कमाठीपुरा का नया दौर: ऊंची इमारतें खड़ी होंगी,सेक्स वर्कर्स का क्या होगा?

Kamathipura Basti/Mumbai News: मुंबई के दिल में बसी कमाठीपुरा बस्ती, जो कभी ब्रिटिश काल से मजदूरों का ठिकाना रही और बाद में शहर की सेक्स इंडस्ट्री का पर्याय बन गई, अब एक ऐतिहासिक बदलाव के दौर से गुजर रही है। महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएचएडीए) ने इस 34 एकड़ के इलाके के पुनर्विकास के लिए ठेकेदार चुन लिया है। पुरानी, जर्जर इमारतें ध्वस्त कर यहां 50 से ज्यादा मंजिला ऊंची इमारतें खड़ी होंगी, जो न केवल निवासियों को आधुनिक घर देंगे, बल्कि पूरे इलाके की छवि भी बदल देंगी। लेकिन इस चमकते भविष्य में सेक्स वर्कर्स की कोई जगह नहीं दिख रही, जो सालों से यहां अपनी जिंदगी गुजार रही हैं।

कमाठीपुरा का इतिहास 18वीं शताब्दी से जुड़ा है। हैदराबाद के निजाम के इलाके से आए तेलुगू बोलने वाले ‘कमठी’ मजदूरों ने 1795 में यहां बसावट शुरू की। ब्रिटिश सरकार ने 1804 में इस दलदली जमीन को पुनः प्राप्त कर मजदूरों के लिए आवास बनवाया। समय के साथ यह इलाका मुंबई की सेक्स इंडस्ट्री का केंद्र बन गया, लेकिन आजादी के बाद गिरावट शुरू हो गई।
1990 के दशक में एड्स महामारी और पुलिस की सख्ती से सेक्स वर्कर्स की संख्या घटकर महज 1,200 रह गई है। अब पुनर्विकास की इस नई लहर में ये महिलाएं विस्थापित होने के कगार पर हैं, बिना किसी पुनर्वास योजना के।

पुनर्विकास की प्रक्रिया तेज
एमएचएडीए की मुंबई बिल्डिंग रिपेयर्स एंड रिकंस्ट्रक्शन बोर्ड (एमबीआरआरबी) ने जून 2025 में कमाठीपुरा के क्लस्टर पुनर्विकास के लिए निविदाएं मंगाईं। दो कंपनियों—एएटीके कंस्ट्रक्शंस और जे कुमार इंफ्राप्रोजेक्ट्स—ने बोली लगाई।

तकनीकी और वित्तीय मूल्यांकन के बाद एएटीके को चुना गया। 14 नवंबर को राज्य सरकार की हाई पावर्ड कमिटी ने इस बोली को मंजूरी दे दी, और अब अंतिम स्वीकृति के लिए कैबिनेट के पास प्रस्ताव भेजा गया है।

यह परियोजना मुंबई की सबसे बड़ी ब्राउनफील्ड क्लस्टर रीडेवलपमेंट स्कीम है, जो डेवलपमेंट कंट्रोल एंड प्रमोशन रेगुलेशंस (डीसीपीआर) 2034 के रेगुलेशन 33(9) के तहत चलेगी। इलाके में 943 पुरानी ‘सेस’ इमारतें हैं, जिनमें 6,625 आवासीय और 1,376 गैर-आवासीय किरायेदार रहते हैं—कुल 8,001 लोग। लगभग 800 भूस्वामी हैं, जिनकी अधिकांश प्लॉट्स महज 50 वर्ग मीटर की हैं। पुनर्विकास के तहत सभी को कम से कम 500 वर्ग फुट के 2बीएचके फ्लैट मुफ्त में मिलेंगे।

रिहैबिलिटेशन इमारतें 57 मंजिला और बिक्री के लिए 78 मंजिला ऊंची होंगी। डेवलपर्स को 5.67 लाख वर्ग मीटर डेवलपमेंट राइट्स मिलेंगी, जिससे करीब 4,500 नई यूनिट्स बनेंगी। एमएचएडीए को 44,000 वर्ग मीटर जमीन सस्ते आवास के लिए मिलेगी।

स्थानीय विधायक अमीन पटेल, जो 18 साल से इस मुद्दे पर लड़ रहे हैं, ने इसे ‘ऐतिहासिक अवसर’ बताया। उन्होंने कहा, “यह परियोजना न केवल इमारतें बदलेगी, बल्कि इलाके की सामाजिक छवि भी। नौकरियां, शादियां और लोन जैसी सुविधाएं आसान होंगी।” निवासी उत्साहित हैं—कई परिवार जो वीरार जैसे इलाकों में चले गए थे, वापस लौटने को तैयार हैं। मुंबई सेंट्रल स्टेशन की निकटता और अस्पतालों की उपलब्धता इसे आकर्षक बनाती है।

सेक्स वर्कर्स की चिंता
लेकिन उत्साह के बीच एक कड़वी सच्चाई छिपी है। कमाठीपुरा की सेक्स वर्कर्स, जिनकी संख्या घटकर 1,200 रह गई है, पुनर्विकास योजना से बाहर हैं। अधिकांश के पास निवास प्रमाणपत्र नहीं है, इसलिए उन्हें रिहैबिलिटेशन का हक नहीं मिलेगा। जुलाई 2025 में पुलिस छापेमारियों में इजाफा हुआ, जिसे एनजीओ आशा दर्पण और आस्था परिवार ने ‘डराने-भगाने की साजिश’ बताया। उनका आरोप है कि यह पुनर्विकास के रास्ते साफ करने के लिए है।

एनजीओ प्रेरणा की चाया जगताप कहती हैं, “ये महिलाएं पीढ़ियों से यहां हैं, कई के बच्चे भी हैं। वे विस्थापन के लिए तैयार हैं, लेकिन बिना योजना के कहां जाएंगी?” कई वर्कर्स पहले ही उपनगरों में चली गई हैं, लेकिन सड़कों पर काम करने को मजबूर हैं, जो खतरे को बढ़ाता है। स्थानीय निवासी इसे ‘परिवार-अनुकूल’ बदलाव मान रहे हैं, लेकिन सेक्स वर्कर्स की अनदेखी सामाजिक अन्याय को उजागर करती है।

भविष्य की तस्वीर
परियोजना को ‘कमाठीपुरा क्लस्टर रीडेवलपमेंट – अर्बन विलेज’ नाम दिया गया है। महिमतुरा कंसल्टेंट्स द्वारा तैयार ब्लूप्रिंट में आवासीय, व्यावसायिक और मनोरंजन क्षेत्र शामिल हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार—साफ पानी, सीवरेज, सड़कें—से इलाका आधुनिक बस्ती बनेगा। जे कुमार इंफ्राप्रोजेक्ट्स जैसी कंपनियां इसमें रुचि ले रही हैं।

पुनर्विकास 5-7 साल में पूरा होगा। निर्माण के दौरान किरायेदारों को 20,000 रुपये मासिक किराया मिलेगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह बदलाव सभी के लिए समावेशी होगा? कमाठीपुरा का नया चेहरा मुंबई की असमानताओं का आईना बन सकता है।

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