Jaya Bachchan’s candid statement on marriage: ‘नातिन की जीवन में लाया तूफ़ान, युवा शादी को नया रूप दे रहे

Jaya Bachchan’s candid statement on marriage: बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री और सांसद जया बच्चन ने एक बार फिर अपनी बेबाकी से सबको चौंका दिया है। ‘वी द वुमन एशिया मुंबई एडिशन’ इवेंट में पत्रकार बरखा दत्त के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने विवाह संस्था को ‘पुरानी’ (outdated) करार देते हुए कहा कि वह अपनी नातिन नव्या नवेली नंदा की शादी नहीं करवाना चाहतीं। नव्या, जो कुछ दिनों में 28 साल की हो जाएंगी, के लिए जया ने सलाह दी कि जीवन का आनंद लो, शादी कोई जरूरी नहीं।

जया ने कहा, “हां, बिल्कुल। मैं नव्या की शादी नहीं करवाना चाहती।” उन्होंने जोड़ा, “मैं अब दादी हूं। आज के युवा इतने स्मार्ट हैं कि वे आपको ही स्मार्ट कर देंगे। चीजें बहुत बदल चुकी हैं।” विवाह की कानूनी बाध्यता पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने हंसते हुए उदाहरण दिया, “ये दिल्ली का लड्डू है- खाओ तो मुश्किल, न खाओ तो मुश्किल। बस जीवन का मजा लो। हमें तो पुराने जमाने में रजिस्टर साइन करने की जरूरत ही नहीं पड़ी। सालों बाद पता चला कि करना पड़ेगा, तब कहीं जाकर साइन किया। मतलब हम सालों तक ‘अवैध’ तरीके से जी रहे थे।”

यह बयान सोशल मीडिया पर छा गया है। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर कई यूजर्स ने इसे पारंपरिक मूल्यों पर हमला बताया, तो कुछ ने जया की आधुनिक सोच की तारीफ की। एक यूजर ने लिखा, “जया बच्चन का यह बयान भारत के पारिवारिक ढांचे को कमजोर करने वाला लगता है।” वहीं, एक अन्य ने कहा, “विवाह पुराना हो चुका है? ये तो सही कहा, युवा अपनी शर्तों पर जी रहे हैं।”

विवाह को नया रूप दो, फेंको मत
जया के बयान पर मनोवैज्ञानिक क्रूति शाह, जो एमपावर (अदित्य बिड़ला ट्रस्ट) में सेल साइकोलॉजिस्ट हैं, ने कहा कि यह विवादास्पद कम, वास्तविक ज्यादा है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया, “थेरेपी में युवा अक्सर पूछते हैं कि बदलते दौर में विवाह कहां फिट होता है। वे इसे नकार नहीं रहे, बल्कि नया आकार दे रहे हैं।”
शाह के अनुसार, युवाओं में तीन मुख्य थीम्स उभर रही हैं:

1. भूमिकाओं को लचीला बनाना: पुरानी जेंडर भूमिकाएं अब काम नहीं करतीं। काम बांटना कौशल और रुचि पर आधारित होना चाहिए। एक क्लाइंट ने कहा, “मां घर संभालती थीं, लेकिन मैं 30 साल छोटे साथी से वैसा नहीं अपेक्षित कर सकती।”
2. संचार को मजबूत बनाना: गलतफहमियां अनकही अपेक्षाओं से आती हैं। चाहे पारंपरिक हो या समानता-आधारित, शुरुआत में ही चर्चा जरूरी।
3. परिवार की बदलती भूमिका: संयुक्त परिवार सहारा बन सकता है या बोझ। पीढ़ीगत अंतर और कठोर विचारधारा रिश्ते में तीसरा पहलू बन जाते हैं। युवा चाहते हैं कि परिवार अनुकूल बने, न कि आदेश दे।
शाह ने निष्कर्ष निकाला, “विवाह पुराना नहीं, अपेक्षाएं पुरानी हैं। स्पष्टता, लचीलापन और सम्मान से यह एक जीवंत साझेदारी बन जाता है।”

जया का अपना अनुभव
जया और अमिताभ बच्चन की शादी को 52 साल हो चुके हैं, लेकिन जया का मानना है कि कानूनी बंधन रिश्ते की असली ताकत नहीं। मीडिया की इस रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि पुराने जमाने में शादी बिना कागजी कार्रवाई के हो जाती थी। यह बयान न केवल बॉलीवुड सर्कल में, बल्कि समाज के व्यापक वर्गों में बहस छेड़ रहा है, जहां युवा लिव-इन रिलेशनशिप और व्यक्तिगत आजादी को प्राथमिकता दे रहे हैं।

डिस्क्लेमर: यह खबर सार्वजनिक स्रोतों और विशेषज्ञों के बयानों पर आधारित है। स्वास्थ्य या व्यक्तिगत निर्णयों के लिए विशेषज्ञ से सलाह लें।

यहां से शेयर करें