करूर स्टाम्पीड: पुलिस दबाव के आरोपों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित के परिजन को दिया आदेश करे सीबीआई से संपर्क

Karur Stampede/Tamil Nadu News: तमिलनाडु के करूर जिले में तमिलगा वेट्ट्री कझगम (टीवीके) की चुनावी रैली के दौरान हुई स्टाम्पीड की जांच अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के हाथों में है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक पीड़ित के परिजन एस. प्रभाकरन को सीबीआई से संपर्क करने का निर्देश दिया, जब उन्होंने तमिलनाडु पुलिस और राजनीतिक सचिवों द्वारा पीड़ितों पर याचिकाएं वापस लेने के लिए दबाव डालने का आरोप लगाया।

जस्टिस जे.के. महेश्वरी की अध्यक्षता वाली बेंच ने प्रभाकरन के वकील बालाजी श्रीनिवासन से कहा, “सीबीआई से संपर्क करें… सीबीआई इसकी जांच करेगी।” अदालत ने आदेश दिया कि अगर राज्य के अधिकारियों द्वारा धमकी या लालच दिए जाने के आरोप हैं, तो याचिकाकर्ता सीबीआई को आवेदन दें। मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर को तय की गई है। प्रभाकरन ने बताया कि उन्होंने इस हादसे में अपनी बहन और मंगेतर दोनों को खो दिया। उन्होंने पुलिस पर लाठीचार्ज करने और भीड़ में असामाजिक तत्वों द्वारा वस्तुएं फेंककर अफरा-तफरी मचाने का आरोप लगाया।

स्टाम्पीड की पृष्ठभूमि
यह स्टाम्पीड 27 सितंबर 2025 को करूर के वेलुसाम्यपुरम में टीवीके की रैली के दौरान हुई थी। टीवीके अभिनेता से राजनेता बने विजय की पार्टी है, जिसकी स्थापना 2024 में हुई और चुनाव आयोग द्वारा पंजीकृत है। पार्टी का उद्देश्य तमिलनाडु में द्रविड़ मॉडल के खिलाफ लड़ना और 2026 के विधानसभा चुनावों में हिस्सा लेना है।

रैली की घोषणा दोपहर 12 बजे के लिए की गई थी, लेकिन पुलिस अनुमति शाम 3 बजे से रात 10 बजे तक की थी। विजय शाम 7:20 बजे पहुंचे और केवल 15 मिनट का भाषण दिया।

भीड़ में पानी की कमी, बेहोशी के मामले और एक 9 साल की बच्ची के गुम होने की घोषणा से अफरा-तफरी मची। परिणामस्वरूप, 41 लोगों की मौत हुई, जिसमें 9 बच्चे, 17 महिलाएं और 9 पुरुष शामिल थे।

ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वुमेंस एसोसिएशन (एआईडीडब्ल्यूए) की फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य कारण विजय का रैली स्थल पर देर से पहुंचना था। रिपोर्ट में इसे मानवाधिकार उल्लंघन बताया गया और सिफारिश की गई कि बड़े आयोजनों के लिए दिशानिर्देश बनाए जाएं, जिसमें 5,000 से अधिक लोगों की सभा में मेडिकल टीम की उपस्थिति अनिवार्य हो। साथ ही, पीड़ित परिवारों को रोजगार, मुआवजा और काउंसलिंग प्रदान करने की मांग की गई। रिपोर्ट सीबीआई को सौंपी जाएगी।

बाद की घटनाएं और प्रतिक्रियाएं
हादसे के तुरंत बाद, करूर टाउन पुलिस ने टीवीके के महासचिव एन. आनंद समेत चार पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने रिटायर्ड जस्टिस अरुणा जगदीशन की एक सदस्यीय जांच आयोग गठित किया और मृतकों के परिवारों को 10 लाख रुपये तथा घायलों को 1 लाख रुपये का मुआवजा घोषित किया। विजय ने भी 20 लाख रुपये प्रति मृतक परिवार और 2 लाख रुपये प्रति घायल का ऐलान किया।

एक महीने बाद, 28 अक्टूबर को विजय ने पीड़ित परिवारों से महाबलीपुरम के एक रिसॉर्ट में मुलाकात की, जहां उन्होंने उनकी आर्थिक स्थिति, कर्ज और बच्चों की शिक्षा के बारे में जानकारी ली। हालांकि, कुछ परिवारों ने शिकायत की कि वे शोक में हैं और विजय को करूर आकर मिलना चाहिए था। मद्रास हाई कोर्ट ने भी राज्य सरकार को राजनीतिक सभाओं के लिए एसओपी तैयार करने के लिए 10 दिन का समय दिया।

टीवीके ने हादसे के बाद अपनी गतिविधियां फिर शुरू कर दी हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर आलोचना जारी है। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर कई पोस्ट में पुलिस की भूमिका और राजनीतिक दबाव की चर्चा हो रही है।

यह मामला राजनीतिक और कानूनी दोनों मोर्चों पर गरमाया हुआ है, जिसमें सीबीआई की जांच से नए खुलासे की उम्मीद की जा रही है।

यहां से शेयर करें