Ladakh is in a frenzy of government jobs: लद्दाख यूनियन टेरिटरी में सरकारी नौकरियों की होड़ ने नया रिकॉर्ड कायम कर दिया है। जुलाई में विज्ञापित 534 पदों के लिए करीब 50,000 आवेदन प्राप्त होने से साफ जाहिर है कि बेरोजगारी की समस्या यहां कितनी गंभीर है। लद्दाख की अनुमानित आबादी (लगभग 2.9 लाख) के लिहाज से यह आंकड़ा चौंकाने वाला है—हर छठा निवासी इन नौकरियों के लिए आवेदन कर चुका है, जो कुल आबादी का करीब 17 प्रतिशत है।
यह भर्ती लद्दाख ऑटोनॉमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल (एलएएचडीसी) के अधीनस्थ सेवा भर्ती बोर्ड (एलएएचडीएसएसआरबी) द्वारा आयोजित की गई है। पदों में लाइनमैन, सफाई कर्मचारी (सफाईवाला), जूनियर नर्स, ड्राइवर, फॉरेस्ट गार्ड, स्टेनो टाइपिस्ट और अन्य जूनियर स्तर के पद शामिल हैं। ये सभी पद जिला-स्तरीय हैं और लद्दाख के डोमिसाइल निवासियों के लिए आरक्षित हैं। आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन थी, जिसकी अंतिम तिथि अगस्त 2024 में समाप्त हो चुकी है।
लेह के डिप्टी कमिश्नर रोमिल सिंह डोंक (आईएएस) ने जुलाई में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन वैकेंसीज की घोषणा की थी। उन्होंने बताया कि यह भर्ती स्थानीय युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से की गई है। वहीं, चेयरमैन एक्जीक्यूटिव काउंसिलर (सीईसी) ताशी ग्यालसोन ने आकांक्षियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह कदम लद्दाख के विकास में युवाओं की भागीदारी बढ़ाएगा।
हालांकि, इतनी बड़ी संख्या में आवेदनों के पीछे लद्दाख की आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां छिपी हैं। पर्यटन और कृषि पर निर्भर इस क्षेत्र में बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। हाल ही में पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के नेतृत्व में चले आंदोलन ने भी सरकारी नौकरियों और स्थानीय अधिकारों की मांग को जोर दिया था। वांगचुक की गिरफ्तारी के बीच यह भर्ती समाचार ने स्थानीय युवाओं में उम्मीद जगाई है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इतने सारे आवेदनों के बीच चयन प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए।
यूपीएससी जैसी केंद्रीय एजेंसियों के अलावा, एलएएचडीसी जैसी स्थानीय संस्थाएं भी भर्ती प्रक्रिया को तेज करने का प्रयास कर रही हैं। कुल मिलाकर, 534 पदों के अलावा हाल के दिनों में लद्दाख में 1,000 से अधिक वैकेंसीज की घोषणा हो चुकी है, जो क्षेत्रीय विकास की दिशा में सकारात्मक संकेत है। उम्मीद है कि ये नौकरियां न केवल बेरोजगारी कम करेंगी, बल्कि लद्दाख के दूरस्थ इलाकों में विकास को गति भी देंगी।

