की-ज़ो संगठनों ने किया इनकार, फिर दोहराई अलग केंद्रशासित प्रदेश की मांग

Manipur/Kuki-Zo Organization News: मणिपुर में बीते दो साल से अधिक समय से चल रहे जातीय संघर्ष के बीच कुकी-ज़ो समुदाय ने एक बार फिर अपनी सबसे बड़ी राजनीतिक मांग को मजबूती से दोहराया है। कुकी-ज़ो संगठनों, उनके 10 विधायकों और SoO (सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस) समझौते वाले उग्रवादी समूहों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक भारत सरकार कुकी-ज़ो बहुल इलाकों के लिए विधानसभा वाले अलग केंद्रशासित प्रदेश (Union Territory with Legislature) की मांग को स्वीकार नहीं करती, तब तक वे मणिपुर में किसी भी “लोकप्रिय सरकार” में शामिल नहीं होंगे।

15 नवंबर को गुवाहाटी में कुकी-ज़ो प्रतिनिधियों की एक बड़ी बैठक हुई। इसमें कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (KNO) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (UPF) जैसे SoO समूहों के साथ-साथ समुदाय के विधायक भी शामिल थे। बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया:

“सरकार में शामिल होने का सवाल विस्तार से चर्चा हुआ। कई प्रतिनिधियों ने ज़ोर देकर कहा कि जब तक भारत सरकार विधानसभा वाले केंद्रशासित प्रदेश के लिए स्पष्ट और असंदिग्ध बयान नहीं देती, तब तक कुकी-ज़ो विधायक किसी भी लोकप्रिय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होंगे। भविष्य में सरकार में जाने की कोई भी बात इस मूल राजनीतिक मांग में प्रगति होने पर ही संभव है। अभी कोई बाध्यकारी फैसला नहीं लिया गया है।”

BJP नेताओं की यात्रा के बाद सख़्त रुख़
इससे कुछ दिन पहले ही भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष और पूर्वोत्तर प्रभारी संबित पात्रा मणिपुर के दौरे पर आए थे। उन्होंने सभी समुदायों के भाजपा एवं NDA विधायकों से अलग-अलग मुलाकात की थी। कुकी-ज़ो विधायकों से चुराचांदपुर में अलग से बातचीत हुई थी।

दौरे का मकसद फरवरी 2025 से लागू राष्ट्रपति शासन हटाकर मणिपुर में नई सरकार बनाना था। मेइतेई और नागा NDA विधायक लगातार लोकप्रिय सरकार की बहाली की मांग कर रहे हैं, लेकिन केंद्रीय भाजपा नेतृत्व ने साफ़ कहा है कि बिना कुकी-ज़ो प्रतिनिधियों के कोई सरकार नहीं बनेगी।

कुकी-ज़ो समुदाय पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की सरकार को एकतरफा और मेइतेई-समर्थक मानता रहा है, इसलिए राष्ट्रपति शासन लगने का उसने स्वागत किया था।

केंद्र ने पहले ही इनकार किया था
इस महीने की शुरुआत में 6-7 नवंबर को दिल्ली में केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों और SoO समूहों के बीच बातचीत हुई थी। उसमें केंद्र ने साफ़ कह दिया था कि “वर्तमान नीति में नए केंद्रशासित प्रदेश बनाने का प्रावधान नहीं है।”

इसके बावजूद कुकी-ज़ो संगठनों ने सोमवार को एक “घोषणा-पत्र” जारी कर कहा कि वे अपनी मांग को “लगातार, निरंतर और अटूट राजनीतिक प्रयासों” से तब तक उठाते रहेंगे जब तक भारत सरकार इसे स्वीकार नहीं कर लेती।

मौजूदा स्थिति
• मणिपुर में फरवरी 2025 से राष्ट्रपति शासन लागू है।
• कुल 60 विधायकों में से 10 कुकी-ज़ो समुदाय के हैं (इनमें से ज्यादातर भाजपा-NDA खेमे के हैं, लेकिन मई 2023 से जातीय हिंसा शुरू होने के बाद से ये विधायक इंफाल नहीं आ रहे)।
• बिना इन 10 विधायकों के समर्थन के मणिपुर में स्थायी सरकार बनाना लगभग असंभव है।

फिलहाल कुकी-ज़ो समुदाय ने अपना रुख़ और सख़्त कर दिया है। इसका सीधा मतलब है कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन अभी लंबा खिंच सकता है, क्योंकि केंद्र सरकार अभी अलग UT बनाने के मूड में नहीं दिख रही, जबकि कुकी-ज़ो समुदाय इस मांग से एक इंच भी पीछे हटने को तैयार नहीं है।

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