खेलो इंडिया: जानिये कैसे कश्मीर के राजौरी में युवाओं के जीवन में बदलाव ला रही मुक्त कॉम्बैट स्पोर्ट्स ट्रेनिंग

Rajouri, Jammu and Kashmir/Open Combat Sports Training News : संघर्षपूर्ण इलाकों में छिपी प्रतिभाओं को निखारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, खेलो इंडिया योजना ने कश्मीर के राजौरी जिले में मुक्त कॉम्बैट स्पोर्ट्स ट्रेनिंग की सुविधा शुरू की है। यह पहल न केवल युवाओं को फिटनेस और अनुशासन सिखा रही है, बल्कि उनके जीवन को नई दिशा दे रही है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां अवसरों की कमी ने हमेशा बाधा डाली है।

राजौरी, जो सीमा पर स्थित एक संवेदनशील जिला है, वहां के युवा लंबे समय से खेलों के माध्यम से अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा देने की तलाश में थे। खेलो इंडिया सेंटर (केआईसी) के तहत स्थापित इस ट्रेनिंग सेंटर में मुक्केबाजी, जूडो और अन्य कॉम्बैट स्पोर्ट्स की मुफ्त कोचिंग दी जा रही है। केंद्र में 50 से अधिक लड़के-लड़कियां प्रशिक्षण ले रही हैं, जिनमें से कई सीमावर्ती गांवों के निवासी हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में कुल 390 केआईसी संचालित हैं, जिनमें राजौरी का यह केंद्र एक मॉडल बन चुका है।

इस योजना का असर जमीन पर साफ दिख रहा है। हाल ही में, राजौरी के नौवीं कक्षा के छात्र मोहम्मद यासिर ने नोएडा में आयोजित सब-जूनियर नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। उनके कोच इश्तियाक मलिक ने बताया, “यह हमारे जिले और जम्मू-कश्मीर के लिए गर्व का क्षण है। पिछले 20 वर्षों में सब-जूनियर स्तर पर स्वर्ण पदक पहली बार जीता गया है। खेलो इंडिया ने घास-मूल स्तर पर एथलीटों को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।” यासिर की सफलता ने पूरे इलाके में उत्साह भर दिया है, जहां युवा अब खेलो को करियर के रूप में देखने लगे हैं।

महिलाओं और दिव्यांगों के लिए भी यह केंद्र वरदान साबित हो रहा है। राजौरी की एनीता कुमारी ने हाल के खेलो इंडिया पैरा गेम्स 2025 में 10 मीटर एयर पिस्टल पैरा शूटिंग में कांस्य पदक हासिल किया। जम्मू-कश्मीर स्पोर्ट्स काउंसिल की सचिव नुजहत गुल ने कहा, “सीमावर्ती क्षेत्रों और वंचित पृष्ठभूमि के एथलीटों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा का मौका देने में खेलो इंडिया ने क्रांति ला दी है।” इसी तरह, शीतल देवी जैसे अन्य पैरा एथलीटों ने भी स्वर्ण पदक जीतकर जिले का नाम रोशन किया है।

2018 में शुरू हुई खेलो इंडिया योजना, जो राष्ट्रीय खेल नीति का हिस्सा है, का मुख्य उद्देश्य खेलों को ‘उत्कृष्टता के लिए’ और ‘सभी के लिए’ बढ़ावा देना है। इसमें खेल मैदानों का विकास, सामुदायिक कोचिंग, प्रतियोगिताओं का आयोजन और प्रतिभा खोज शामिल है। राजौरी जैसे दूरदराज इलाकों में यह योजना न केवल शारीरिक फिटनेस को बढ़ावा दे रही है, बल्कि सामाजिक एकीकरण, लिंग समानता और शांति को भी मजबूत कर रही है। युवा सेवा एवं खेल मंत्री सतीश शर्मा ने कहा, “कश्मीर के युवा अब खेलों के माध्यम से नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। गुलमर्ग विंटर गेम्स और युवा क्लब जैसी पहलों के साथ यह एक बड़ा बदलाव है।”

स्थानीय निवासी बताते हैं कि पहले खेल सुविधाओं की कमी के कारण युवा गलत राह पर भटक जाते थे, लेकिन अब ट्रेनिंग सेंटर ने उन्हें अनुशासित और आत्मविश्वासी बनाया है। एक ट्रेनी लड़की ने कहा, “यहां आकर मुझे लगता है कि मैं कुछ बड़ा कर सकती हूं। मुफ्त ट्रेनिंग ने मेरे सपनों को पंख दिए हैं।”

भविष्य में, राजौरी केंद्र को और विस्तार दिया जाएगा, जिसमें अधिक डिसिप्लिन और आधुनिक उपकरण शामिल होंगे। खेलो इंडिया न केवल पदक जीतने का माध्यम बनेगी, बल्कि कश्मीर के युवाओं के समग्र विकास का प्रतीक भी। यह योजना साबित कर रही है कि खेल ही शांति और प्रगति का सबसे मजबूत हथियार है।

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