चुनाव परिणामों में NDA ने 243 में से 200 से अधिक सीटें जीतीं—BJP को 89, JD(U) को 85 सीटें मिलीं। वहीं, RJD महज 25 सीटों पर सिमट गई। 20 नवंबर को नीतीश कुमार ने शपथ ली, और 21-22 नवंबर को विभागों का बंटवारा हुआ। कैबिनेट में BJP के 14, JD(U) के 9 और अन्य सहयोगियों के मंत्री शामिल हैं।
नीतीश की रणनीति
नीतीश कुमार ने सामान्य प्रशासन विभाग (GAD), मंत्रिमंडल सचिवालय, निगरानी और निर्वाचन विभाग थे .अब सिविल विमानन भी मुख्यमंत्री के पास ही रहेगा तो कुल पांच विभाग उनके पास रहेंगे GAD के जरिए IAS अधिकारियों की पोस्टिंग, ट्रांसफर और प्रमोशन पर सीधी पकड़ रहती है, जिसे राजनीतिक विशेषज्ञ “सत्ता की मास्टर की” मानते हैं।
दूसरी ओर, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी (BJP) को गृह विभाग सौंपा गया। इसके अलावा स्वास्थ्य, राजस्व एवं भूमि सुधार जैसे जनता से जुड़े विभाग भी BJP के पास गए। विश्लेषकों का कहना है कि कानून-व्यवस्था या जनशिकायतों में कोई कमी हुई तो जनता का गुस्सा सीधे BJP पर जाएगा, जबकि सफलता का श्रेय NDA सरकार को मिलेगा।
कुछ रिपोर्ट्स में नए विभागों (जैसे सिविल एविएशन) के गठन का भी जिक्र है, जिनमें नीतीश ने महत्वपूर्ण हिस्से अपने पास रखे। BJP नेताओं ने सार्वजनिक रूप से संतोष जताया है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि नीतीश ने सचिवों के चयन से अप्रत्यक्ष नियंत्रण बनाए रखा है।
लालू परिवार को बड़ा झटका
चुनावी हार के बाद लालू प्रसाद यादव के परिवार को एक और झटका लगा। पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को पटना के 10 सर्कुलर रोड स्थित सरकारी बंगले को खाली करने का नोटिस दिया गया, जहां यादव परिवार करीब दो दशक से रह रहा था। दिसंबर तक बंगला खाली करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, और परिवार नई जगह पर शिफ्ट हो रहा है। इस बंगले को अब विधान परिषद के उपयोग के लिए आवंटित किया जाएगा।
राजनीतिक पर्यवेक्षक इसे नीतीश कुमार की लंबी रणनीति का हिस्सा मानते हैं, जहां वे गठबंधन धर्म निभाते हुए भी बिहार की सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत रखते हैं। NDA की इस जीत और कैबिनेट बंटवारे से बिहार की सियासत में नीतीश एक बार फिर “सिकंदर” साबित हुए हैं।

