केरल हाईकोर्ट में ‘हाल’ फिल्म पर सुनवाई: जस्टिस अरुण ने फिल्म देखने का सुझाव दिया, मंगलवार को फैसला

Kerala High Court/Haal News: मलयालम फिल्म ‘हाल’ के निर्माताओं की याचिका पर केरल हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई। फिल्म में शेन निगम मुख्य भूमिका में हैं और यह एक अंतर-धार्मिक प्रेम कहानी पर आधारित है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) द्वारा फिल्म को ‘ए’ सर्टिफिकेट देने के साथ-साथ कई कट्स और संशोधनों की शर्त पर आपत्ति जताई गई है, जिसके खिलाफ निर्माता जूबी थॉमस और निर्देशक वीरा ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है। जस्टिस वीजी अरुण की एकलपीठ के समक्ष मामला आया, जहां कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं।

याचिका में निर्माताओं ने सीबीएफसी के फैसले को चुनौती दी है, जिसमें बीफ बिरयानी खाने का एक दृश्य हटाने, एक गाने में अभिनेत्री द्वारा बुर्का पहनने वाले हिस्से को काटने, पुलिस को ‘खराब तरीके से’ दिखाने वाले दृश्यों में बदलाव, होली एंजेल्स नर्सिंग कॉलेज के नाम को ब्लर करने और फिल्म में थमरसरी बिशप के चित्रण पर उनकी सहमति लेने जैसे छह संशोधनों का उल्लेख है। इसके अलावा, संवादों में ‘ध्वजा प्रणाम’, ‘गणपति वट्टम’ और ‘संगह’ जैसे शब्दों पर भी आपत्ति दर्ज की गई है।

निर्माताओं का कहना है कि ये बदलाव अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हैं और फिल्म में कोई हिंसा या क्रूरता नहीं है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने तर्क दिया कि यह एक सकारात्मक संदेश वाली फिल्म है, जो विभिन्न धर्मों के बीच सम्मान पर जोर देती है। उन्होंने सुझाव दिया कि लॉर्डशिप फिल्म देखकर ही फैसला लें। जस्टिस अरुण ने सहमति जताते हुए कहा, “मैं इसे मंगलवार को पोस्ट कर रहा हूं, केवल यह तय करने के उद्देश्य से कि फिल्म कौन-कौन देख सकता है।” कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह सुनवाई केवल दर्शकों की संख्या तय करने के लिए होगी।

इससे पहले, 9 अक्टूबर को जस्टिस एन नागारेश की बेंच ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए थे कि वह सीबीएफसी के रुख पर जवाब दे। 13 और 14 अक्टूबर को भी मामला लिस्टेड रहा, जहां निर्माताओं ने फिल्म की रिलीज में देरी का हवाला देते हुए तत्काल प्रमाणपत्र जारी करने की मांग की। निर्देशक वीरा ने कहा, “यह निर्देशक का अधिकार है कि वह बीफ बिरयानी, मटन या कुछ और दिखाए। सीबीएफसी की मांगें अजीब हैं।” निर्माताओं ने शेन निगम की एक अन्य फिल्म की रिलीज के प्रभाव से प्रमाणीकरण में देरी का भी आरोप लगाया है।

फिल्म 10 सितंबर को सीबीएफसी के पास भेजी गई थी, लेकिन रिवाइजिंग कमिटी ने ‘ए’ सर्टिफिकेट के साथ 15 बदलाव सुझाए। निर्माताओं ने इन्हें अस्वीकार कर दिया और अदालत से नई दिशानिर्देश बनाने की भी मांग की है। यह मामला भारतीय सिनेमा में सेंसरशिप की बहस को फिर से हवा दे रहा है, जहां अभिव्यक्ति की आजादी बनाम सामाजिक संवेदनशीलता का टकराव उभर रहा है। मंगलवार को होने वाली अगली सुनवाई में कोर्ट फिल्म देखने का फैसला ले सकता है, जिससे रिलीज पर असर पड़ सकता है।

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