तालिबान विदेश मंत्री के भारत स्वागत पर जावेद अख्तर ने किया तीखा प्रहार कहा: ‘सिर शर्म से झुक जाता है’, देवबंद पर भी साधा निशाना

Taliban/India Aamir Khan Muttaqi News: प्रसिद्ध गीतकार, पटकथा लेखक और कवि जावेद अख्तर ने अफगानिस्तान के तालिबान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी को भारत में दिए गए भव्य स्वागत पर कड़ी नाराजगी जताई है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट में अख्तर ने कहा, “जब मैं देखता हूं कि दुनिया के सबसे खराब आतंकवादी संगठन तालिबान के प्रतिनिधि को उन लोगों द्वारा सम्मान और स्वागत दिया जा रहा है, जो हर तरह के आतंकवाद के खिलाफ मंच से चिल्लाते हैं, तो मेरा सिर शर्म से झुक जाता है।” उन्होंने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित दारुल उलूम देवबंद पर भी निशाना साधा, जहां मुत्ताकी का जोरदार स्वागत हुआ था।

यह पहला मौका है जब 2021 में तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद कोई उच्च स्तरीय तालिबानी प्रतिनिधिमंडल भारत आया है। मुत्ताकी का छह दिवसीय दौरा पिछले गुरुवार से शुरू हुआ, जिसका मुख्य उद्देश्य आर्थिक सहयोग, व्यापार और विकास परियोजनाओं को मजबूत करना था। रविवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात के दौरान दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों को सशक्त बनाने पर सहमति जताई। जयशंकर ने घोषणा की कि भारत काबुल में अपनी तकनीकी मिशन को पूर्ण राजदूतावास में अपग्रेड करेगा, हालांकि तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता अभी नहीं दी गई है।

मुत्ताकी ने सोमवार को एक संयुक्त संप्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत को अफगानिस्तान के खनिज संसाधनों में निवेश करने का न्योता दिया और वाघा सीमा के माध्यम से व्यापार सुविधा की मांग की, इसे “दोनों देशों के बीच सबसे तेज व्यापार मार्ग” बताते हुए। लेकिन इस दौरे की शुरुआत ही विवादों से हुई। अफगान दूतावास में आयोजित मुत्ताकी के पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय महिला पत्रकारों को प्रवेश से रोका गया, जिसकी वजह से विपक्षी दलों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने कड़ी आलोचना की।

शनिवार को दारुल उलूम देवबंद में मुत्ताकी का स्वागत तालिबान समर्थकों के बीच खासा उत्साहपूर्ण रहा। दारुल उलूम के कुलपति अबुल कासिम नोमानी और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी सहित 15 प्रमुख उलेमा ने उनका स्वागत किया। सैकड़ों छात्रों और स्थानीय लोगों ने माला पहनाकर और तालियों से उनका अभिवादन किया। अख्तर ने इस स्वागत को “इस्लामी हीरो” का सम्मान बताते हुए देवबंद को शर्मिंदा करने वाला कदम कहा। उन्होंने लिखा, “देवबंद पर भी शर्म आनी चाहिए, जो लड़कियों की शिक्षा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने वाले व्यक्ति को इतना आदरपूर्ण स्वागत दे रहा है। मेरे भारतीय भाइयों और बहनों! हमारे साथ क्या हो रहा है?”
अख्तर का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जहां 17,000 से अधिक लाइक्स और 3,000 रीपोस्ट मिल चुके हैं। कुछ यूजर्स ने उनकी आलोचना का समर्थन किया, जबकि अन्य ने इसे कूटनीतिक आवश्यकता बताया। एक यूजर ने लिखा, “भू-राजनीति ऐसी ही होती है। तालिबान से मिलना मतलब उनकी विचारधारा से सहमत होना नहीं, शायद हम उन्हें सुधार सकें।” वहीं, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा, कहा कि “भारत के मुसलमानों को निशाना बनाते हुए तालिबान को गले लगाना भाजपा की आंतरिक हाइपोक्रिसी का प्रमाण है।”

जावेद अख्तर, जो अपनी राजनीतिक टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं, ने पहले भी सामाजिक और वैश्विक मुद्दों पर बेबाकी से आवाज उठाई है। तालिबान शासन के दौरान अफगानिस्तान में महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों की पृष्ठभूमि में उनका यह बयान एक नई बहस छेड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह कदम क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में बदलाव का संकेत है, खासकर पाकिस्तान के साथ तालिबान के बिगड़ते संबंधों के बीच। हालांकि, मानवाधिकार संगठन इस दौरे को अफगान महिलाओं के अधिकारों की अनदेखी बता रहे हैं।

यह घटना भारत की विदेश नीति में व्यावहारिकता और नैतिकता के बीच संतुलन की बहस को तेज कर रही है। क्या भारत तालिबान के साथ संबंध सुधारकर क्षेत्रीय स्थिरता हासिल कर पाएगा, या यह कदम वैश्विक आलोचना को न्योता देगा? समय ही बताएगा।

यह भी पढ़िए: आईपीएस पूरन कुमार की मौत पर सांसद चंद्रशेखर आज़ाद का सख्त रुख, न्यायिक जांच की मांग के साथ परिवार का साथ देने का किया ऐलान

यहां से शेयर करें