कोली की आज़ादी पर सवाल, भूत था जो बच्चों को खा गया?”

Nithari murder case NEWS: देश को 19 साल पहले झकझोर देने वाले निठारी हत्याकांड का मुख्य आरोपी सुरिंदर कोली अब आजाद घूम रहा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 12 नवंबर को ग्रेटर नोएडा की लुक्सर जेल से रिहा हुए कोली ने मीडिया से दूरी बनाए रखी, लेकिन उनकी रिहाई ने उन माता-पिता के घावों को फिर से हरा कर दिया है, जिन्होंने अपने बच्चों को खोया था। “अगर कोली ने हत्या नहीं की, तो हमारे बच्चों का कातिल कौन है? क्या भूत ने उन्हें मारा?”—ये सवाल निठारी गांव की तंग गलियों से निकलकर पूरे देश में गूंज रहे हैं।

निठारी कांड, जो 2005-2006 के बीच उत्तर प्रदेश के नोएडा के सेक्टर-31 स्थित डी-5 कोठी के आसपास हुआ था, आज भी न्याय व्यवस्था की कमियों का प्रतीक बनाकर उभर गया है।

दिसंबर 2006 में जब कोठी के पीछे नाले से बच्चों और महिलाओं के कंकाल बरामद हुए, तो पूरे देश में सनसनी फैल गई। कारोबारी मोनिंदर सिंह पंधेर के घरेलू नौकर सुरिंदर कोली पर आरोप लगा कि उसने गरीब इलाके के 13 से अधिक बच्चों का अपहरण किया, उनके साथ दुष्कर्म किया, हत्या की और शवों को खंडित कर नाले में फेंक दिया। कुछ रिपोर्टों में तो कैनिबलिज्म (शवभक्षण) के आरोप भी लगे। सीबीआई ने 16 मामलों में कोली को दोषी ठहराया और 13 मामलों में फांसी की सजा सुनाई। पंधेर को भी दो मामलों में मौत की सजा हुई। लेकिन सालों की कानूनी लड़ाई ने सब कुछ उलट-पुलट कर दिया।

2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सभी मामलों में कोली और पंधेर को बरी कर दिया, जांच में गंभीर खामियों का हवाला देते हुए। हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस और सीबीआई की जांच “शो-पीस” थी—गवाहों के बयान मजबूरन लिए गए, कन्फेशन जबरदस्ती करवाए गए और सबूतों की चेन टूटी हुई थी। फिर भी, एक अंतिम मामले (15 वर्षीय रिंपा हलदार की हत्या) में कोली की उम्रकैद बरकरार रही। 11 नवंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच—मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ—ने कोली की क्यूरेटिव पिटीशन (सुधारात्मक याचिका) स्वीकार कर ली। अदालत ने कहा, “सजा अनुमान पर नहीं, ठोस सबूतों पर टिकी होनी चाहिए। जांच की संरचनात्मक कमियां ‘मैनिफेस्ट मिसकैरेज ऑफ जस्टिस’ (स्पष्ट न्यायिक भूल) पैदा करती हैं।” कोली को तत्काल रिहा करने का आदेश देते हुए कोर्ट ने 2011 के अपने फैसले को रद्द कर दिया। पंधेर पहले ही 2023 में रिहा हो चुके हैं।

लेकिन कोली की रिहाई का सबसे बड़ा असर उन माता-पिताओं पर पड़ा है, जो 19 साल से न्याय की आस में जी रहे थे। निठारी के गरीब परिवारों के लिए ये कांड सिर्फ अपराध नहीं, बल्कि एक अंतहीन दर्द की कहानी है। ज्योति की मां सुनीता देवी (अब 60 वर्षीय) ने एक मीडिया चैनल को बताया, “कोली ने थाने में खुद कबूल किया था कि उसने मेरी बेटी की हत्या की। अगर वो निर्दोष है, तो मेरी ज्योति का कातिल कौन? क्या घर में भूत था जो बच्चों को खा गया?” ज्योति 2006 में लापता हुई थी, और उसके अवशेष डी-5 कोठी के नाले से मिले थे। सुनीता ने कहा, “हम गरीब हैं, रोजी-रोटी के लिए प्रेस से बात करते रहे। लेकिन अब इंसाफ की कोई उम्मीद नहीं। कानून ने उन्हें छोड़ दिया, भगवान नहीं छोड़ेगा।”

इसी तरह, रिंपा हलदार के पिता अनिल हलदार ने एक मीडिया चैनल से कहा, “अगर कोली और पंधेर निर्दोष हैं, तो 19 साल जेल में सड़ने का गुनाह किसका? जांच करने वालों को फांसी होनी चाहिए।” अनिल कपड़े प्रेस करने का काम करते हैं और निठारी में 40 साल से रहते हैं। उनकी बेटी रिंपा की हत्या का केस ही कोली का आखिरी लंबित मामला था। एक अन्य मां, जिसकी 10 वर्षीय बेटी लापता हुई, ने एक अखबार को बताया, “सब कुछ पैसे का खेल है। अदालतें अंधी हैं। अगर वे निर्दोष हैं, तो असली अपराधी कौन? क्या भूत ने हमारे बच्चों को मारा?” ये माता-पिता अब सवाल उठा रहे हैं कि क्या ये हत्याएं अंग तस्करी के बड़े रैकेट से जुड़ी थीं। हाईकोर्ट ने भी 2023 में इस संभावना पर जोर दिया था, क्योंकि पंधेर के पड़ोसी डॉक्टर नवीन चौधरी पर पहले किडनी रैकेट का केस चला था। लेकिन सीबीआई ने इसकी कभी गहन जांच नहीं की।

वकील पयोषी रॉय, जो कोली के केस से जुड़े रहे, ने एक मीडिया चैनल को कहा, “ये फैसला न्याय व्यवस्था की नाजुकता दिखाता है। मौत की सजा अनुमान पर नहीं चल सकती। लेकिन पीड़ित परिवारों के लिए ये न्यायिक जीत नहीं, बल्कि हार है।” कोली की रिहाई के बाद निठारी गांव में सन्नाटा छा गया। परिवार अब भी पुरानी तस्वीरें थामे इंसाफ की मांग कर रहे हैं। एक पिता ने कहा, “हमारे बच्चे न लौटेंगे, न पैसा। बस सच्चाई चाहिए—कातिल कौन था?”

ये सवाल न सिर्फ निठारी तक सीमित हैं, बल्कि पूरे देश की जांच एजेंसियों के लिए सबक हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि “भावनाओं से नहीं, कानून से न्याय होता है।” लेकिन जब कानून निर्दोष को बचाता है, तो अपराधी कौन बच जाता है? निठारी का दर्द आज भी अनसुलझा है, और माता-पिताओं के ये सवाल सालों तक गूंजते रहेंगे।

यहां से शेयर करें