Kanwar Yatra News: सावन के महीने में कांवड़ लाना बहुत शुभ काम माना जाता है। इस धार्मिक कार्य की आड़ में आज कल उत्पात देखने को मिल रहा है। हालांकि भाजपा सरकार में कावड़ियों पर फूलों की बारिश होती है तो दूसरी रास्ते में पुलिस और राहगीर दोनों पिटते भी नजर आते है। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या सपा और बसपा में में ऐसा होता था? सरकार का कानून.व्यवस्था बनाए रखने और धार्मिक आयोजनों को सुविधाजनक बनाने का अपना तरीका रहा है। इसमें राजनीतिक आरोप.प्रत्यारोप भी शामिल होते हैं। चलिए बताते है…
धार्मिक स्वतंत्रता और कानून व्यवस्था का संतुलन: सभी सरकारें धार्मिक आयोजनों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने और साथ ही कानून व्यवस्था बनाए रखने के बीच संतुलन बनाने का दावा करती हैं। हालांकि, इस संतुलन को प्राप्त करने के तरीके भिन्न होते हैं। हाल ही में उत्तराखंड पुलिस ने बेकाबू हुए कावड़ियों पर लाठी बरसाई। सोशल मीडिया पर कई प्राकर के वीडियो वायरल हो रहे है।
राजनीतिकरण: कांवड़ यात्रा जैसे आयोजनों को अक्सर राजनीतिक रंग दिया जाता है, जहां विपक्षी दल सत्तारूढ़ दल की नीतियों पर सवाल उठाते हैं और अपनी पिछली सरकारों के दौरान बेहतर प्रबंधन का दावा करते हैं।
समाजवादी पार्टी का शासनकाल
भाजपा और अन्य आलोचक अक्सर सपा शासनकाल पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाते हुए कहते हैं कि कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ियों को उतनी सुविधा और सुरक्षा नहीं मिलती थी जितनी मिलनी चाहिए थी। कुछ भाजपा नेताओं ने सपा पर कांवड़ियों पर लाठीचार्ज का भी आरोप लगाया है। हालांकि जब कानून व्यवस्था ताक पर होती है तो पुलिस को सख्ती से निपटना पड़ता है।
कानून.व्यवस्था: सपा के शासनकाल में कुछ मौकों पर कांवड़ यात्रा के दौरान उपद्रव और कानून.व्यवस्था बिगड़ने की खबरें आती थीं। हालांकि, सपा इसे सबका साथ की नीति का हिस्सा मानती थी और सभी समुदायों के त्योहारों को शांतिपूर्वक संपन्न कराने का दावा करती थी।
तुष्टीकरण के आरोपरू सपा पर अक्सर यह आरोप लगता रहा है कि वह एक विशेष वर्ग को खुश करने के लिए सनातनियों की आस्था पर चोट पहुंचाने का काम करती है।
बहुजन समाज पार्टी का शासनकाल
बसपा शासनकाल को आमतौर पर कानून.व्यवस्था के मामले में अधिक सख्ती के लिए जाना जाता है। सुश्री मायावती के शासन में पुलिस प्रशासन को अपेक्षाकृत अधिक स्वायत्तता और सख्ती से काम करने के निर्देश दिए जाते थे।
कांवड़ यात्रा के संदर्भ मेंए बसपा सरकार ने भी कानून.व्यवस्था बनाए रखने पर जोर दिया, लेकिन सपा की तरह उस पर तुष्टीकरण के सीधे आरोप कम लगे। हालांकि, बसपा का मुख्य फोकस कानून के शासन को बनाए रखना था, न कि किसी विशेष धार्मिक समूह को विशेष सुविधा देना।
योगी आदित्यनाथ सरकार
समर्थन और सुविधार: भाजपा सरकार, विशेष रूप से योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में, कांवड़ यात्रा को लेकर अधिक मुखर और समर्थक रही है। कांवड़ियों पर पुष्प वर्षा, उनके लिए विशेष व्यवस्थाएं और मांस.शराब की दुकानों पर प्रतिबंध जैसे कदम उठाए गए हैं। सरकार का दावा है कि वह कांवड़ियों की आस्था का सम्मान करती है और उनकी यात्रा को सुरक्षित और सुगम बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
कठोरता और निगरानी: उत्पात पर नियंत्रण के लिए भाजपा सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं। सीसीटीवी और ड्रोन से निगरानी, आपराधिक इतिहास वाले लोगों की पहचान और कानून तोड़ने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया गया है। योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट संदेश दिया है कि कांवड़ यात्रा में किसी भी तरह की रुकावट या उपद्रव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कावड़ यात्रा के दौरान कांवड़िये उपद्रव करते हैं, लोगों के साथ मारपीट करते हैं इस सब को लेकर पुलिस अंजान बनी रहती है। कहीं कहीं से तो खबरें आई हैं कि कांवड़ियों ने पुलिस की ही जमकर पिटाई की है, मगर पुलिस की हिम्मत नहीं की पलटकर कार्रवाई कर पाए।
विवाद और आरोप: हालांकिए भाजपा सरकार के फैसलों पर भी कुछ विवाद हुए हैं। हाल ही में कांवड़ मार्ग पर दुकानदारों की पहचान ;नेमप्लेटद्ध को लेकर विवाद हुआ, जिस पर सपा ने भाजपा की तुलना आतंकवादियों से की और इसे धर्म पूछकर लोगों पर हमला करने जैसा बताया। सपा का आरोप है कि भाजपा सरकार जानबूझकर नफरत फैलाने का काम कर रही है और मुस्लिम तुष्टीकरण के नाम पर कांवड़ यात्रा का राजनीतिकरण कर रही है।
सुरक्षा का दावा: भाजपा सरकार का दावा है कि उसके शासनकाल में कांवड़ यात्रा अधिक सुरक्षित और शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न होती हैए और उत्पात की घटनाओं में कमी आई है।
कुल मिलाकर कहा जाए तो तीनों सरकारों के अपने.अपने दृष्टिकोण रहे हैं। सपा पर तुष्टीकरण के आरोप लगे, बसपा कानून.व्यवस्था को लेकर अधिक सख्त दिखी और भाजपा ने कांवड़ यात्रा को विशेष महत्व देते हुए कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कड़ी निगरानी और सख्त कार्रवाई का दावा किया।
भाजपा सरकार का मुख्य जोर कांवड़ियों की आस्था का सम्मान करते हुए यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाना है, जबकि सपा जैसे विपक्षी दल इस पर राजनीतिकरण और तुष्टीकरण का आरोप लगाते हैं। बसपा का दृष्टिकोण इन दोनों के बीच रहा है, जहां कानून.व्यवस्था का सख्ती से पालन मुख्य लक्ष्य था। उत्पात पर नियंत्रण की बात करें तो, भाजपा सरकार ने इस पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है और अपनी नीतियों के माध्यम से इसे रोकने का दावा करती है। दिल्ली से लेकर हरिद्वार तक एक के रूट पर कांवड़ियों के लिए इतना जरूर है कि जब कांवड़िये किसी बात को लेकर बिगड़ जाते हैं तो पुलिस से भी नहीं संभल पाते।

