कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व संकट, डेरा डाले शिवकुमार खेमे के विधायक

Karnataka Congress News: कर्नाटक में कांग्रेस के अंदर चल रहा मुख्यमंत्री पद को लेकर खुला टकराव अब पूरी तरह दिल्ली की ओर मुड़ गया है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने फैसला हाईकमान पर छोड़ दिया है, जिसके बाद अब सबकी नज़र लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर टिकी हुई है।

सूत्रों के मुताबिक, खड़गे जल्द ही राहुल गांधी को पूरी स्थिति से अवगत कराएंगे। इसके बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार को दिल्ली बुलाकर विचार-विमर्श किया जा सकता है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, “बिहार चुनाव के बाद केंद्रीय नेतृत्व की पहली औपचारिक बैठक में कर्नाटक का मुद्दा भी उठेगा। आख़िर 2023 में भी यहीं बैठकर सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया गया था।”

दिल्ली में डेरा डाले शिवकुमार खेमे के विधायक
पिछले हफ़्ते शिवकुमार समर्थक कुछ विधायकों का एक दल दिल्ली गया था। अब रविवार रात को छह और विधायक दिल्ली पहुँच गए हैं। सूत्रों का दावा है कि आने वाले दिनों में ऐसे और दल दिल्ली जाएंगे ताकि शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने के लिए दबाव बनाया जा सके।

इन विधायकों का कहना है कि 2023 में सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच जो समझौता हुआ था, उसमें ढाई-ढाई साल बाद नेतृत्व बदलने की बात थी। अब वह वक़्त पूरा हो चुका है। डी.के. सुरेश (शिवकुमार के भाई) ने कथित तौर पर सिद्धारमैया को हाल में मिलकर पुराना वादा याद भी दिलाया है।

कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि शिवकुमार खेमे ने विधायकों से उनके समर्थन में हस्ताक्षर भी करवाने शुरू कर दिए हैं और यह संख्या 2023 के कांग्रेस विधायक दल की बैठक से कहीं ज़्यादा है। हालांकि मुख्यमंत्री कार्यालय ने हस्ताक्षर अभियान की ख़बरों को सिरे से खारिज किया है।

सिद्धारमैया का रुख
सोमवार को चिक्कबल्लापुर में एक सरकारी कार्यक्रम में सिद्धारमैया और शिवकुमार एक ही मंच पर नज़र आए। पत्रकारों से बातचीत में सिद्धारमैया ने फिर दोहराया, “हाईकमान जो फैसला लेगा, मैं उसे शिरोधार्य करूँगा। चाहे मुझे जारी रखना हो या नहीं।” जवाब में शिवकुमार ने कहा, “सिद्धारमैया जी जो कहते हैं, वह हमारे लिए वेद वाक्य है। वे पार्टी की संपत्ति हैं।”

सिद्धारमैया खेमे का कहना है कि दिल्ली में चर्चा कैबिनेट विस्तार की होगी, नेतृत्व परिवर्तन की नहीं। उनके समर्थक यह भी दावा कर रहे हैं कि दिल्ली जाने वाले विधायकों को के.सी. वेणुगोपाल और रणदीप सुरजेवाला जैसे केंद्रीय नेताओं से मिलने का समय तक नहीं मिल रहा और वे खाली हाथ लौट रहे हैं।

बीजेपी का आरोप
विपक्ष के नेता आर. अशोक ने सोमवार को बड़ा आरोप लगाया कि कांग्रेस में सत्ता परिवर्तन के लिए विधायकों की ख़रीद-फ़रोख्त शुरू हो गई है और 60-70 करोड़ रुपये तक के लेन-देन की बात चल रही है।

जवाब में डी.के. शिवकुमार ने पलटवार किया, “विधायकों की ख़रीद-फ़रोख्त तो बीजेपी की संस्कृति है। पिछली बार इन्होंने सरकार बनाने के लिए कितने हज़ार करोड़ ख़र्च किए थे? विधायकों को क्या-क्या ऑफ़र दिए थे, यह सब विधानसभा की कार्यवाही में दर्ज है।”

फिलहाल कर्नाटक कांग्रेस में सब कुछ ठप है। मंत्रिमंडल विस्तार से लेकर बड़े नीतिगत फैसले तक, सब राहुल गांधी के एक इशारे का इंतज़ार कर रहे हैं। आने वाले कुछ दिन कर्नाटक की सियासत के लिए निर्णायक साबित होने वाले हैं।

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