लद्दाख के जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद किया गया

Sonam Wangchuk has been imprisoned in Jodhpur Central Jail: लद्दाख के प्रमुख जलवायु कार्यकर्ता और स्टेटहुड आंदोलन के प्रमुख चेहरे सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत गिरफ्तार कर राजस्थान के जोधपुर सेंट्रल जेल में स्थानांतरित कर दिया गया है। यह कार्रवाई लद्दाख में हाल के हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद की गई है, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हुए। वांगचुक पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया है, हालांकि उनके समर्थक इसे लोकतंत्र पर हमला बता रहे हैं।

सोनम वांगचुक, 59 वर्षीय इंजीनियर, आविष्कारक और पर्यावरणविद्, लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठी अनुसूची के तहत आदिवासी क्षेत्रों के लिए स्वायत्त शासन की मांग को लेकर पिछले पांच वर्षों से आंदोलन चला रहे हैं। 2019 में जम्मू-कश्मीर को पुनर्गठित कर लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद से यह मांग तेज हो गई है। वांगचुक ने लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (केडीए) के नेतृत्व में 10 सितंबर 2025 को 15 दिनों की भूख हड़ताल शुरू की थी, जो 24 सितंबर को बढ़ती हिंसा के कारण समाप्त कर दी गई।

लेह में 24 सितंबर को शांतिपूर्ण बंद के दौरान प्रदर्शन हिंसक हो गए। प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय में आग लगा दी, जिसमें चार नागरिक मारे गए और 90 से अधिक लोग घायल हो गए। केंद्र सरकार ने वांगचुक पर “उत्तेजक भाषणों” का आरोप लगाया, जिसमें उन्होंने “अरब स्प्रिंग-शैली के विरोध” और “नेपाल के जेन जेड प्रदर्शनों” का जिक्र किया था। गृह मंत्रालय ने वांगचुक की एनजीओ ‘स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (एसईसीएमओएल)’ का एफसीआरए लाइसेंस भी रद्द कर दिया, जिसमें वित्तीय अनियमितताओं का हवाला दिया गया।

26 सितंबर को दोपहर 2:30 बजे लद्दाख पुलिस प्रमुख एसडी सिंह जामवाल के नेतृत्व में वांगचुक को लेह में गिरफ्तार किया गया। एनएसए के तहत उन्हें बिना जमानत के लंबी निवारक हिरासत में रखा जा सकता है। गिरफ्तारी के तुरंत बाद उन्हें दिल्ली ले जाया गया और फिर जोधपुर एयर फोर्स स्टेशन के रास्ते सेंट्रल जेल पहुंचाया गया।

जेल में उन्हें हाई-सिक्योरिटी सेल में 24×7 सीसीटीवी निगरानी में रखा गया है, जहां उन्होंने चिकित्सकीय जांच भी कराई। लद्दाख प्रशासन ने बयान जारी कर कहा, “वांगचुक के उत्तेजक वीडियो और भाषणों ने लेह में हिंसा भड़काई। शांति बहाल करने के लिए एनएसए के तहत कार्रवाई जरूरी थी।”

वांगचुक की पत्नी गीतांजलि आंगमो ने बताया, “पुलिस ने कहा कि सोनम को जोधपुर ले जाया जा रहा है।” गिरफ्तारी से एक दिन पहले वांगचुक ने कहा था, “मैं गिरफ्तारी के लिए तैयार हूं। जेल में सोनम वांगचुक बाहर से ज्यादा परेशानी पैदा कर सकता है।” लेह में गिरफ्तारी के बाद इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गईं ताकि अफवाहें न फैलें। कारगिल में भारतीय न्याय संहिता की धारा 163 के तहत पांच से अधिक लोगों के जमावड़े पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जबकि लेह में कर्फ्यू चौथे दिन भी जारी है।

लद्दाख में धार्मिक, राजनीतिक और सिविल सोसाइटी संगठनों ने गिरफ्तारी की निंदा की है। लद्दाख सांसद हाजी हनीफा ने कहा, “शांतिपूर्ण आंदोलन के लिए गिरफ्तारी निंदनीय है।” पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने इसे “लोकतंत्र पर सीधा हमला” बताते हुए तत्काल रिहाई की मांग की। आप की दिल्ली नेता विपक्ष अतिशी ने कहा, “लद्दाख की जमीन, पर्यावरण और पहचान के लिए आवाज उठाने वाले को जेल में डालना लोकतंत्र पर प्रहार है।” पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती और तेलुगु देशम पार्टी नेता केटीआर ने भी समर्थन जताया। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन ने इसे मोदी सरकार की “विच-हंटिंग” एजेंडा बताया।

29 या 30 सितंबर को दिल्ली में उच्च स्तरीय समिति की दूसरी बैठक होनी है, जिसमें लद्दाख प्रतिनिधिमंडल स्टेटहुड पर चर्चा करेगा। एलएबी दिल्ली में प्रतिनिधिमंडल भेजने की योजना बना रहा है। वांगचुक की गिरफ्तारी ने लद्दाख आंदोलन को नई ऊर्जा दी है, लेकिन प्रशासन ने शांति बहाली पर जोर दिया है।

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