मंदिर तोड़फोड़: विवाद की शुरुआत
जानकारी के मुताबिक, 1 अक्टूबर की रात छापुर गांव में शिव लक्ष्मी मंदिर में असामाजिक तत्वों ने तोड़फोड़ की। मंदिर की मूर्तियों और दीवारों को नुकसान पहुंचाया गया, जिससे स्थानीय हिंदू समुदाय में आक्रोश फैल गया। ग्रामीणों का आरोप है कि यह घटना सांप्रदायिक तनाव को भड़काने की साजिश का हिस्सा है। हालांकि, पुलिस ने अभी तक तोड़फोड़ के मुख्य आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया है और जांच जारी है।
इस घटना के ठीक बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें रोहित प्रधान नामक व्यक्ति अपने 15-20 साथियों के साथ सांसद इकरा हसन के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां करता नजर आया। वीडियो में रोहित ने इकरा पर निशाना साधते हुए अवैध हथियारों की धमकी भी दी। गांव दैदपुरा के सुरेंद्र सिंह ने तहरीर देकर बताया कि रोहित ने मंदिर तोड़फोड़ को इकरा से जोड़ते हुए हिंदू गुज्जर समुदाय को उकसाने की कोशिश की। सुरेंद्र ने कहा, “यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैला, जिससे सांप्रदायिक माहौल खराब होने का खतरा पैदा हो गया।”
20 पर मुकदमा, रोहित ने मांगी माफी
पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए रोहित प्रधान समेत 15-20 अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए (सांप्रदायिक नफरत फैलाना), 506 (धमकी) और 67 आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया। सहारनपुर एसएसपी ने बताया कि वीडियो की जांच की जा रही है और आरोपी जल्द गिरफ्तार होंगे। उधर, विवाद बढ़ते ही रोहित ने एक वीडियो जारी कर माफी मांगी।
उसने कहा, “मैंने गलती की, कृपया माफ कर दें। मेरा इरादा किसी को ठेस पहुंचाने का नहीं था।” स्थानीय पार्षद अभिषेक उर्फ टिंकू अरोड़ा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने डीआईजी से मिलकर सख्त कार्रवाई की मांग की।
इकरा हसन: सियासी प्रतिद्वंद्विता और सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल
इकरा हसन कैराना से सपा की सांसद हैं, जो 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रदीप चौधरी को 69,116 वोटों से हराकर जीतीं। वे हसन परिवार की बेटी हैं, जो गुज्जर समुदाय से ताल्लुक रखता है। परिवार में उनके दादा अख्तर हसन, पिता मुनव्वर हसन, मां तबस्सुम हसन और भाई नाहिद हसन सभी राजनीति में सक्रिय रहे। इकरा लंदन से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर हैं और सांप्रदायिक सद्भाव पर जोर देती रही हैं।
हाल ही में जुलाई 2025 में सावन के दौरान इकरा सहारनपुर के कांवड़ शिविरों में पहुंचीं, जहां उन्होंने भगवा पटका पहनकर शिवभक्तों को प्रसाद और भोजन परोसा। वीडियो वायरल होने पर उन्होंने कहा, “यह गर्व का क्षण है कि एक मुस्लिम महिला सांसद शिवभक्तों की सेवा कर सकती है। भारत सिर्फ देश नहीं, संस्कृति और मानवता की धरती है।” इस घटना ने हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश दिया, लेकिन अब मंदिर विवाद ने फिर से सियासी रंग ले लिया है।
यूपी गेट पर रोकी गईं इकरा, योगी सरकार पर आरोप
इससे पहले 2025 की शुरुआत में इकरा को बरेली जाते समय यूपी गेट पर पुलिस ने रोक लिया, जिससे सपा सांसदों और पुलिस के बीच तीखी बहस हुई। इकरा ने इसे “तानाशाही” करार दिया। वे “I Love मोहम्मद” विवाद पर भी सक्रिय रहीं, जहां उन्होंने कहा, “अभिव्यक्ति की आजादी सबका हक है। डर से लोकतंत्र नहीं चलता।” सपा ने इसे योगी सरकार का मुस्लिम-विरोधी रवैया बताया।
कैराना का सांप्रदायिक इतिहास: गुज्जर परिवारों की सियासत
कैराना हमेशा से सांप्रदायिक मुद्दों का केंद्र रहा है। 2014-16 में यहां हिंदू पलायन की अफवाहें सुर्खियां बनीं, जिसे गुज्जर समुदाय के आपराधिक तत्वों से जोड़ा गया। हसन परिवार (मुस्लिम गुज्जर) और सिंह परिवार (हिंदू गुज्जर) की सदी पुरानी सियासी दुश्मनी भी चर्चा में रहती है। दोनों परिवार एक ही खाप (कलस्यान खाप) से हैं, लेकिन धर्म के आधार पर बंट गए। इकरा की जीत ने इस विभाजन को पाटने की कोशिश की, लेकिन ऐसी घटनाएं तनाव बढ़ाती हैं।
स्थानीय हिंदू गुज्जर नेता जगत सिंह गुज्जर ने कहा, “मंदिर तोड़ना गलत है, लेकिन सांसद के खिलाफ नफरत फैलाना भी ठीक नहीं। हमें एकता बनाए रखनी चाहिए।” सपा ने मामले को भाजपा की साजिश बताया, जबकि भाजपा ने चुप्पी साध रखी है। पुलिस ने शांति बनाए रखने के लिए भारी फोर्स तैनात की है। यह विवाद कैराना की सियासत को नया मोड़ दे सकता है।

