केरल स्थानीय निकाय चुनाव: भाजपा की शाख दाव पर,ध्यान वोट शेयर पर

Kerala Local Body Election News: केरल के स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा-नीत राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने अभूतपूर्व अभियान छेड़ा है, जिसमें शहरी क्षेत्रों पर फोकस और समुदाय-आधारित पहुंच को मजबूत करने की रणनीति अपनाई गई है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए एनडीए 25% वोट शेयर हासिल करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य लेकर मैदान में उतरा है। यह चुनाव भाजपा के लिए एक बड़ा परीक्षण है, जहां वह परिधीय खिलाड़ी से तीसरे मजबूत मोर्चे के रूप में उभरने की कोशिश कर रही है। पहले चरण का मतदान 9 दिसंबर को दक्षिणी और मध्य जिलों में तथा दूसरे चरण का 11 दिसंबर को उत्तरी जिलों में होगा, जबकि 13 दिसंबर को नतीजे घोषित होंगे।

केरल राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, कुल 2.84 करोड़ मतदाता 1200 में से 1199 स्थानीय निकायों के लिए वोट डालेंगे। इसमें 941 ग्राम पंचायतें, 152 ब्लॉक पंचायतें, 14 जिला पंचायतें, 86 नगर पालिकाएं और 6 निगम शामिल हैं। भाजपा राज्य अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने कहा, “केरल में एलडीएफ और यूडीएफ के बीच सत्ता का चक्रव्यूह टूटने वाला है। हम विकास और कल्याणकारी योजनाओं पर केंद्रित हैं, जबकि कांग्रेस विवादास्पद नैरेटिव फैला रही है।” एनडीए ने तिरुवनंतपुरम और त्रिशूर जैसे प्रमुख निगमों पर निशाना साधा है, साथ ही कोझिकोड में पिछले चुनावों में दूसरे स्थान वाली 22 सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा है।

पृष्ठभूमि
भाजपा की केरल में प्रगति 2015 के स्थानीय चुनावों से शुरू हुई, जब पार्टी ने शहरी क्षेत्रों में पैठ बनाई। 2016 में नेमोम से पहली विधानसभा सीट जीतकर मील का पत्थर साबित हुआ। 2020 के चुनावों में एनडीए ने 15% वोट शेयर हासिल किया, जिसमें 249 ग्राम पंचायत, 37 ब्लॉक पंचायत, 2 जिला पंचायत, 320 नगर पालिका और 60 निगम सीटें शामिल रहीं। हालांकि, 2021 विधानसभा में एकमात्र सीट गंवाई, लेकिन 2024 लोकसभा में त्रिशूर जीत ने जोश भरा। अब एनडीए 90% सीटों पर लड़ेगा, जिसमें मुख्य सहयोगी भारत धर्म जन सेना (बीडीजेएस) ईझावा वोटों को जुटाएगी।

रणनीति में हिंदू राष्ट्रवादी छवि को संतुलित करते हुए अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर दक्षिण केरल में नायर हिंदुओं और रोमन कैथोलिकों की ओर पहुंच बनाई जा रही है। हालांकि, लैटिन कैथोलिक, ईसाई नादर और मुसलमानों में स्वीकार्यता सीमित है। उत्तरी ग्रामीण इलाकों में चुनौतियां बरकरार हैं। एलडीएफ सरकार के खिलाफ असंतोष का फायदा उठाते हुए एनडीए सड़क प्रदर्शनों से बच रहा है, ताकि 2019 जैसी उल्टी ध्रुवीकरण न हो। सबरीमाला मंदिर में कथित सोने की चोरी का मुद्दा उठाया जा रहा है, जहां दो पूर्व देवास्वोम बोर्ड अध्यक्षों (सीपीआई-एम से जुड़े) की गिरफ्तारी ने राजनीतिक रंग ले लिया है।

सबरीमाला विवाद
सबरीमाला सोना घोटाले ने चुनावी रंग ले लिया है। कांग्रेस-नीत यूडीएफ और एनडीए इसे एलडीएफ पर हमले का हथियार बना रहे हैं, जबकि वाम मोर्चा इसे उलटकर विपक्षी गिरफ्तारियों का मुद्दा बता रहा है। 2018 के सुप्रीम कोर्ट फैसले के बाद यह मुद्दा 2019 लोकसभा में यूडीएफ के पक्ष में गया था। पठानमथिट्टा और कोट्टायम जैसे इलाकों में विरोध प्रदर्शन हुए, लेकिन मतदाता रोजगार, कानून-व्यवस्था और महंगाई जैसे स्थानीय मुद्दों पर ज्यादा फोकस्ड हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह ब्लॉक या जिला स्तर पर सीमित असर डालेगा।

रोचक तथ्य
मुनार पंचायत के नल्लाथन्नी वार्ड (16) से भाजपा ने 34 वर्षीय सोनिया गांधी को टिकट दिया है। उनका नाम पूर्व कांग्रेस नेता पिता ने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सम्मान में रखा था। पति सुभाष भाजपा के पंचायत महासचिव हैं। उनके खिलाफ कांग्रेस की मंजुला रमेश और सीपीआई-एम की वलारमती मैदान में हैं। यह उम्मीदवारी चुनावी हलचल बढ़ा रही है।

प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया पर एनडीए समर्थक उत्साहित हैं। एक्स पर एक यूजर ने लिखा, “केरल में भाजपा दक्षिण भारत के अन्य राज्यों से बेहतर तैयार है। तमिलनाडु और तेलंगाना में भ्रम है, लेकिन यहां कैडर मजबूत।” एक अन्य पोस्ट में कहा गया, “त्रिवेंद्रम निगम का नतीजा धारणा बदल देगा। 2020 में भाजपा ने 16% वोट और 25% सीटें बढ़ाईं।” हालांकि, कुछ ने अभियान की धीमी शुरुआत पर सवाल उठाए: “कांग्रेस ने पोस्टर चिपकाने में बढ़त ली, भाजपा 14 दिन बाद आई। आरएसएस शाखाओं की घनत्व के बावजूद घर-घर विजिट शून्य।”

विपक्षी दलों से प्रतिक्रिया मिली-जुली। यूडीएफ ने विकास कार्यों पर जोर दिया, जबकि एलडीएफ ने ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ पहल का विरोध किया। पूर्व आईयूएमएल सांसद हारिस बेगन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, “चुनावों के कारण राज्य मशीनरी व्यस्त है, 60,000 बूथ एजेंट लगे हुए हैं।”

भविष्यवाणियां
विश्लेषकों के अनुसार, एनडीए 20-25% वोट शेयर पार कर सकता है, खासकर शहरी क्षेत्रों में। कोट्टायम में एनडीए के पास 3 ग्राम पंचायतें हैं, जबकि पठानमथिट्टा में गठबंधन तनाव से फायदा हो सकता है। बिहार चुनाव परिणामों ने एनडीए को बूस्ट दिया है। एक पोस्ट में कहा गया, “एनडीए को हर स्थानीय निकाय में प्रतिनिधित्व मिलेगा।” हालांकि, ग्रामीण इलाकों में चुनौतियां बरकरार हैं।

यह चुनाव 2026 विधानसभा के लिए टोन सेट करेगा, जहां एनडीए कम से कम 8 सीटें जीतने का दावा कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि त्रिपोलर संघर्ष स्थायी हो सकता है, लेकिन वोट बैंक फिक्स्ड हैं।

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