। जिसमें गवाह पवन के दोनों चचेरे भाई थे। पावर ऑफ अटार्नी के आधार पर सुरेश गोयल ने यह जमीन मदन लालए केवल कृष्णए नरेश व सुभाष को बेच दी। सुभाष ने 2001 में इस जमीन की रजिस्ट्री अशोक वाडिया के नाम कर दी। अशोक वाडिया अभी तक इस जमीन पर काबिज है। 2017 में गोरखपुर में पवन जिंदल ने अपने जीजा पर केस डाल दिया। जिसमें जीजा को दी गई पावर ऑफ अटार्नी को फर्जी बताया गया है। यह केस अभी तक विचाराधीन है।
इसी बीच पवन जिंदल को कहीं से खबर मिली कि यह जमीन अधिग्रहण से मुक्त हो गई है। प्राधिकण में उसी का नाम आ गया। पवन जिंदल ने इसका फायदा उठाते हुए दिनांक 4/8/2025 को यदु कंपनी व देवेश यादव आदि को बेच दिया। सतपाल यादव इसमें गवाह बताए गए हैं। इसके बाद अशोक वाडिया और 30 अन्य पर अवैध कब्जे की एफआईआर दर्ज हो गई। उसके बाद अशोक वाडिया और उसके साथियों ने अपनी पावर दिखाते हुए कोर्ट के जरिए एफआईआर दर्ज करा दी। जिसमें पूर्व मंत्री डीपी यादव और उनकी पत्नी तक को शामिल कर लिया। अशोक वाडिया ने आरोपितों पर फर्जीवाड़ा कर जमीन पर अवैध कब्जा करने और देखरेख करने वालों का सेक्टर 125 में रास्ता रोककर जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया है। पूर्व मंत्री समेत नौ लोगों पर कोर्ट के आदेश पर सेक्टर 126 थाने में केस दर्ज कराया है। इससे पहले संपत्ति विवाद में गोरखपुर के पवन जिंदल ने वाडिया बंधुओं समेत 30 पर सेक्टर 49 थाने में 29 अक्टूबर को केस दर्ज कराया था।
बताया जा रहा है कि यदु कंपनी और अन्य डीपी यादव के परिवार की जरूर हैं लेकिन उनका इससे कोई संबंध दिखाई नहीं पड़ रहा है। बाकी असलियत तो पुलिस जांच में ही पता चलेगा।
नोएडा प्राधिकरण ने छपवाया विज्ञापन
बहरहाल नोएडा प्राधिकरण ने हमेशा की तरह एक विज्ञापन छापकर अपने फर्ज की इतिश्री कर ली है। इस विज्ञापन में कुछ खसरा नम्बर बताए गए है।

