Karwa Chauth Mehendi Designs: करवा चौथ पर मेहंदी जरूर क्यों, जानिए करवा चौथ पूजा मुहूर्त
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Karwa Chauth Mehendi Designs: करवा चौथ पर मेहंदी जरूर क्यों, जानिए करवा चौथ पूजा मुहूर्त

Karwa Chauth Mehendi Designs: हिंदुओं के महत्‍वपूर्ण पर्व करवा चौथ पर मेहंदी जरूर लगाई जाती है. अखंड सौभाग्‍य के लिए रखे जाने वाले इस व्रत में सोलह श्रृंगार का बड़ा महत्‍व है, जिसमें मेहंदी रचाना भी शामिल है. करवा चौथ व्रत से एक दिन पहले ही सुहागिन महिलाएं हाथों में मेहंदी रचा लेती हैं.

इस साल करवा चौथ बुधवार यानि एक नवंबर को पड़ रहा है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती है। शास्त्रों में चंद्रमा को आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है। मृगशिरा नक्षत्र के साथ शिव-परिघ व सर्वार्थ सिद्धि योग का अद्भुत संयोग बन रहा है। सायंकाल 5 बजकर 44 मिनट से 7 बजकर 02 मिनट तक करवा चौथ पूजा के लिए शुभ माना जा रहा है। इसके बाद सुहागिनें मृगशिरा नक्षत्र में चंद्रमा को अध्र्य देकर व्रत का पारण करेगीं। करवा चौथ के दिन चंद्रमा अपनी उच्चराशि वृषभ में विराजमान रहेगें। मान्यता है कि करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और पति की आयु लंबी होती है।

Karwa Chauth Mehendi Designs:

शिव योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और परिघ योग के शुभ संयोग में करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा। सुबह 6:32 से सर्वार्थ सिद्धि योग की शुरुआत होगी, जो अगले दिन सुबह 4:34 तक रहेगा। वहीं, 2 बजकर 05 मिनट तक दोपहर के समय परिघ योग रहेगा, जिसके बाद से शिव योग की शुरुआत हो जाएगी। शिव योग अगले दिन तक रहने वाला है।

जानिए करवा चौथ पूजा मुहूर्त
कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि की शुरुआत: रात 09:30, 31 अक्टूबर 2023 से
कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि का समापन: रात 09:19, 01 नवंबर 2023 तक
पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 05:44 से रात 07:02 तक, 01 नवंबर

इस तरह से करें व्रत की शुरुआत
करवा चौथ के व्रत की शुरुआत सुबह की सरगी खाकर किया जाता है। इसलिए अगर आप पहली बार व्रत रख रही हैं तो ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होकर सरगी का सेवन करें। मान्यता है की सरगी का सेवन दिन की शुरुआत होने से पहले यानि सूर्योदय से पहले ही कर लेना चाहिए। वहीं, सांस द्वारा बहु को सरगी देने की परंपरा है। सरगी में 7 चीजों का सेवन करने का महत्व माना गया है।

चांद निकलने के बाद पूरा होता है व्रत
करवा चौथ व्रत में संध्या पूजन करने का विशेष महत्व है। इस दिन चांद निकालने के बाद पूजा और व्रत कथा का पाठ कर चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। फिर छलनी से चंद्रमा के दर्शन करने के उपरांत पति का चेहरा देखा जाता है। इसके बाद पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत का पारण किया जाता है। व्रत पारण के बाद सात्विक भोजन ही करना चाहिए।

सकारात्‍मकता लाती है मेहंदी
वास्‍तु शास्‍त्र के अनुसार मेहंदी में नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और किसी के जीवन में सकारात्मकता लाने की शक्ति होती है. चूंकि मेहंदी की तासीर ठंडी होती है ऐसे में करवा चौथ के उपवास के दौरान मेहंदी रचाना विशेष रूप से फायदेमंद साबित होता है. साथ ही इससे मानसिक शांति भी मिलती है।

यदि मेहंदी लगाते समय वास्‍तु के कुछ नियमों का पालन किया जाए तो यह घर में सुख-समृद्धि लाती है, पति-पत्‍नी का रिश्‍ता मजबूत करती है और दांपत्‍य जीवन में हमेशा खुशहाली बनाए रखती है.

मेहंदी लगाते समय ध्‍यान रखें ये बातें

– करवा चौथ के लिए मेहंदी लगाते समय साफ-सुथरी जगह पर बैठें, कभी भी कूड़ा-कचरा के पास बैठकर मेहंदी ना लगवाएं.

– करवा चौथ के दिन मेहंदी लगाते समय किस दिशा में बैठ रहे हैं, इसका असर घर में ऊर्जा के प्रवाह पर पड़ता है. वास्तु के अनुसार उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके मेहंदी लगाने से घर में सकारात्‍मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और नकारात्‍मकता दूर होती है. ध्‍यान रहे कि मेहंदी लगाते समय आपका मुख दक्षिण दिशा की तरफ नहीं हो. दक्षिण दिशा यमराज की दिशा होती है.

– बेहतर होगा कि करवा चौथ के दिन हरे रंग की मेहंदी ही लगाएं. हरा रंग प्रकृति और संतुलन का प्रतीक माना जाता है. काले रंग की मेहंदी गलती से भी ना लगाएं.

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